वाड्रा जमीन विवाद: करार रद्द करने वाले आईएएस अफसर का तबादला, राजनीति गरमाई
Advertisement
trendingNow133663

वाड्रा जमीन विवाद: करार रद्द करने वाले आईएएस अफसर का तबादला, राजनीति गरमाई

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रिएल्टी क्षेत्र के प्रमुख कारोबारी डीएलएफ के बीच भूमि करार को रद्द करने वाले हरियाणा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अशोक खेमका के तबादले ने मंगलवार को इस प्रकरण को नए सिरे से गरमा दिया।

चंडीगढ़/नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रिएल्टी क्षेत्र के प्रमुख कारोबारी डीएलएफ के बीच भूमि करार को रद्द करने वाले हरियाणा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अशोक खेमका के तबादले ने मंगलवार को इस प्रकरण को नए सिरे से गरमा दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इससे पहले तक पिछले बीस सालों में 40 तबादले झेल चुके खेमका के बचाव में उतर आई है, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने खेमका के तबादले पर हरियाणा सरकार की आलोचना की है, लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इसे राज्य सरकार का विशेषधिकार और प्रशासनिक कार्रवाई का हिस्सा बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
उधर, राबर्ट वाड्रा भूमि विवाद के चलते वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के तबादले के कारण आलोचनाओं में घिरी हरियाणा सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसके निर्णय में कोई दुर्भावना नहीं है तथा उसने अधिकारी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जांच के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने खेमका द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर जांच के आदेश दिए हैं। जांच समिति अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में बनाई गई है। इसके दो सदस्य राज्य सरकार से होंगे। समिति को एक माह के भीतर काम पूरा करने को कहा गया है।
हरियाणा के मुख्य सचिव पीके चौधरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि खेमका के तबादले के निर्णय में कोई ‘द्वेष या दुर्भावना` नहीं है। मुख्य सचिव ने कहा कि जांच समिति संबद्ध अधिकारियों के कदमों के कानूनी पक्ष पर गौर करेगी। इनमें यदि कोई बात छोड़ी या जोड़ी गई तो उसको भी देखा जाएगा। चौधरी ने कहा कि श्री खेमका का तबादला माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए किया गया है। सरकार की ओर किसी प्रकार की जल्दबाजी या द्वेष का कोई सवाल ही नहीं उठता।
दिन भर इस मुद्दे को लेकर चली गहमागहमी के बीच हरियाणा सरकार ने खेमका के तबादले के अपने फैसले का बचाव करते हुए इसे उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप बताया। साथ ही हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया कि खेमका के तबादले के पीछे उसका कोई गलत इरादा नहीं है और जो मुद्दे खेमका ने उठाए हैं उनकी जांच की जाएगी।
खेमका ने अपना स्थानांतरण होने से एक दिन पहले वाड्रा और डीएलएफ के बीच का करार रद्द कर दिया था। सौदे के तहत वाड्रा की कम्पनी ने डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में गुड़गांव जिले के मानेसर क्षेत्र में भूमि बेची थी।
हरियाणा सरकार ने 11 अक्टूबर को भूमि सुदृढीकरण और भूमि रिकॉर्ड महानिदेशक सह पंजीकरण महानिरीक्षक पद से अशोक खेमका के स्थानांतरण का आदेश दिया था। वह 15 अक्टूबर तक कार्यालय में थे और उन्होंने उसी दिन वाड्रा व डीएलएफ के बीच सौदा रद्द करने का आदेश दिया।
खेमका ने आठ अक्टूबर को वाड्रा की कंपनियों द्वारा दिल्ली से सटे हरियाणा के चार जिलों में किए गए भूमि सौदों की जांच करने के आदेश दिए थे। तीन दिन बाद 11 अक्टूबर को राज्य में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने उनका तबादला हरियाणा सीड्स डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध अधिकारी के रूप में कर दिया था, जो कनिष्ठ एवं दरकिनार की गई तैनाती समझी जाती है।
खेमका ने 12 अक्टूबर को दिल्ली से सटे गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद और पलवल के उपायुक्तों को वाड्रा तथा उनकी कम्पनियों के वर्ष 2005 से अब तक के सौदों की जांच कर 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।
आदेश में खेमका ने कहा है कि सौदे इसलिए रद्द किए जा रहे हैं, क्योंकि जिस अधिकारी को इसके लिए अधिकृत किया गया है, उसके पास कंसोलिडेशन अधिनियम के तहत ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव पीके चौधरी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि खेमका के तबादले में कोई गलत इरादा नहीं है। खेमका के आरापों को खरिज करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक उनका तबादला किया गया है। मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार ने इस मामले में किसी का भी पक्ष नहीं लिया। हुड्डा ने बताया कि मैंने मुख्य सचिव पी.के. चौधरी से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अशोक खेमका द्वारा आज मीडिया में दिए बयान की जांच करने के लिए कहा है। आईएएस अधिकारी के बयानों के अनुसार अगर कोई जांच में दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। यदि खेमका ने गलत तथ्य पेश किया होगा तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। खेमका के स्थानांतरण पर हुड्डा ने इसे सरकार का विशेषाधिकार बताया।
उधर, केजरीवाल ने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि हरियाणा सरकार ने अशोक खेमका का तबादला इसलिए किया क्योंकि वह हरियाणा में रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ भूमि सौदे की जांच कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि उन्होंने खेमका का स्थानांतरण क्यों किया। हरियाणा में आईएएस अधिकारियों के लिए स्थानांतरण नीति क्या है? क्या नीति के अंतर्गत यही है कि किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण इसीलिए कर दिया जाए क्योंकि वह वाड्रा के खिलाफ जांच कर रहा था?
भाजपा ने भी खेमका के स्थानांतरण के लिए हुड्डा सरकार और कांग्रेस की निंदा की है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार वाड्रा को बचाने का प्रयास कर रही है और पार्टी की सोच `आपातकाल` जैसी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कराए जाने की जरूरत है। एक ईमानदार अधिकारी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच के आदेश दिए। इसके अनुपालन को अनुमति देने की बजाय सरकार ने उसका स्थानांतरण कर दिया, वह भी रात 10 बजे स्थानांतरण का आदेश जारी किया। यह कुछ और नहीं, बल्कि कांग्रेस की आपातकाल लागू करने वाली सोच को दर्शाता है।
उधर, कांग्रेस ने यह कहकर मामले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि अधिकारियों का स्थानांतरण राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। कांग्रेस महासचिव और हरियाणा के प्रभारी बी. के. हरि प्रसाद ने कहा कि नौकरशाहों की तैनाती और उनका स्थानांतरण राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव स्पष्ट करेंगे। स्थानांतरण विवाद से दूरी बनाते हुए प्रसाद ने कहा कि खेमका एकमात्र अधिकारी नहीं हैं, जिनका स्थानांतरण किया गया है। अन्य अधिकारियों का भी स्थानांतरण किया जाता रहा है।
वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों में जांच का आदेश देने के कारण तबादले के खेमका के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि स्थानांतरण का आदेश 11 अक्‍टूबर को जारी किया गया जबकि खेमका ने अपना आदेश 15 अक्‍टूबर को दिया था। चौधरी ने कहा कि लिहाजा इन सबका तबादले की वजह बनने का कोई सवाल ही नहीं उठता। इसके अलावा खेमका द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में उन्होंने अपने उस आदेश का कहीं जिक्र नहीं किया है जो उन्होंने दिया था। पंजीकृत संपत्ति का मूल्य कम आंके जाने के आरोपों का खंडन करते हुए चौधरी ने कहा कि वड्रा की मैसर्स स्काई लाइट होस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. और मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल के बीच हुए संपत्ति सौदे के बारे में गुड़गांव के उपायुक्त के जरिये तहसीलदार सह पंजीयक, मानेसर से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बिक्री दस्तावेज और बाद में भूमि का स्थानांतरण कलेक्टर दर से कहीं अधिक था। लिहाजा इस बिक्री दस्तावेज से राज्य सरकार को कोई राजस्व हानि नहीं हुई।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच गुड़गांव में जमीन को लेकर हुए करार को रद्द करने वाले हरियाण के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका को अज्ञात लोगों की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। यह दावा खेमका के करीबी मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने किया है।
वहीं, गौर हो कि राबर्ट वाड्रा से जुड़े भूमि सौदा विवाद में एक नया मोड़ आ गया, जिसके तहत हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने उनका तबादला किए जाने के बाद प्रमुख रियल्टी समूह डीएलएफ को तीन एकड़ जमीन की बिक्री को रद्द कर दिया। हरियाणा के चार जिलों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा के सभी भूमि सौदों की जांच के आदेश के बाद खेमका को महानिरीक्षक पंजीकरण के पद से हटा दिया है।
खेमका ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि ईमानदार होने और घोटालों को बेनकाब करने के कारण उन्हें दंड़ित किया जाना पूरी तरह से अनुचित है। खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने दावा किया कि 20 सालों में उनका यह 43वां तबादला है। उन्होंने मानेसर शिखोपुर में उस 3.5 एकड़ भूखंड की तब्दीली को रद्द करने का आदेश दिया था जिसे वड्रा ने डीएलएफ को बेचा था।
पिछले हफ्ते के अंत की तरफ जांच को आगे बढ़ाते हुए खेमका ने एक पत्र जारी किया। इसमें वेंडर या वेंडी के रूप में राबर्ट वाड्रा या उनकी कंपनियों द्वारा कुछ संपत्तियों का कथित रूप से कम मूल्यांकन किए जाने की औपचारिक रूप से जांच कराने के आदेश जारी किए गए थे। पत्र में वाड्रा के खिलाफ कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल के आरोपों पर भी ध्यान दिया गया है।
इस मुद्दे के गर्माने और इस कदम पर हरियाणा सरकार की आलोचना होने के बीच मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तबादला करना सरकार का विशेषाधिकार है। हुड्डा ने कहा कि यदि भूमि सौदों के बारे में किये गये दावे सही पाए गए तो दोषी पाये जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा के मुख्य सचिव पीके चौधरी को लिखे पत्र में खेमका ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारों के प्रयोग की आड़ में भूमि की चकबंदी के घोटाले के बेनकाब होने से प्रभावित राजनीतिक.नौकरशाही तंत्र के कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने उन्हें दंडित करने के लिए जानबूझ कर एवं दुर्भावनापूर्ण कदम उठाया है। (एजेंसी)

Trending news