`जब तक है जान` : रोमांस और दीवानगी का तानाबाना
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`जब तक है जान` : रोमांस और दीवानगी का तानाबाना

फिल्म जब तक है जान के रिलीज के साथ एक दुखद बात जुड़ी है कि बॉलीवुड को रोमानियत के बेहतरीन कैनवस से रूबरू करानेवाले फिल्मकार यश चोपड़ा हमारे बीच नहीं है और यह उनकी अंतिम फिल्म है।

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली: फिल्म जब तक है जान के रिलीज के साथ एक दुखद बात जुड़ी है कि बॉलीवुड को रोमानियत के बेहतरीन कैनवस से रूबरू करानेवाले फिल्मकार यश चोपड़ा हमारे बीच नहीं है और यह उनकी अंतिम फिल्म है। अफसोस की बात है कि यशजी अपनी फिल्म की रिलीज और उसका बेहतर रिस्पांस नहीं देख पाएं और 13 नवंबर यानी दिपावली से पहले ही दुनिया से कूच कर गए। फिल्म में यश जी ने अपनी पूरी छाप बिखेरी है जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं।
दीवाली के दिन बॉलीवुड में दो धमाका हुआ। 13 नवंबर को दो फिल्में रिलीज हुई - सन ऑफ सरदार और जब तक है जान। फिल्म जब तक है जान एक लव स्टोरी है जिसकी रोमानियत के हर पहलू आपके दिल को छू जाएंगे। यह फिल्म बेबाक जज्बातों को सुलगाती है। शाहरुख खान का नाम इस फिल्म में समर है और मीरा बनी है कैटरीना कैफ।
लंदन में संघर्षरत प्रवासी के तौर पर समर कार साफ करके, वेटर बनकर और सड़कों पर पंजाबी लोकगीत गाकर अपना गुजारा करता है। उसकी मुलाकात अमीर एनआरआई व्यापारी की बेटी मीरा यानी कैटरीना से होती है। दोनों में प्यार हो जाता है। लेकिन इनके प्यार को नजर लग जाती है जब मीरा जीजस से जिंदगियां बदल देने वाला वादा करती है।
समर अपने घर यानी भारत लौट आता है। वह गुस्से में आकर आर्मी में शामिल हो जाता है है। 10 साल में वो बम डिस्पोजल एक्सपर्ट भी बन जाता है। उसकी कहानी से प्रेरित एक युवा डॉक्युमेंट्री बनानेवाली अकीरा यानि अनुष्का शर्मा उनकी यूनिट के साथ जुड़ जाती है। समर को काम करते हुए शूट करने के लिए उसके साथ घूमती है। अकीरा, समर की ओर खिंचती चली जाती है और उसे दिल दे बैठती है। फिल्म की रोमानियत इसी बहाने आगे बढ़ती रहती है और नए घटनाक्रम आते रहते है।
इस फिल्म में कैटरीना बेहद खूबसूरत लगी है। लेकिन अदाकारी में अनुष्का बाजी मारती नजर आई है। लेकिन कई जगहों पर कैटरीना ने कमाल की एक्टिंग की है। फिल्म समीक्षक भी यह मानते है कि एक था टाइगर से कैटरीना के अभिनय के स्तर में अब सुधार हुआ है। कैटरीना के संवाद और भाव में अब एक तालमेल नजर आता है जो पहले नदारद था।
इस फिल्म में संगीतकार ए आर रहमान का संगीत है। फिल्म के तीन गाने `छला`, `इश्क शावा` `सांस में` गाने अच्छे बन पड़े है। कैटरीना और शाहरुख के बीच फिल्माया गया रोमांटिक सींस अच्छे है। अदाकारी की बात करें तो शाहरूख की अदाकारी ठीक-ठाक है। लेकिन रहमान की यह म्यूजिक उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले कमतर नजर आता है। रहमान सुरों का जादू बहुत अच्छी इस फिल्म में नहीं बिखेर पाए है। लेकिन कुल मिलाकर फिल्म के गाने सुरीले है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
कुल मिलाकर फिल्म में रोमांस की रवानी आपको सराबोर करेगी। स्वीटरलैंड के खूबसरत लोकेशंस, लद्दाखा की हसीन वादियां आपको खूब भाएंगी। यश जी की फिल्मों की यह खासियत होती है कि फिल्म में प्रेम और खूबसूरत लोकेशंस का खास ख्याल रखा जाता है और जाहिर सी बात है कि अपनी अंतिम फिल्म में यश जी ने दर्शकों के लिए इसकी कमी महसूस नहीं होने दी है।

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