चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5% रह सकती है: प्रणब सेन
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चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5% रह सकती है: प्रणब सेन

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरमैन प्रणब सेन ने अर्थव्यवस्था पर कमजोर मानसून के प्रतिकूल असर संबंधी चिंताओं को दूर करते हुए आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत तक उंची रह सकती है। सेन का मानना है कि आर्थिक समीक्षा में सरकार का 5.4-5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान काफी नरम है। सेन पूर्व मुख्य सांख्यिकीयविद भी हैं।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरमैन प्रणब सेन ने अर्थव्यवस्था पर कमजोर मानसून के प्रतिकूल असर संबंधी चिंताओं को दूर करते हुए आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत तक उंची रह सकती है। सेन का मानना है कि आर्थिक समीक्षा में सरकार का 5.4-5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान काफी नरम है। सेन पूर्व मुख्य सांख्यिकीयविद भी हैं।

सेन ने छठी आर्थिक गणना जारी करने के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘साल 2009 में जब मानसून 35 साल में सबसे खराब रहा था, आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही। अब हम मौजूदा वित्त वर्ष में लगभग 5.4 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की बात कर रहे हैं। इस समय निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत उंचाई को छू सकती है।’ साल 2008-09 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर (0.4 प्रतिशत) कमजोर रहने के बावजूद आर्थिक वृद्धि 6.7 प्रतिशत रही थी। इसी तरह 2009-10 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत रही जबकि आर्थिक वृद्धि 8.6 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई।

आंकड़ों के अनुसार दो साल के दौरान विनिर्माण तथा अन्य क्षेत्र की वृद्धि दर काफी उंची रही। 2008-09 और 2009-10 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर कमश: 4.7 प्रतिशत तथा 9.5 प्रतिशत रही। इसी प्रकार इन दो सालों में वित्त, बीमा, रीयल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाओं से जुड़े सेवा क्षेत्र में क्रमश 12 प्रतिशत और 9.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो साल के दौरान औद्योगिक उत्पादन की कमजोर वृद्धि को देखते हुये अर्थव्यवस्था पर मानसून का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। वर्ष 2012-13 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 1.2 प्रतिशत और 2013-14 में 0.5 प्रतिशत रही। इससे औद्योगिक उत्पादन में धीमी वृद्धि परिलक्षित होती है। पिछले लगातार दो साल में अर्थव्यवसथा में सुस्ती का दौर जारी है और आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से नीचे रही है। वर्ष 2012-13 में यह 4.5 प्रतिशत और 2013-14 में 4.7 प्रतिशत रही।

 

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