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नई दिल्ली : दूरसंचार कंपनियां लंबे समय से बेहद उच्च गति वाली मोबाइल इंटरनेट सेवा देने का वादा करती रही हैं लेकिन 23 अगस्त से ग्राहकों को कम से कम 80 प्रतिशत समय वायदे के अनुसार न्यूनतम डाउनलोड की पूरी गति सुनिश्चित करनी होगी। यह नियम 2जी और 3जी सभी सेवाओं के मामले में लागू होगा।
वायरलेस डेटा सेवाएं नियमन के लिये गुणवत्ता मानकों में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के संशोधन के अनुसार, ‘प्रत्येक सेवा प्रदाता को मोबाइल और डोंगल दोनों तरीकों से दी जाने वाली इंटरनेट योजनाओं में उपलब्ध न्यूनतम डाउनलोड स्पीड के बारे में ग्राहकों को बताना होगा।’ मई 2014 के अंत तक 5 करोड़ लोग या तो मोबइल फोन या डोंगल के जरिये वायरलेस इंटरनेट सेवा का उपयोग कर रहे थे।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी संशोधन के तहत प्रत्येक सेवा प्रदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना या रिचार्ज कूपन में प्रकाशित न्यूनतम डायउनलोड स्पीड ग्राहकों को कम-से-कम 80 प्रतिशत उपयोग वाले समय के दौरान मिले। नया नियमन 23 अगस्त से अमल में आएगा।
दूरसंचार कंपनियां विज्ञापनों में इंटरनेट ग्राहकों को लुभाने के लिये 7.2 एमबी प्रति सेकेंड या 21 एमबी प्रति सेकेंड के उच्च गति के स्पीड का वादा करती हैं। सामान्य तौर पर 7.1 एमबीपीएस गति से एक मोबाइल या डोंगल उपयोग करने वाले को एक फिल्म 12 से 14 मिनट में डायनलोड करना चाहिए। दूरसंचार कंपनियों ने ट्राई को बताया है कि उनकी सर्वाधिक तीव्र गति वाली 3जी सेवा पर न्यूनतम डाउनलोड की गति 399 केबीपीएस (ब्राडबैंड सेवा की न्यूनतम डाटा प्रेषण गति 512 केबीपीएस से भी कम) से लेकर 2.48 एमबीपीएस के बीच है।
इससे पहले नियामक ने यह विचार दिया था कि 3जी और सीडीएमए ईवीडीओ सेवा के लिये 95 प्रतिशत सफलता दर के साथ न्यूनतम डाउनलोड गति एक एमबी प्रति सेकेंड होनी चाहिए 2जी जीएसएम तथा सीडीएमए के मामले में न्यूनतम गति 56 किलोबिट प्रति सेकेंड तथा सीडीएमए के संदर्भ में उच्च गति 512 केबीपीएस होनी चाहिए। हालांकि संशोधन में न्यूनतम स्पीड का जिक्र नहीं है। ट्राई की अधिसूचना में कहा गया है कि ब्राडबैंड की न्यूनतम गति 512 किलोबिट प्रति सेकेंड होनी चाहिए। 3जी को सामान्यत: ब्राडबैंड वायरलेस सेवा के रूप में जाना जाता है।