राजा नटवरलाल (रिव्यू) : इमरान हाशमी ने एक बार फिर ठगा!
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राजा नटवरलाल (रिव्यू) : इमरान हाशमी ने एक बार फिर ठगा!

राजा नटवरलाल (रिव्यू) : इमरान हाशमी ने एक बार फिर ठगा!

ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : बॉलीवुड में 'सीरियल किसर' नाम से अपनी जगह बना चुके अभिनेता इमरान हाशमी की नई फिल्म 'राजा नटवरलाल' शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर उतर गई। हाशमी की यह फिल्म उनकी टिपिकल फिल्मों से थोड़ी अलग है। ठग 'मिथिलेश कुमार' के रूप में इमरान का किरदार चौंकाने के साथ उकसाता भी है। यह फिल्म इस बात की तस्दीक करती है कि अभिनेता ने अपनी फिल्म 'मर्डर' के बाद अपने अभिनय को लगातार निखारा है।        

कुणाल देशमुख की इस फिल्म में इमरान उर्फ 'राजा' एक ठग की भूमिका में है जो लोगों को ठगने के बाद अपनी शौक पूरी करता है। फिल्म में काफी-उतार चढ़ाव है। 'राजा' का पार्टनर राघव (दीपक तिजोरी) की हत्या उसके सामने हो जाती है। अपने पार्टनर की हत्या हो जाने के बाद 'राजा' उसका बदला लेने की ठानता है। विलेन की भूमिका में केके मेनन हैं, उनका किरदार वर्धा यादव काफी रोमांचित करता है। 'राजा' की बदला लेने की पूरी कहानी आपको बांधे रखती है। फिल्म में हास्य को भी पूरी जगह दी गई है। कई जगह ऐसे दृश्य आते हैं जो आपको हंसने के लिए मजबूर कर देते हैं।

कहानी है राजा (इमरान हाशमी) की। सड़क पर ताश के तीन पत्तों में रानी खोजने वाला खेल खिलाकर पैसा कमाता है। छोटी-मोटी ठगी वह इस अपराध में अपने पार्टनर राघव (दीपक तिजोरी), जिसे वह अपना बड़ा भाई मानता है, के साथ करता है। जिया (हुमैमा मलिक) राजा की गर्लफ्रेंड है जो बार में डांस करती है। राजा बड़ा दांव मारना चाहता है और उसे 80 लाख रुपये की चोरी करने का मौका मिलता है।

राघव उसे समझाता है कि बड़े दांव में बड़ा जोखिम है, लेकिन राजा नहीं मानता। दोनों मिलकर 80 लाख रुपये चुरा लेते हैं। ये पैसा बेहद खतरनाक अपराधी वरधा यादव (केके मेनन) का रहता है। उसे आसानी से पता चल जाता है कि ये पैसा किसने चुराया है। राघव की वह हत्या करवा देता है, जबकि राजा बच निकल लेता है।

राघव की हत्या का बदला राजा लेना चाहता है। वह उसके साथ ठगी करना चाहता है। ठगी के गुरु योगी (परेश रावल) के पास वह पहुंचता है और मदद मांगता है। योगी रिश्ते में राघव का सगा भाई है। वह राजा की मदद के लिए तैयार हो जाता है। वरधा क्रिकेट का दीवाना है। उसकी इसी कमजोरी का योगी और राजा फायदा उठाते हैं। उसे आईपीएल की तर्ज पर आधारित एक लीग में वे एक ऐसी टीम बेचने का प्लान बनाते हैं जो है ही नहीं।

फिल्म में संगीत युवान शंकर राजा ने दिया है। गाने सुनने में अच्छे हैं। इमरान के प्रशंसकों के बीच अरिजीत सिंह और श्वेता पंडित का गाया 'तेरे होके रहेंगे' पहले ही हिट हो चुका है। जबकि मीका सिंह की आवाज में 'दुक्की तिक्की' गाने को भी आप गुनगुना सकते हैं।  

निर्देशक ने फिल्म में इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि इमरान की जो 'सिग्नेचर' पहचान है वह फिल्म से ओझल न हो। निर्देशक ने इमरान के 'किसिंग' दृश्यों को पूरी जगह दी है। इन दृश्यों को कहानी के साथ बेहतर तरीके से पिरोया गया है। 'किसिंग' करने में महारथ हासिल कर चुके इमरान अपने इस हुनर से हॉलीवुड के दिग्गजों को भी मात दे सकते हैं। सिनेमेटोग्राफर राज ए. चक्रवर्ती ने भी उल्लेखनीय काम किया है।

कुल मिलाकर इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है। परेश रावल के किरदार में और गुंजाइश थी और कहानी को और बेहतर तरीके से तार्किक अंत दिया जा सकता था। 

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