श्रीनगर में दरगाह में आग, स्थिति तनावपूर्ण
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श्रीनगर में दरगाह में आग, स्थिति तनावपूर्ण

जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में स्थित ऐतिहासिक पीर दस्तगीर साहिब दरगाह सोमवार सुबह आग की चपेट में आ गई। वैसे अधिकारियों ने कहा है कि दरगाह में रखे पीर दस्तगीर के अवशेष पूरी तरह से सुरक्षित है।

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में स्थित ऐतिहासिक पीर दस्तगीर साहिब दरगाह सोमवार सुबह आग की चपेट में आ गई। वैसे अधिकारियों ने कहा है कि दरगाह में रखे पीर दस्तगीर के अवशेष पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन लपटों में घिरने के बाद कुछ ही देर में दरगाह खाक हो गया। जानकारी के अनुसार, अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
दरगाह के आग की चपेट में आ जाने के बाद से तनाव की स्थिति है। पुराने शहर में पथराव करती भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच झड़पे हुईं। इसके बाद अधिकारियों को पूरे शहर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी।
पत्थराव में तीन लोग घायल हुए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ की हिंसा के बाद पुराने शहर में यातायात मार्ग बदला गया है। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस व लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा। भीड़ ने खानयार पुलिस थाने पर भी पत्थराव किया। इसी थाना क्षेत्र में पीर दस्तगीर साहिब की दरगाह है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।
अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पीर दस्तगीर साहिब दरगाह में सोमवार सुबह 6.30 बजे के आसपास आग लगी। दमकल की गाड़ियां तुरंत घटना स्थल पर पहुंच गई थीं। दो शताब्दी पुरानी यह दरगाह वास्तुशिल्प का अनूठा उदाहरण है। दरगाह का ज्यादातर हिस्सा लकड़ी का बना हुआ है, जो खान्तामबंद और लकड़ी की कारीगरी से सुसज्जित है।

आग लगने से नजदीक की एक निर्माणाधीन इमारत को भी नुकसान पहुंचा है। वैसे अब आग पर काबू पा लिया गया है। ग्यारहवीं शताब्दी के इस संत के प्रति कश्मीर के सभी धर्मावलम्बियों की श्रद्धा है। मुसलमान जहां इन्हें संत गौस-ए-आजम कहते हैं, तो हिंदू काहनूव संत कहते हैं।
अग्निशमन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहर के खानयार स्थान पर स्थित पीर दस्तगीर साहिब दरगाह में सुबह करीब 6.30 बजे आग लगी थी। आग पर काबू पाने के लिए वहां दमकल की दर्जनों गाड़ियां पहुंच गईं। यह 11वीं शताब्दी के संत पीर दस्तगीर साहिब की दरगाह है।
उन्होंने बताया कि आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। वहां लकड़ी के ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। आग लगने की वजह अभी पता नहीं चल सकी है।
प्रांतीय प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि अग्निरोधी कक्ष में रखे संत के सभी अवशेष सुरक्षित हैं। आग लगने पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दरगाह के नजदीक इकट्ठे हो गए। वे आग देखकर रो रहे थे। ग्यारहवीं शताब्दी के इस संत के प्रति कश्मीर के सभी धर्मावलम्बियों की श्रद्धा है। मुसलमान जहां इन्हें संत गौस-ए-आजम कहते हैं, तो हिंदू काहनूव संत कहते हैं। (एजेंसी)

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