`बालदस्ते के जरिये बच्चे बनने लगते हैं नक्सल लड़ाका`
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`बालदस्ते के जरिये बच्चे बनने लगते हैं नक्सल लड़ाका`

माओवादी हिंसा प्रभावित राज्यों में ‘बाल दस्ते’ से ही बच्चों के दुर्दान्त नक्सल लड़का बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। भाकपा-माओवादी अवयस्क लड़के और लड़कियों दोनों की भर्ती करते हैं।

नई दिल्ली : माओवादी हिंसा प्रभावित राज्यों में ‘बाल दस्ते’ से ही बच्चों के दुर्दान्त नक्सल लड़का बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। भाकपा-माओवादी अवयस्क लड़के और लड़कियों दोनों की भर्ती करते हैं।
गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि वामपंथी उग्रवादी समूह विशेषकर भाकपा-माओवादी बिहार, छत्तीसगढ, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्यों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जनजातीय बेल्ट से अवयस्कों अर्थात लडकों और लडकियों दोनों की भर्ती करते हैं। उन्होंने विलास मुत्तेमवार के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि बिहार और झारखंड में इन बच्चों को ‘बाल दस्ते’ में रखा जाता है और छत्तीसगढ एवं ओडिशा में इन बच्चों के दस्ते को ‘बाल संघम’ के रूप में जाना जाता है।
सिंह ने कहा कि जनजातीय बच्चों की भर्ती के पीछे का विचार उन्हें उनके समृद्ध परंपरागत सांस्कृतिक स्थलों से बहलाकर दूर ले जाना और उन्हें माओवादी विचारधारा की शिक्षा देना है। ऐसे बच्चों को मुखबिर के रूप में कार्य करने, लाठी जैसे गैर घातक हथियारों के साथ लडने जैसे बहुविधि कार्य कराये जाते हैं। उन्होंने कहा कि 12 साल की उम्र हासिल करने के बाद इन बच्चों को ‘चैतन्य नाट्य मंच’, ‘संघम’, ‘जन मिलिशिया’ और ‘दलम’ जैसी बच्चों की अन्य इकाइयों में शाखाबद्ध कर दिया जाता है। (एजेंसी)

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