भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार को चिट्ठी लिखकर भारतीयों के जमा काले धन का ब्योरा मांगा
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भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार को चिट्ठी लिखकर भारतीयों के जमा काले धन का ब्योरा मांगा

भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार को चिट्ठी लिखकर स्विस बैंकों में जमा भारतीय नागरिकों के काले धन की जानकारी मांगी है। इससे पहले जब खबर आई थी कि स्विट्जरलैंड सरकार ने ऐसे संदिग्ध भारतीयों की सूची तैयार की है जिन्होंने काला धन स्विस बैंकों में जमा किया हुआ है।

भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार को चिट्ठी लिखकर भारतीयों के जमा काले धन का ब्योरा मांगा

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार को चिट्ठी लिखकर स्विस बैंकों में जमा भारतीय नागरिकों के काले धन की जानकारी मांगी है। इससे पहले जब खबर आई थी कि स्विट्जरलैंड सरकार ने ऐसे संदिग्ध भारतीयों की सूची तैयार की है जिन्होंने काला धन स्विस बैंकों में जमा किया हुआ है और इसका ब्योरा भारत सरकार के साथ साझा किया जाएगा। तब वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा था, स्विट्जरलैंड सरकार से औपचारिक जानकारी नहीं मिली है। स्विस बैंक को चिट्ठी लिखकर डिटेल मांगेंगे।

भारत ने स्विटजरलैंड में काला धन जमा कराने वाले भारतीयों के नाम  और खातों की जानकारी के बारे में वहां की सरकार से फिर आग्रह किया है। काले धन के खिलाफ अपने प्रयासों का विस्तार करने हुए सरकार ने इस बारे में स्विटजरलैंड को फिर पत्र लिखा है।

स्विटजरलैंड सरकार के एक अधिकारी ने हाल ही में कहा था कि उनका देश उन लोगों व इकाइयों की जानकारी भारत को स्वत: देने को तैयार है जिन पर संदेह है कि उन्होंने अपना काला धन वहां जमा कराया है। इस बयान के बाद वित्त मंत्रालय ने स्विटजरलैंड की सरकार को नए सिरे से आग्रह किया है।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हमने इस बारे में ब्यौरा मांगते हुए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखा है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस तरह का कदम उठाने का वादा किया था। अधिकारी ने कहा कि इस आशय के आग्रह पत्र में मौजूदा द्विपक्षीय संधियों व दोनों देशों पर लागू वैश्विक प्रोटोकाल का हवाला दिया गया है।

स्विटजरलैंड के सचिवालय (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामले) के प्रवक्ता ने बाद में कहा कि स्विस अधिकारी इस बारे में भारतीय अधिकारियों के संपर्क में हैं और स्विटजरलैंड कर चोरी के खिलाफ लड़ाई में भारत की नई सरकार के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है।

उधर, काले धन पर विशेष जांच दल (SIT) ने विभिन्न एजेंसियों से कर चोरी और आपराधिक वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित मामलों का ब्यौरा मांगा है। इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश के लिए काम कर रही विभिन्न एजेंसियों से SIT ने ऐसे मौजूदा मामलों का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश SIT ने दिया है जिनकी फिलहाल जांच चल रही है।

सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज एम बी शाह की अगुवाई वाले विशेष जांच दल ने अपने पैनल के 11 विभागों से इन मामलों का ब्यौरा मांगा है और जांच की स्थिति के बारे में पूछा है। साथ ही इन एजेंसियों से इन मामलों को अभियोजन या जुर्माने के लिए आगे ले जाने में आने वाली दिक्कतों के बारे में भी पूछा गया है।

SIT के सदस्य विभागों व एजेंसियों में राजस्व विभाग (वित्त मंत्रालय के तहत), रिजर्व बैंक, खुफिया ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, आयकर विभाग, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, राजस्व खुफिया निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई, शोध एवं अनुसंधान इकाई (रॉ), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के तहत आने वाले विदेशी कर और कर अनुसंधान शाखा शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि संबंधित विभाग एक तय फार्मेट में SIT को यह ब्योरा सौंपने की प्रक्रिया में हैं। इन पर SIT की अगली बैठक में विचार किया जाएगा। यह बैठक संभवत: अगले महीने किसी समय होगी। रिजर्व बैंक ने हाल में सभी बैंकों व वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे इस उच्च स्तरीय समिति द्वारा मांगी गई सभी सूचनाएं व दस्तावेज उपलब्ध कराएं। SIT का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया है। इसकी पहली बैठक इसी महीने वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक में हुई थी।

SIT ने भारत की स्विट्जरलैंड व अन्य देशों के साथ कर संधियों में विवाद वाले गोपनीयता के मुद्दे को भी देखने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज अरिजीत पसायत SIT के वाइस चेयरमैन हैं। इसके अलावा 11 प्रमुख एजेंसियों और विभागों के शीर्ष अधिकारी इसके सदस्य हैं।

उल्लेखनीय है कि स्विटजरलैंड की सरकार कथित (एचएसबीसी सूची) में उल्लिखित भारतीयों का नाम बताने का इच्छुक नहीं रहा है। यह सूची एक बैंक अधिकारी ने चुराई थी जो बाद में विभिन्न देशों के कर अधिकारियों तक पहुंच गई।

भारत के बार-बार के प्रयासों के बावजूद स्विटजरलैंड ने इस बारे में जानकारी नहीं दी है। तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इस बारे में स्विट्जरलैंड को कम से कम चार पत्र लिखे थे। हाल में ही स्विट्जरलैंड के एक अधिकारी ने कहा था कि स्विट्रलैंड की सरकार सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था के तहत वह भारत के साथ कालेधन के मामले में सहयोग को तैयार है। लेकिन इस यूरोपीय देश की सरकार इस बात पर अड़ी है कि वह किसी चुराई सूचना के आधार पर सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं कर सकती है।

स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के 283 बैंकों में विदेशी ग्राहकों का कुल जमा धन 1,600 अरब डॉलर ही है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन बढ़कर 2.03 अरब स्विस फ्रैंक (14,000 करोड़ रुपए) पर पहुंचने के बारे में उन्होंने कहा कि यह धन उन ग्राहकों का है जिन्होंने खुद को भारतीय घोषित किया है ऐसे में इसके गैरकानूनी धन होने की संभावना नहीं है।

स्विस सरकार एचएसबीसी की सूची के आधार पर भारतीयों का ब्योरा देने से लगातार इनकार करती रही है। यह सूची एक बैंक कर्मचारी ने चुराई थी और बाद में यह भारत सहित अन्य देशों के कर अधिकारियों के पास पहुंच गई। भारत के कई बार आग्रह करने के बावजूद स्विट्जरलैंड ने सूचना देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसका स्थानीय कानून गैर कानूनी तरीके से प्राप्त सूचना के आधार पर ब्योरा देने से रोकता है।

एचएसबीसी की इस कथित सूची में बैंक की स्विस इकाई में काला धन रखने वाले भारतीयों और अन्य देशों के लोगों का नाम था। भारत उन 36 देशों में शामिल है जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार प्रशासनिक सहयोग प्रदान करने की संधि की हुई है।

   

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