मिजोरम में स्थानीय मुद्दे रहेंगे भारी
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मिजोरम में स्थानीय मुद्दे रहेंगे भारी

हर चुनाव अपने पिछले चुनाव से नया और चुनौतियों से भरा होता है और प्रत्येक नेता को अगला चुनाव जीतने में नई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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हर चुनाव अपने पिछले चुनाव से नया और चुनौतियों से भरा होता है और प्रत्येक नेता को अगला चुनाव जीतने में नई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही तस्वीर मिजोरम में भी है। कांग्रेस राज्य में दोबारा सत्ता में आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है तो तीन पार्टियों का अलायंस जनता को नया विकल्प देने को आतुर है।
इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) के ललथनहवला ने जनता के समक्ष विकास के कार्यक्रम को रखा है तो मिजोरम डेमोक्रेटिक अलायंस जिसमें मिजोरम नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस और मारालैंड डेमोक्रेटिक फ्रंट शामिल हैं, स्थानीय मुद्दों को अपने एजेंडे में जगह देकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
विधानसभा की 40 सीटों वाले राज्य में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 11 सीटों पर चुनाव ल़डने का फैसला किया है। भाजपा कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन कर सकती है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने लोगों से उसे दोबारा सत्ता में भेजने की अपील की है ताकि वह अपने विकास के कार्यक्रमों को जारी रख सके। कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में विकास के लिए जरूरी है कि लोग एक बार फिर उस पर विश्वास जताएं। कांग्रेस ने लोगों को राज्य में अपनी न्यू लैंड यूस पॉलिसी को जारी रखने का फैसला किया है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दो विधायकों को छोड़ अपने सभी 32 विधायकों को दोबारा टिकट दिया है। कांग्रेस विधानसभा की सभी 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है।
जबकि मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने लोगों से वादा किया है कि वह सरकारी नौकरियों में भाई-भतीजावाद को चलने नहीं देगी। एमएनएफ ने कहा है कि राज्य में उसकी सरकार बनने पर वह सरकारी नौकरियों में युवाओं को तरजीह देगी। सरकारी नौकरियों में भर्ती के समय पूरी तरह से निष्पक्षता बरती जाएगी।
एमएनएफ ने राजनेताओं एवं नौकरशाहों की अनुशंसा पर सरकारी नौकरियों में होने वाली भर्तियों पर रोक लगाने का वादा किया है। पूर्व मंत्री आर ललथांगलियाना, लियांसुआमा एवं पूर्व विधायक ललछंदामा राल्टे ने मतदाताओं को भरोसा दिया है कि राज्य स्तर पर लोकायुक्त, भ्रष्टाचार निरोधक इकाई का गठन किया जाएगा। इन प्राधिकरणों के पास मुख्यमंत्री, मंत्री सहित सरकारी कर्मचारियों और नौकरशाहों की जांच करने का अधिकार होगा। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह मिजो जातियां जो अलग-अलग धड़ों में बंटी हुई हैं, उन्हें एकजुट करने का प्रयास करेगी।
विपक्षी पार्टी ने वेहिकुलर रोड टैक्स के ‘लाइफ टाइम पेमेंट’ को खत्म करने का वादा किया है। पार्टी का कहना है कि इस टैक्स ने आम आदमी और वाहन मालिकों पर काफी ज्यादा आर्थिक बोझ बढ़ाया है।
मिजोरम में रेयांग जनजाति का पुनर्वास का मसला अहम है। त्रिपुरा दो साल के अंतराल के बाद रेयांग जनजाति शरणार्थियों को वापस मिजोरम भेजना शुरू किया है। जबकि शरणार्थी नेताओं के अनुसार जबतक मिजोरम सरकार शरणार्थियों की मांगे मान नहीं लेती तब तक ज्यादातर शरणार्थी वापस जाने के इच्छुक नहीं हैं।
यह जनजाति पिछले 16 वर्षों से त्रिपुरा के छह शरणार्थी शिविरों में रहती आ रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में मिजोरम सरकार से 37000 जनजाति शरणार्थियों को जिन्हें स्थानीय तौर पर ब्रू नाम से जाना जाता है, उन्हें वापस बुलाने के लिए कहा है। यह जनजाति उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर सब डिवीजन में रहती है। ब्रू लोग 1997 में जातीय हिंसा फैलने पर अपने गांव छोड़कर त्रिपुरा चले गए थे। हालांकि, ब्रू जनजाति की वापसी विधानसभा चुनावों के संपन्न होने तक रोक दी गई है।
मिजोरम में मतदान 25 नवंबर को और मतगठना नौ दिसंबर को होगी। 25 नवंबर को होने वाले चुनाव में 6,86,305 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए 1126 मतदान केंद्रों की व्यवस्था की जाएगी जिनमें से 94 मतदान केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया है।

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