'भारत और अमेरिका को करीब लाने में कोंडोलीजा राइस की अहम भूमिका'
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'भारत और अमेरिका को करीब लाने में कोंडोलीजा राइस की अहम भूमिका'

अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा है कि पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका को करीब लाने में तथा दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार में अहम भूमिका निभाई।

'भारत और अमेरिका को करीब लाने में कोंडोलीजा राइस की अहम भूमिका'

वॉशिंगटन : अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा है कि पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका को करीब लाने में तथा दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार में अहम भूमिका निभाई।

विदेश मंत्रालय में राइस की एक तस्वीर के अनावरण समारोह में विदेश मंत्री जॉन केरी ने जनवरी 2005 से जनवरी 2009 के बीच अपनी पूर्ववर्ती रहीं राइस द्वारा की गई राजनयिक पहलों की सराहना की। केरी ने कहा, ‘चार साल में उन्होंने अपने दौरों में 10 लाख मील से अधिक दूरी तय की। लगभग हर दिन काम में लगी रहीं और दुनिया ने उनकी उपस्थिति महसूस की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कूटनीति हमेशा से अमेरिका का अहम पहलू बना रहे और विदेश मंत्रालय अमेरिका की विदेश नीति का केंद्र बने।’

केरी ने कहा, ‘इस तरह राइस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका को करीब लेकर आईं तथा बरसों की कड़वाहट समाप्त करते हुए एक असैन्य परमाणु करार को हकीकत का रूप दिया।’

केरी ने कहा, ‘इस तरह काम कर ही उन्होंने पहली बार जर्मनी में अमेरिका समेत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी पांच सदस्यों को एकजुट किया और सब ने एकस्वर में परमाणु शक्ति संपन्न ईरान के अस्वीकार होने की बात कही। उन्होंने लेबनान में जारी युद्ध खत्म करने के लिए भी बेहतरीन कोशिश की।’ अमेरिका की 66 वीं विदेश मंत्री रहीं राइस के बाद हिलेरी क्लिंटन और उनके बाद जॉन केरी विदेश मंत्री बने।

इस मौके पर राइस ने कहा कि अमेरिका में एक सार्वभौमिक विचार है कि हम लोगों को समावेशी धारणा के साथ चलना चाहिए ना कि किसी एक धर्म, राष्ट्रीयता या नस्ल तक सीमित रहना चाहिए। राइस ने कहा कि यह समय बहुत कठिन समय है जब खास तौर पर पश्चिम एशिया में लोग बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार से हम अमेरिकियों को उन लोगों के साथ ज्यादा धर्यवान होना चाहिए जो स्थायी लोकतंत्र की दिशा में अपनी राह तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।’

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