नवाज शरीफ तीसरी बार संभालेंगे पाकिस्तान की कमान!
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नवाज शरीफ तीसरी बार संभालेंगे पाकिस्तान की कमान!

तालिबान की धमकियों और बम हमलों के बीच पाकिस्तान के आम चुनाव में हुए भारी मतदान में पीएमएल एन ने शानदार सफलता हासिल की है और नवाज शरीफ तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की कमान संभालने की ओर बढ़ रहे हैं।

ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी
इस्लामाबाद/लाहौर : तालिबान की धमकियों और बम हमलों के बीच पाकिस्तान के आम चुनाव में हुए भारी मतदान में पीएमएल एन ने शानदार सफलता हासिल की है और नवाज शरीफ तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की कमान संभालने की ओर बढ़ रहे हैं। पीएमएल एन ने ऐतिहासिक आम चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को बहुत पीछे छोड़ दिया है।
संसद की 272 सीटों पर हुए चुनाव में मिले रूझानों से पता चलता है कि पीएमएल 130 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने जा रही है जबकि इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी काफी पीछे हैं और क्रमश: उनके खाते में 34 और 32 सीटें आ रही हैं।
लाखों पाकिस्तानियों ने तालिबान की धमकियों और हिंसा के बावजूद मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और इसी की बदौलत पीएमएल एन राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता में वापसी करती दिख रही है। चुनावी हिंसा ने देश में 50 लोगों की जान ली है। देश के 66 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण हो रहा है।
शरीफ ने कल देर रात गृहनगर लाहौर में अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी की जीत का दावा किया और लोगों से कहा कि वह उनकी पार्टी को ‘पूर्ण बहुमत’ मिलने की दुआ करें ताकि उन्हें एक कमजोर गठबंधन का नेतृत्व ना करना पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘नतीजे अभी आ ही रहे हैं लेकिन यह बात तय है कि पीएमएल-एन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।’’
शरीफ ने कहा, ‘‘मैं आपसे यह दुआ करने के लिए कहता हूं कि सुबह आने वाले नतीजों में पीएमएल-एन को बिना किसी बाहरी समर्थन के सरकार बनाने का मौका मिले और पार्टी को किसी और का समर्थन ना जुटाना पड़े।’’ पीएमएल एन के शानदार प्रदर्शन से शरीफ के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों और 11 सीटों पर आगे चल रहे जमायत ए उलेमा ए इस्लाम जैसे छोटे दलों के सहयोग से सरकार बनाना संभव होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा संभव है कि 12 सीटों पर आगे चल रही मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पीएमएल एन को समर्थन दे दे।
साधारण बहुमत के लिए किसी दल या गठबंधन को नेशनल असेम्बली की 272 सीटों पर हुए चुनाव के बाद 137 सीटें हासिल करनी होंगी। अन्य 70 सीटें महिलाओं और गैर मुस्लिमों के लिए आरक्षित हैं और ये चुनावी प्रदर्शन के अनुसार विभिन्न दलों के खाते में जाएंगी।
342 सदस्यीय नेशनल असेम्बली में बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को 172 सीटों की जरूरत होगी। पीएमएल एन देश के सर्वाधिक आबादी वाले पंजाब प्रांत में भी सरकार बनाने जा रही है जहां वह प्रांतीय असेम्बली की 297 सीटों में से 188 पर आगे चल रही है।
दक्षिणी सिंध प्रांत में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और उसकी सहयोगी एमक्यूएम क्रमश: 66 और 15 सीटों पर आगे चल रहे हैं और 130 सदस्यीय प्रांतीय असेम्बली में आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
उधर अवामी नेशनल पार्टी का खबर पख्तूनख्वा प्रांत में सफाया हो गया है और वह केवल तीन सीटों पर आगे चल रही है जबकि पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी 31 सीटें हासिल करने वाली है ।
बलूचिस्तान के रूझान उपलब्ध नहीं हैं लेकिन दक्षिणी पश्चिमी प्रांत में पीएमएल एन, पश्तूनख्वा मिली अवामी पार्टी और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी मेंगाल के अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है। कई पूर्व मंत्रियों समेत पीपीपी के कई शीर्ष नेता और एएनपी तथा पीएमएल क्यू जैसे सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेता पंजाब और खबर पख्तूनख्वा में हार गए हैं।
शरीफ ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान किए गए सभी वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता जतायी है जिनमें बिजली कटौती की समाप्ति, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना तथा भ्रष्टाचार से निजात दिलाना भी शामिल है।
दो बार प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ ने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए सभी राजनीतिक दलों से पीएमएल एन के साथ मिल बैठकर पाकिस्तान की समस्याओं का हल ढूंढने का भी आह्वान किया है।
संभवत: इमरान खान को इंगित कर की गयी टिप्पणी में शरीफ ने कहा, ‘‘ मैंने कभी किसी को गाली गलौच नहीं किया लेकिन मैं उन्हें माफ करता हूं जिन्होंने मेरे साथ ऐसा किया।’’ इमरान खान ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान पीएमएल नेताओं पर निजी हमले किए थे।
सूत्रों ने बताया कि पीएमएल एन को सरकार बनाने के बाद पीपीपी के साथ काम करने से भी परहेज नहीं होगा क्योंकि पार्टी नेता इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के साथ किसी प्रकार का गठबंधन करने के मूड में नहीं हैं।
63 वर्षीय शरीफ 1990 से 1993 और 1997 से 1999 तक प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन अपना कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। पहली बार भ्रष्टाचार के आरोपों में और दूसरी बार परवेज मुशर्रफ की अगुवाई में हुए सैन्य तख्तापलट में । 1999 में तख्तापलट के बाद शरीफ को जेल में डाल दिया गया और निर्वासन में सउदी अरब भेज दिया गया।
वह 2008 के चुनाव से कुछ ही समय पहले पाकिस्तान लौटे और अपनी पार्टी को फिर से खड़ा किया जो पंजाब में भी सत्ता में लौटी । पंजाब देश का सबसे घनी आबादी वाला और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत है क्योंकि संसद के निचले सदन की आधे से अधिक सीटें इसी प्रांत में हैं।
पाकिस्तान चुनाव में कल भारी मतदान हुआ। मतदाताओं की बड़ी संख्या के मद्देनजर निर्वाचन आयोग को कल मतदान का समय एक घंटे के लिए बढ़ाना पड़ा जो समय खत्म होने के बावजूद मतदान केंद्रों के बार लाइन लगाए खड़े थे। अधिकारियों का अंदाजा है कि 60 फीसदी मतदान हुआ।
प्रतिबंधित तहरीक ए तालिबान की हमलों की धमकियों के बावजूद देशभर में हजारों मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं की लंबी लंबी कतारें लगी थीं। तालिबान ने धमकी दी थी कि वह चुनाव को निशाना बनाएगा क्योंकि ये चुनाव लोकतंत्र की ‘‘काफिर व्यवस्था’’ का हिस्सा हैं।
पीपीपी की निवर्तमान सरकार देश के इतिहास की पहली ऐसी सरकार है जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। पूर्व में सेना सरकारों का तख्ता पलटती रही है और 66 साल के इतिहास में आधे से अधिक समय तक देश पर सेना का शासन रहा है। पाकिस्तान में चुनावों में आमतौर पर मतदान का प्रतिशत काफी कम रहता है और 2008 के चुनाव में केवल 44 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे।

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