New Home: नया घर खरीदने से पहले रहें सावधान! इस मामले में लोगों पर पड़ सकता है असर
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New Home: नया घर खरीदने से पहले रहें सावधान! इस मामले में लोगों पर पड़ सकता है असर

Home Buy: होम लोन उन लोगों के लिए काफी काम आ सकता है जो लोग नया घर खरीदना चाहते हैं. हालांकि होम लोन लेते वक्त लोगों को कई अहम बातों का भी ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में एक सर्वे भी सामने आया है, जिसमें ये बताया गया कि अगर होम लोन पर ब्याज बढ़ाया जाता है तो लोगों के जरिए घर खरीदने का फैसला प्रभावित होगा.

New Home: नया घर खरीदने से पहले रहें सावधान! इस मामले में लोगों पर पड़ सकता है असर

Home Loan: खुद का घर होना हर किसी का सपना होता है. हालांकि इस सपने की पूर्ति हर कोई शख्स नहीं कर पाता है क्योंकि खुद का घर होना आर्थिक तौर पर काफी बड़ा फैसला होता है. ऐसे में कई लोग घर खरीदने के लिए लोन लेते हैं. बैंकों से होम लोन आसानी से लोगों को मिल जाते हैं और आवेदन करने की प्रक्रिया भी सरल है. अगर बैंकों से होम लोन लिया जाता है तो लोगों को उस पर ब्याज भी चुकाना होता है. हालांकि अब होम लोन के ब्याज के कारण आम जनता पर काफी असर पड़ सकता है.

घर खरीदना
घर खरीदने की योजना बना रहे लोगों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि अगर होम लोन पर ब्याज दर बढ़ाकर 9.5 प्रतिशत से ज्यादा की जाती है, तो घर खरीदने को लेकर उनका फैसला प्रभावित होगा. रियल एस्टेट परामर्श कंपनी एनारॉक ने एक शोध रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. एनारॉक ने ऑनलाइन ‘उपभोक्ता धारणा सर्वेक्षण’ में 5,218 लोगों को शामिल किया.

होम लोन
इस सर्वे के मुताबिक, लोग मध्यम और प्रीमियम खंड के मकान खरीदना चाहेंगे. ज्यादातर लोग थ्री बीएचके (बेडरूम, हॉल, किचन) फ्लैट खरीदना चाहते हैं. सर्वे के अनुसार, उच्च मुद्रास्फीति ने 66 प्रतिशत लोगों की खर्च योग्य आमदनी को प्रभावित किया है. एनारॉक ने कहा, “सर्वेक्षण में शामिल 98 प्रतिशत लोगों का मानना है कि होम लोन पर ब्याज में कोई बढ़ोतरी या ब्याज दर के 9.5 प्रतिशत से ऊपर जाने से घरों की बिक्री पर बहुत असर पड़ेगा.”

आरबीआई
इसके साथ ही कहा गया कि होम लोन पर इस समय औसत ब्याज दर 9.15 प्रतिशत है. पिछले डेढ़ साल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जरिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए प्रमुख नीति दर बढ़ाने के साथ होम लोन पर ब्याज दर लगभग 2.5 प्रतिशत तक बढ़ गई है. ऐसे में अगर होम लोन पर ब्याज बढ़ता है तो लोगों को ज्यादा पैसा ब्याज के रूप में भुगतान करना होगा, जिससे लोगों की पॉकेट पर भी असर पड़ेगा. (इनपुट: भाषा)

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