Kerala: चाय की गुमटी चलाकर गुजर-बसर करती हैं 91 साल की अम्मा, लोगों ने यूं किया हौसले को सलाम
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Kerala: चाय की गुमटी चलाकर गुजर-बसर करती हैं 91 साल की अम्मा, लोगों ने यूं किया हौसले को सलाम

Kerala News: थंगम्मा ने मीडिया से कहा, ‘एक सड़क हादसे में हमने सब कुछ खो दिया था. हमें दोबारा से सब कुछ शुरू करना पड़ा. पंचायत (Panchayat) हमारी दुर्दशा के बारे में जानती है. इसलिए हम उनकी इजाजत से ये स्टाल चला रहे हैं. अम्मा के इसी हौसले की कहानी सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल है.

सांकेतिक तस्वीर

Kerala viral story: केरल के अलप्पुझा जिले के देवीकुलंगारा गांव में 91 वर्षीय थंगम्मा एक अस्थायी गुमटी पर सुबह पांच बजे चाय बनाने के साथ रोजी-रोटी कमाने के लिए रोज़मर्रा के अपने संघर्ष की शुरुआत करती हैं. जिंदगी जीने की जद्दोजहद में जारी कोशिशों में उनकी बेटी वसंतकुमारी (68) उनकी सहायता करती हैं. अम्मा की दुकान से दोपहर दो बजकर 30 मिनट के बाद विभिन्न स्वादिष्ट नाश्तों की सुगंध आती हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के वड़े से लेकर केले के पकौड़े जैसे बेहतरीन और लजीज स्वाद वाली कई डिश शामिल होते हैं.

हौसले को सलाम

थंगम्मा ने मीडिया से कहा, ‘एक सड़क हादसे में हमने सब कुछ खो दिया था. हमें दोबारा से सब कुछ शुरू करना पड़ा. पंचायत हमारी दुर्दशा के बारे में जानती है. हम उनकी अनुमति से यहां यह गुमटी चला रहे हैं. सुबह हम केवल चाय बेचते हैं. अपराह्न दो या ढाई बजे के बाद हम नाश्ता बनाना शुरू करते हैं. शाम तक सब कुछ बिक जाता है. मैं अपनी दवा लेने के बाद हर हाल में रात नौ साढ़े नौ बजे तक दुकान बंद कर देती हूं. दिनभर में हम जितने पैसे कमाते हैं, उससे हमें पहले दूध के लिए भुगतान करना पड़ता है और फिर दूसरी दुकानों से खरीदी गई आपूर्ति के पैसे देने होते है. इसी तरह हम अपने रोज का गुजर-बसर करते हैं.'

रहने को नहीं अपना घर

उन्होंने कहा कि चाय डिब्बा बंद दूध का उपयोग करके नहीं बनाई जाती है. इसके बजाय वे गाय के दूध का उपयोग करती हैं. 91 वर्षीय महिला ने कहा कि वह पिछले 17 साल से गुमटी चला रही हैं और इसके बिना वे भूखे मर जाएंगे. उनके पास कोई घर या ज़मीन नहीं है और वे किराए के मकान में रहती हैं.

इस बात का अफसोस

वृद्ध महिला ने कहा कि पंचायत ने घर बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए एक निश्चित राशि आवंटित की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है और उनके पास इसमें जोड़ने के लिए कोई पैसा नहीं है. चाय की दुकान से होने वाली कमाई के अलावा उनकी आय का एकमात्र अन्य स्रोत किसान को मिलने वाली 1,600 रुपये की पेंशन है, जिसका उपयोग वह दवाइयां आदि खरीदने के लिए करती हैं.
उन्होंने नम आंखों से कहा, 'बच्चों के पास मेरी मदद करने के लिए कुछ भी नहीं है.'

सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ

अम्मा की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग बुढ़ापे के इस पड़ाव में थंगम्मा के इतने एक्टिव होने पर उनके हौसले की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. बूढ़ी अम्मा के इस डेली रुटीन की चर्चा इंटरनेट के जरिए केरल की गलियों से बाहर निकलकर देशभर में हो रही है. ऐसे में कुछ लोग उन्हें सरकारी मदद दिलाने की मांग कर रहे हैं. तो कई लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं.

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