Beer: असली बीयर में मूंगफली के दाने क्यों नाचने लगते हैं? पता चल गया है..जान लीजिए
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Beer: असली बीयर में मूंगफली के दाने क्यों नाचने लगते हैं? पता चल गया है..जान लीजिए

Real Beer: खास बात यह भी है कि अगर मूंगफली का दाना बीयर में डालते ही डांस करने लगे तो समझ जाइए कि वह असली बीयर है. यानी कि आप नकली और असली बीयर में फर्क भी निकाल सकते हैं. फिलहाल तो यह जान लीजिए कि आखिर मूंगफली का दाना क्यों बीयर में तैरने लगता है.

Beer: असली बीयर में मूंगफली के दाने क्यों नाचने लगते हैं? पता चल गया है..जान लीजिए

Peanut Dancing In Beer: बीयर बहुत लोग पीने है, इसके नफा-नुकसान पर चर्चा जरूर होती रहती है लेकिन बीयर पीने वाले काफी लोग शायद ये नहीं जानते हैं कि अगर बीयर के गिलास में मूंगफली का दाना डाला जाए तो वह डांस करने लगता है. इसका कारण काफी चौंकाने वाला है. असल में बीयर के भरे हुए गिलास में मूंगफली का दाना डाला जाए तो वो पहले नीचे जाएगा, फिर ऊपर आ जाएगा. इसके बाद मूंगफली का दाना बीयर की ऊपरी सतह पर इधर-उधर भागने लगता है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इसका कारण पता लगाने की कोशिश की है और कई हैरतअंगेज बातें बताई हैं. बताया गया कि वैसे तो मूंगफली और उसके दाने बीयर से भारी होते हैं, शायद इसलिए वह पहले बीयर में डूब जाते हैं लेकिन फिर एक-एक करके उसके दाने ऊपर आने लगते हैं. मूंगफली एक ‘न्यूक्लिएशन साइट' बन जाती है. इसी दौरान कार्बन डाई ऑक्साइड के छोटे-छोटे काफी बुलबुले बनते हैं और वे सतह की ओर बढ़ते हैं.

इन्हीं बुलबुलों की वजह से हवा का दबाव कम होता है और मूंगफली के दाने बुलबुलों के साथ ऊपर की ओर आ जाती हैं. ये बुलबुले गिलास की सतह पर बैठने के बजाए मूंगफली के दाने की सतह पर बनते हैं. जब वे सतह पर पहुंचते हैं, तो फूट जाते हैं. बुलबुला फूटता है, तो दाने नीचे जाने लगते हैं. जबकि ठीक इसी दौरान नया बुलबुला उसे ऊपर ले आता है. इस तरह ये दाने मूव करने लगते हैं. 

आम बोलचाल में इसी मूवमेंट को मूंगफली के दाने का डांस कहा जाने लगा. एक अन्य इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह डांस तब तक चलता रहता है, जब तक कि कार्बन डाई ऑक्साइड खत्म नहीं हो जाती और बुलबुला बनना खत्म नहीं होता है. यह भी उदाहरण दिया गया है कि लौह अयस्क से लोहा अलग करने की प्रक्रिया लगभग ऐसी ही होती है. अयस्क के मिश्रण में हवा छोड़ी जाती है. मिश्रण में मौजूद लोहा ऊपर उठने लगता है क्योंकि बुलबुले उसकी सतह पर जा बनते हैं और ऊपर की ओर उठने लगते हैं. तब बाकी खनिज, सतह की ओर बैठने लगते हैं.

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