चीन सीमा पर सड़क-पुल के निर्माण कार्य आ सकती है रुकावट, BRO मजदूरों की हड़ताल की चेतावनी
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चीन सीमा पर सड़क-पुल के निर्माण कार्य आ सकती है रुकावट, BRO मजदूरों की हड़ताल की चेतावनी

बीआरओ देश के 21 राज्यों में कुल 17 टास्क फोर्स के ज़रिए लगभग 33000 किलोमीटर सड़कों और 12000 मीटर से ज्यादा पुलों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः चीन की सीमा पर रणनीतिक रूप से बेहद ज़रूरी इन्फ्रास्ट्रक्टर बनने के काम में रुकावट आ सकती है. सीमा पर सड़क और पुल बनाने के लिए ज़िम्मेदार बॉर्डर रोड आर्गेनाइज़ेशन यानि बीआरओ के करीब 2 लाख से ज्यादा दिहाड़ी मज़दूर काम रोकने का मन बना रहे हैं. चीन की सीमा पर ज़रूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत पहले ही चीन से बहुत पीछे है. गुरुवार से बीआरओ मज़दूर यूनियन दिल्ली में जंतर-मंतर पर दो दिन का अनशन करेगी.

1960 में सीमा खासतौर पर हिमालय के दुर्गम पहाड़ी इलाक़ों में सेना के लिए ज़रूरी सड़कें और पुल बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाले बीआरओ का गठन किया गया था. इसमें काम करने के लिए सेना के अलावा बड़ी तादाद में स्थानीय दिहाड़ी मज़दूर भर्ती किए जाते हैं.

बीआरओ मज़दूर यूनियन के नॉर्थ-ईस्ट रीजन के अध्यक्ष लेकी सेरिंग का कहना है, ''इन मज़दूरों को 179 दिन के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर रखा जाता है ताकि इन्हें स्थाई न करना पड़े. इसके बाद दुबारा नया कॉन्ट्रेक्ट शुरू किया जाता है.  लेकिन 30-35 साल बीआरओ में काम करने वाले मज़दूरों को भी कभी नियमित नहीं किया जाता. इसलिए उन्हें किसी किस्म की सुविधा नहीं मिलती. "

हमें साल में केवल तीन दिन की छुट्टी मिलती है. यहां तक कि महिला मज़दूरों को Maternity Leave भी नहीं मिलती," सेरिंग ने आरोप लगाया. बीआरओ लेबर यूनियन गुरुवार से दिल्ली के जंतर-मंतर में दो दिन की भूख हड़ताल शुरू कर रही है और इस दौरान अरुणाचल प्रदेश में सभी दिहाड़ी मज़दूर भी काम नहीं करेंगे.

बीआरओ देश के 21 राज्यों में कुल 17 टास्क फोर्स के ज़रिए लगभग 33000 किलोमीटर सड़कों और 12000 मीटर से ज्यादा पुलों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है. अरुणाचल प्रदेश में कुल चार प्रोजेक्ट्स वर्तक, अरुणांक, ब्रह्मांक और उदयक पूरे राज्य में चीन की सीमा तक सैनिक आवागमन के लिए बेहद महत्वपूर्ण सड़कों का रखरखाव कर रहे हैं. इनमें तेज़पुर से तवांग तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने का काम सबसे महत्वपूर्ण है. चीन ने बहुत तेज़ी से काम करके अपनी सड़कों और रेलों का जाल भारतीय सीमा तक पहुंचा दिया है.

वहीं इन्फ्रास्ट्रक्टर के लिहाज़ से भारत बहुत पीछे हैं. 2005 में लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक 73 सड़कों को रणनैतिक महत्व का घोषित किया गया था और इन्हें 2012-13 तक पूरा करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन ये सारी सड़कें तय समय से कई साल पीछे चल रही हैं अब इन्हें पूरा करने की समय सीमा बढ़ाकर 2019-20 कर दी गई है. 

पिछले साल बीआरओ ने रणनैतिक रूप से महत्वपूर्ण 17 टनल (Tunnels) के निर्माण की घोषणा की है ताकि चीन की सीमातक सैनिक साजोसामान का आवागमन साल भर संभव हो. इनमें कारगिल को कश्मीर से जोड़ने वाली जोज़िला और अरुणाचल में तवांग को जोड़ने वाले सेला पास की सुरंग भी शामिल है. लेकिन लद्दाख को देश से सालभर जोड़ने वाली रोहतांग टनल का काम जो 2015 में पूरा होना था अब तक नहीं हो पाया है.     

 

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