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India Bhutan: भूटानी किंग ने पीएम मोदी के लिए यूं ही नहीं तोड़े सारे प्रोटोकॉल, चीन को दिया बड़ा संदेश

PM Modi Bhutan Visit News: अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद भूटान पहुंचे पीएम मोदी के स्वागत में वहां की सरकार ही नहीं बल्कि किंग ने भी तमाम प्रोटोकॉल तोड़ डाले. उन्हें न केवल घर में निजी भोज दिया बल्कि विदाई के वक्त खुद एयरपोर्ट पर उनके प्लेन तक गए. 

 

भूटानी पीएम के निमंत्रण पर हुआ दौरा

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भूटानी पीएम के निमंत्रण पर हुआ दौरा

पीएम मोदी का यह दौरान भूटानी पीएम के निमंत्रण पर हुआ था, जो हाल ही में भारत आए थे. उन्होंने पीएम मोदी से खास तौर पर आग्रह किया था कि वे चुनाव से पहले भूटान जरूर आएं. भूटान दौरे पर वहां के पीएम और जनता के साथ राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने भी उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया. इस दौरान पीएम मोदी को राजमहल में बुलाकर परिवार से मिलवाया गया. 

 

राजा ने अपने महल में दिया निजी भोज

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राजा ने अपने महल में दिया निजी भोज

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने उन्हें अपने राजमहल में लंच भी दिया. इतिहास में यह पहली बार हुआ, जब वहां के राजा ने किसी विदेशी अतिथि को अपने राजमहल में बुलाकर लंच दिया हो. पीएम मोदी को यह खास सम्मान देने के पीछे बड़ा संदेश छिपा था और वो ये था कि चीन की चालबाजियों के खिलाफ दोनों देश एक साथ खड़े हैं. 

 

चीन के खिलाफ साथ आ रहे दोनों देश

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चीन के खिलाफ साथ आ रहे दोनों देश

शी जिनपिंग के नेतृत्व में जब से विस्तारवादी चीन की भारत और भूटान के खिलाफ सरहद पर चालबाजियां बढ़ी हैं, तब से दोनों देशों में भी घनिष्ठता बढ़ गई है. भारत के साथ चीन का करीब 4 हजार किमी लंबी सरहद को लेकर विवाद है. पिछले 4 साल से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के 50- 50 हजार सैनिक भारी साजोसामान और हथियारों के साथ आमने-सामने खड़े हैं.  

 

भूटान की जमीन पर भी चीन की नजर

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भूटान की जमीन पर भी चीन की नजर

भूटान के साथ भी चीन जानबूझकर अपना विवाद बढ़ा रहा है. दोनों के बीच विवाद का प्रमुख कारण चुंबी घाटी के किनारे पश्चिमी सेक्टर में 269 वर्ग किमी और दो उत्तरी क्षेत्र जकरलुंग एवं पसामलुंग घाटियां पर है. यह पूरी जमीन 495 वर्ग किलोमीटर की हैं, जिस पर चीन ने धीरे- धीरे अपना कब्जा कर लिया है. इसके साथ ही वह भूटान के डोकलाम ट्राई जंक्शन को भी अपना बताता है. 

चीन के इरादों को लेकर भूटान में डर

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चीन के इरादों को लेकर भूटान में डर

जब से चीन ने अपने पड़ोसी देश तिब्बत को हड़प लिया, तब से भूटान में भी उसके इरादों को लेकर डर बैठा हुआ है. उसके चीन के साथ राजनयिक संबंध नहीं है. भूटान चीन को मान्यता भी नहीं देता है. चीन के लोगों को आशंका है कि चीन एक दिन उस पर भी हमला करेगा और तिब्बत की तरह उसे भी हड़प लेगा. जैसे-जैसे चीन मजबूत हो रहा है, वैसे-वैसे यह डर भूटान के लोगों में बढ़ रहा है. 

 

केवल भारत से है भूटान को उम्मीद

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केवल भारत से है भूटान को उम्मीद

भूटान का यह डर अकारण नहीं है. चीन के निशाने पर लद्दाख और अरुणाचल के अलावा भूटान भी है. लेकिन उससे मुकाबले के लिए भूटान के पास कोई मजबूत सेना नहीं है. उसके पास छोटी सी संख्या में रॉयल भूटान आर्मी, रॉयल बॉडीगार्ड्स और रॉयल भूटान पुलिस हैं. उसके पास वायु सेना भी नहीं है. ऐसे में उसे चीन के हमले से कोई बचा सकता है तो वह है केवल भारत. 

 

भारत निभाएगा भूटान से सच्ची दोस्ती

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भारत निभाएगा भूटान से सच्ची दोस्ती

यही बड़ी वजह है कि वहां के राजा, सरकार और आम जनता अब भारत के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं. भारत भी इस बात की गंभीरता को समझ रहा है. चीन से मुकाबले के लिए भूटान और भारत किस कदर पास आ रहे हैं, यह इस बात से झलकता है कि पीएम मोदी को विदाई देने के लिए खुद किंग जिग्मे खेसर नामग्याल और भूटानी पीएम एयरपोर्ट तक गए और प्लेन पर चढ़कर उन्हें विदा किया. यह बेहद विरला सम्मान है, जो दुनिया में गिने-गुने नेताओं को ही नसीब होता है. लेकिन इस विदाई के पीछे चीन के पीछे बड़ा संदेश भी छिपा था.  

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