Ganga Saptami: क्‍यों गंगा को पी गए थे ऋषि? फिर दोबारा हुईं प्रकट, पढ़ें गंगा सप्‍तमी की रोचक कथा
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Ganga Saptami: क्‍यों गंगा को पी गए थे ऋषि? फिर दोबारा हुईं प्रकट, पढ़ें गंगा सप्‍तमी की रोचक कथा

Ganga Saptami 2024 Kab Hai: गंगा सप्तमी के दिन पवित्र नदी मां गंगा प्रकट हुई थीं. इस दिन गंगा स्‍नान करने और दान-पुण्य करने से जन्म-जन्मांतर तक पुण्य मिलता है. 

Ganga Saptami: क्‍यों गंगा को पी गए थे ऋषि? फिर दोबारा हुईं प्रकट, पढ़ें गंगा सप्‍तमी की रोचक कथा

Ganga Saptami Katha: हर साल वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्‍तमी मनाई जाती है. इस साल 14 मई 2024 को गंगा सप्‍तमी मनाई जाएगी. इस बार गंगा सप्‍तमी पर पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग का संयोग बन रहा है. इन शुभ योगों में गंगा स्‍नान करना, दान करना, पूजा-पाठ करने से सारे पाप धुल जाते हैं. साथ ही अपार धन, यश मिलता है. 

गंगा सप्तमी पर स्नान-दान 

पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 13 मई, 2024 को शाम 05:20 बजे से प्रारंभ होगी और 14 मई, 2024 को शाम 06:49 बजे समाप्‍त होगी. उदयातिथ‍ि के अनुसार 14 मई को गंगा सप्‍तमी मनाई जाएगी. इसी दिन स्‍नान-दान, गंगा पूजा की जाएगी. यदि गंगा नदी में स्‍नान नहीं कर पाएं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्‍नान कर लें. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान विष्‍णु के बैकुंठ धाम में स्‍थान मिलता है. 

दोबारा प्रकट हुई थीं गंगा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी को भागीरथ कड़ी तपस्‍या के बाद धरती पर लेकर आए थे. लेकिन गंगा नदी को दोबारा प्रकट होना पड़ा था. दरअसल एक बार महर्षि जह्नु तपस्या कर रहे थे. तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था. गुस्से में आकर अपने तप के बल से उन्‍होंने गंगा नदी के पूरे पानी को पी लिया था. बाद में क्रोध शांत होने पर उन्‍होंने अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था. गंगा सप्‍तमी के दिन ही गंगा दोबारा प्रकट हुईं थीं. महर्षि जह्नु के कान से बाहर आने के कारण गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है. 

गंगा सप्‍तमी के दिन जरूर करें ये काम 

गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्‍नान करने के साथ गंगा पूजा भी करनी चाहिए. इसके लिए गंगा नदी में स्‍नान करते समय या घर पर गंगाजल से स्‍नान करते समय मां गंगा का ध्‍यान करें. इसके बाद साफ वस्‍त्र पहनकर गंगा पूजा करें. घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. फिर देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. पुष्प अर्पित करें. भोग लगाएं और आखिर में मां गंगा की आरती करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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