एशियाई मुक्केबाजी: फाइनल में पहुंचे विकास, तीन मुक्केबाजों को कांस्य
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एशियाई मुक्केबाजी: फाइनल में पहुंचे विकास, तीन मुक्केबाजों को कांस्य

विश्व चैम्पियनशिप के पूर्व कांस्य पदक विजेता विकास कृष्ण (75 किग्रा) आज यहां एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र भारतीय रहे जबकि तीन अन्य मुक्केबाजों को सेमीफाइनल में हारने के बाद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

बैंकाक : विश्व चैम्पियनशिप के पूर्व कांस्य पदक विजेता विकास कृष्ण (75 किग्रा) आज यहां एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र भारतीय रहे जबकि तीन अन्य मुक्केबाजों को सेमीफाइनल में हारने के बाद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

विकास ने इराक के वहीद अब्दुलरिधा को 3-0 से हराया। वह फाइनल में कल उज्बेकिस्तान के बेकतेमीर मेलिकुझिएव से भिड़ेंगे। अन्य मुकाबलों में सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक), एल देवेंद्रो सिंह (49 किग्रा) और गत चैम्पियन शिव थापा (56 किग्रा) को कड़ी चुनौती पेश करने के बावजूद अपने सेमीफाइनल मुकाबलों में शिकस्त के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

शिकस्त के बावजूद सतीश, देवेंद्रो और शिव पहले ही अगले महीने होने वाली विश्व चैम्पियनशिप में अपनी जगह सुनिश्चित कर चुके हैं जो 2016 ओलंपिक का पहला क्वालीफायर है। आज मदन लाल (52 किग्रा) और मनोज कुमार (64 किग्रा) भी विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे क्योंकि इन्हें क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के जिन मुक्केबाजों ने हराया था वे आज फाइनल में पहुंच गए। मदन दूसरे वरीय शाखोबिदीन जोइरोव जबकि मनोज को फाजलिद्दीन गेबनाजारोव ने हराया था।

एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता विकास भारतीय मुक्केबाजों में सबसे आखिर में रिंग में उतरे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि आज के निराशाजनक दिन भारतीय टीम को खुशी मनाने का कुछ मौका मिले। आम तौर पर रक्षात्मक रवैया अपनाने वाले हरियाणा के विकास ने आज आक्रामक अंदाज अपनाया और अपने ताकतवर मुक्कों से वहीद को बैकफुट पर धकेल दिया।

भारतीय मुक्केबाज पहले दौर में पूरी तरह हावी रहा जबकि दूसरे दौर में उन्होंने विरोधी मुक्केबाज को काउंटर अटैक के लिए मजबूर करते हुए उसके डिफेंस की कमियों का पूरा फायदा उठाया। उन्होंने बायें हाथ से शानदार अपरकट लगाए। अंत में 23 साल के विकास जीत दर्ज करने में सफल रहे।

राष्ट्रीय कोच गुरबक्श सिंह संधू ने कहा, ‘उसकी (विकास) मुक्केबाजी बिलकुल क्लीन थी और उसके मुक्कों में ताकत थी। पहले दो दौर में दबदबा बनाने के बाद अंतिम राउंड में उसने दिखाया कि कैसे कुछ नया करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह काफी संतोषजनक प्रदर्शन है और मुझे खुशी है कि हमारे छह खिलाड़ी विश्व चैम्पियनशिप में जगह बनाने में सफल रहें।’ 

इससे पहले सतीश को कड़ी चुनौती पेश करने के बावजूद चीन के वैंग झिबाओ के खिलाफ 3-0 से शिकस्त का सामना करना पड़ा। संधू ने कहा, ‘यह बराबरी का मुकाबला था और इतने करीबी मुकाबले में हारना हमेशा निराशाजनक होता है।’ देवेंद्रो ने तो और बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन इसके बाववजूद वह उज्बेकिस्तान के शीर्ष वरीय हसनबाय दुस्मातोव से 1-2 से हार गए। 

इस दौरान उज्बेकिस्तान का मुक्केबाज भाग्यशाली रहा जब ज्यादा झुकने और कोहनी से देवेंद्रो को पीछे धकेलने की उसकी रणनीति पर रैफरी का ध्यान नहीं गया और उसे कोई चेतावनी नहीं मिली अन्यथा नतीजा कुछ और होता। संधू ने कहा, ‘यह दिल तोड़ने वाली हार थी। देवेंद्रो ने कड़ी टक्कर दी लेकिन जीत नहीं पाया। उसका प्रदर्शन शानदार था और मुझे उस पर गर्व है।’ 

दूसरी तरफ शिव शुरूआत में मजबूत स्थिति में होने का फायदा नहीं उठा पाए और उन्हें उज्बेकिस्तान के मुरोदजोन अखमादालिएव के खिलाफ 1-2 से हार का समाना करना पड़ा। यह गत चैम्पियन पहले दौर में हावी रहा लेकिन बाकी दो दौर में मुरोदजोन ने उनके डिफेंस को तोड़ते हुए शानदार वापसी करते हुए जीत दर्ज की।

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