B'DAY SPECIAL: टीम इंडिया का वह कप्तान, जो इंग्लैंड की ओर से भी खेल चुका है
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B'DAY SPECIAL: टीम इंडिया का वह कप्तान, जो इंग्लैंड की ओर से भी खेल चुका है

विज्जी किसी भी तरह से क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी नहीं थे. आंकड़े भी यही बताते हैं. इंग्लैंड दौरे पर खेले गए 3 टेस्ट मैचों में विज्जी ने 8.22 की औसत से 33 रन बनाए. 

विज्जी ने अपने रुतबे का इस्तेमाल कर 1936 में इंग्लैंड दौर के लिए टीम इंडिया की कप्तानी हासिल की (Represntative Image)

नई दिल्ली: विजयनगर के महाराज कुमार उर्फ विज्जी का जन्म 28 दिसंबर 1905 को हुआ. भारत की तरफ से खेलने वाले सभी क्रिकेटरों में विज्जी सबसे विवादास्पद रहे. औसत से भी निचली क्षमताओं वाले विज्जी ने अपने रुतबे का इस्तेमाल कर 1936 में इंग्लैंड दौर के लिए टीम इंडिया की कप्तानी हासिल की. भारतीय क्रिकेट इतिहास का यह ऐसा दौरा था, जिसे कभी कोई याद नहीं रखना चाहेगा. विज्जी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जो हर क्रिकेटर फैन को जाननी चाहिएः 

1. शाही विरासत: विज्जी का जन्म प्रिंसली स्टेट विजयनगर में हुआ जिसे आज आंध्र प्रदेश के नाम से जाना जाता है. वह महाराज के युवा पुत्र थे, इसीलिए गद्दीनशीं नहीं हो सकते थे, लिहाजा विज्जी वाराणसी चले गए, जिसे आज उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाता है.

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2. निकनेमः विज्जी का पूरा नाम विजय आनंद गजपति राजू था. क्रिकेट के दिनों में उन्हें नया नाम विज्जी मिला.  

3. रणजी ट्रॉफी के विरोधी: विज्जी ने रणजी ट्रॉफी का विचार सिरे से खारिज कर दिया था. वह इंग्लैंड के लिए खेले थे, इसलिए खुद को इंग्लिश क्रिकेटर कहलवाना पसंद करते थे. 

4. बनाई अपनी टीम: 1930 में विज्जी ने अपनी टीम बनाई-महाराजकुमार की विजयनगर 11, इस टीम में उन्होंने बड़े व्यापारियों की सेवाएं लीं. हर्बर्ट स्कक्लिफ और जैक होब्स ओपनिंग करते थे. कर्नल सीकी नायडू और एस मुश्ताक जैसे कुछ और महत्वपूर्ण व्यक्ति उनकी टीम में शामिल थे.  

5. कप्तानी की महत्वकांक्षाः विज्जी हमेशा ही भारत के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन बड़े स्तर पर, एक कप्तान के रूप में. 1932 में इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें टीम का उप कप्तान बना दिया गया. लेकिन उन्होंने दौरे पर जाने से इंकार कर दिया. इसके बाद कई सालों तक उन्होंने अनेक खेलों में अपनी किस्मत आजमाई और इंग्लैंड के अगले दौरे पर वह टीम के कप्तान बन गए.

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6. दयनीय प्रदर्शन: विज्जी किसी भी तरह से क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी नहीं थे. आंकड़े भी यही बताते हैं. इंग्लैंड दौरे पर खेले गए 3 टेस्ट मैचों में विज्जी ने 8.22 की औसत से 33 रन बनाए. गेंदबाजी वह करते ही नहीं थे. उस दौरे पर उनकी फर्स्ट क्लास औसत 16.25 थी. यह कहने की जरूरत नहीं है कि इसके बाद वह कभी टीम इंडिया में शामिल नहीं हो पाए.

7. अन्य खिलाड़ियों से मनमुटावः 1936 का इंग्लैंड दौरा भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे कटुतापूर्ण दौरा था. विज्जी की काबिलियत टीम के दूसरे कई सदस्यों-लाला अमरनाथ, सीके नायडू से कम थी. विज्जी ने अमरनाथ को अनुशासनात्मक कारणों से वापस भारत भेज दिया. नायडू से भी उनका विवाद हो गया. वास्तव में, बका जिलानी नायडू का अपमान करने के एवज में टेस्ट कैप मिली. विज्जी ने मुश्ताक अली को दूसरे टेस्ट में विजय मर्चेंट को रन आउट कराने के लिए भी कहा था. लेकिन दोनों के बीच 203 रनों की साझेदारी हुई. 

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8. विज्जी को कप्तानी से हटाया गया: भारतीय क्रिकेट में अमरनाथ विवाद के बाद एक कमेटी बनाई गई. इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद लाला अमरनाथ टीम इंडिया में वापस आए और विज्जी को कप्तानी से हटा दिया गया. 

9. स्पॉट फिक्सिंग: क्या विज्जी इतिहास के पहले स्पॉट फिक्सर थे? ऐसा कथित तौर पर कहा जाता है 1936 के इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने विपक्षी टीम के गेंदबाजों को फुल टॉस और आसान गेंदें फेंकने के लिए कहा ताकि विज्जी उन पर आसानी से रन बना सकें और उन्हें ईनाम के रूप में सोने की घड़ी मिल जाए. (कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया. हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं)

10. कानपुर का ग्रीन पार्कः विज्जी ने क्रिकेट से बाहर जरूर एक अच्छा काम किया. उनके प्रयासों से ही कानपुर का ग्रीन पार्क भारत का टेस्ट वेन्यू बना. 

11.  बीसीसीआई के अध्यक्ष बनेः विज्जी ने क्रिकेट प्रशासक के रूप में भी काम किया. वह 1954-57 के तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे. आश्चर्यजनक रूप से वह लाला अमरनाथ को टीम में वापस लाए वह भी कप्तान के रूप में. 

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12. कमेंटरी: बाद के जीवन में विज्जी कमेंटेटर बन गए. वह 1959 के इंग्लैंड दौरे पर बीबीसी के पैनल में रहे. हालांकि उनकी कमेंटरी बेहद बोरिंग रही. 

13. नाइटहुड और अन्य सम्मान: इतने विवादास्प और शर्मनाक पल लाने वाले विज्जी को अपने खेल दिनों में ही नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया. 1958 में पद्म भूषण जीतने वाले वह दूसरे खिलाड़ी थे. 

14. पत्रकारों से विवाद: इएम वेलिंग्स एक प्रसिद्ध खेल पत्रकार थे. 1961-62 में वह इंग्लैंड दौरे की कवरेज के लिए भारत आए थे. दिल्ली टेस्ट में वह उस सीट पर बैठे थे जो विज्जी के लिए रिजर्व थी. जब विज्जी ने उन्हें सीट से उठने के लिए कहा तो वेलिंग्स ने उठने से मना कर दिया. इस विवाद के बाद ब्रिटिश हाई कमिश्नर को इस विवाद को सुलझाने के लिए वहां आना पड़ा. बाद में वेलिंग्स विज्जी को सीट देने के लिए तैयार हो गए.

15. विज्जी का बेटा: 60 के दशक में विज्जी का बेटा एवी वेंकटेश सिंह भी तीन फर्स्ट क्लास मैच खेला. उन्होंने उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. वेंकटेशन को कोई विकेट नहीं मिली और उन्होंने छह पारियों में केवल 18 रन बनाए. 

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