B'DAY SPECIAL: औसत में सचिन भी नहीं टिके इस खिलाड़ी के सामने, कुछ ऐसे हुआ करियर का पतन
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B'DAY SPECIAL: औसत में सचिन भी नहीं टिके इस खिलाड़ी के सामने, कुछ ऐसे हुआ करियर का पतन

21 साल की उम्र में विनोद कांबली ने पहला टेस्ट खेला. दिग्गज स्पिनर शेन वार्न के एक ओवर में उन्होंने 22 रन ठोक दिए थे, लेकिन महज 23 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी टेस्ट खेला और टीम में वापसी के रास्ते बंद हो गए.

 इस खिलाड़ी ने सचिन तेंदुलकर के बीच 664 रनों की पार्टनरशिप की थी (PIC: Twitter/Sachin Tendulkar)

नई दिल्ली: विनोद कांबली का जन्म 18 जनवरी 1972 को हुआ. कांबली एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर थे, जो जाया हो गए. मुंबई उसी स्कूल में कांबली पढ़े, जो प्रतिभाशाली क्रिकेटरों के लिए अधिक जाना जाता है, लेकिन कांबली उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए. केवल 17 टेस्ट मैच और 104 वनडे के बाद उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो गया. विनोद कांबली का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ. उनका परिवार मुंबई के एक उपनगर कांजुर्मर्ग, में एक चॉल में रहा करता था. उनके पिता गणपत एक मैकेनिक थे और अपने सात बच्चों का लालन पालन उनके लिए बेहद कठिन था. किशोरावस्था में कांबली को अभ्यास के लिए शिवाजी पार्क स्टेडियम तक पहुंचने के लिए अपनी किट के साथ लोकल ट्रेन में सफर करना पड़ता था. कांबली के पिता मुंबई क्लब सर्कल में एक क्रिकेटर भी थे. वह तेज गेंदबाज थे. 

  1. 21 साल की उम्र में विनोद कांबली ने पहला टेस्ट खेला
  2. कांबली ने शेन वार्न के एक ओवर में उन्होंने 22 रन ठोके थे
  3. कांबली ने 23 साल की उम्र में आखिरी टेस्ट खेला

21 साल की उम्र में विनोद कांबली ने पहला टेस्ट खेला. दिग्गज स्पिनर शेन वार्न के एक ओवर में उन्होंने 22 रन ठोक दिए थे, लेकिन महज 23 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी टेस्ट खेला और टीम में वापसी के रास्ते बंद हो गए.  विनोद कांबली ने स्कूली क्रिकेट में 349 रन और 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की थी. रणजी के पहले ही मैच में विनोद ने मैच की पहली गेंद पर छक्का लगा दिया था. टेस्ट मैचों में वह सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. शुरुआती सात टेस्ट मैचों में दो दोहरे शतक के साथ उन्होंने कुल चार शतक जड़े. टेस्ट में उनका औसत 54 और प्रथम श्रेणी में 60 से अधिक है. 

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सचिन के साथ की बड़ी साझेदारी
स्कूली क्रिकेट में विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर के बीच 664 रनों की पार्टनरशिप हुई थी. इसके बाद ये दोनों खिलाड़ी सुर्खियों में आ गए थे. कुछ साल पहले तक यह क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में सबसे बड़ी साझेदारी थी, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कांबली उस मैच में गेंद से भी स्टार रहे थे. कांबली ने इस मैच में 349 रन बनाए थे और 37 रनों पर छह विकेट लिए थे. 

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भारत के लिए अंडर-19 खेला
विनोद कांबली का भाग्य ने कभी साथ नहीं दिया. हम उम्र होने और बेहद प्रतिभाशाली होने के बावजूद तेंदुलकर रणजी में गुजरात के खिलाफ मुंबई की ओर से, 1988 में डेब्यू  कर रहे थे, लेकिन कांबली को उसके लिए एक साल और प्रतीक्षा करनी थी. 1989 में जब तेंदुलकर पाकिस्तान के घातक आक्रमण को बतौर टेस्ट खिलाड़ी झेल रहे थे तो विनोद कांबली अंडर-19 यूथ कप में खेल रहे थे. सौरव गांगुली, रंजीब बिस्वाल, अजय जडेजा, ध्रुव पांडव और आशीष कपूर उसके साथी थे. 

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रणजी में छक्के से की शुरुआत
विनोद कांबली उस संभ्रांत बल्लेबाजों के क्लब में हैं जिन्होंने फर्स्ट क्लास की शुरुआत छक्के से की. 1989 में गुजरात के खिलाफ कांबली ने छक्के के साथ रन बनाने की शुरुआत की थी. 

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लगातार दो दोहरे शतक
फरवरी-मार्च 1993 में कांबली ने उस समय नया इतिहास रचा जब उन्होंने दो लगातार दोहरे शतक बना डाले. पहले उन्होंने वानखेड़े मैदान पर इंग्लैंड के खिलाप 224 रनों की पारी खेली और इसके बाद दिल्ली में जिंबाब्वे के खिलाफ 227 रनों की पारी खेली. 

तीन लगातार टेस्ट में शतक
लगातार दो दोहरे शतक लगाने के बाद कांबली ने अगली ही पारी में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो, जुलाई 1993 में 125 रनों की पारी खेली. यानी उन्होंने लगातार तीन शतक लगाए. दिलचस्प बात यह रही कि ये तीनों ही पारियां अलग-अलग देशों के खिलाफ थी. 

सबसे तेज 1000 टेस्ट रन
अपने करियर के शुरुआती दौर में ही बड़ी-बड़ी पारियां खेलने वाले विनोद कांबली ने महज 14 टेस्ट मैचों में 1000 रन बना दिये थे. वह सबसे जल्दी हजार रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. उनसे तेज केवल हर्बर्ट सटक्लफ, डॉन ब्रेडमैन और नील हर्वे थे.

भारत में सबसे अधिक औसत
विनोद कांबली की टेस्ट में औसत सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज बल्लेबाजों से भी अधिक है. जिन बल्लेबाजों ने 20 टेस्ट पारियों या उससे अधिक में बल्लेबाजी की है, कांबली का औसत उनमें सबसे अधिक (54.20) है.

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दूसरी पारी में खराब औसत
आंकड़े बताते हैं कि टेस्ट मैच की दूसरी पारी में कांबली को रनों के लिए संघर्ष करना पड़ा. पहली पारी में कांबली का औसत 69.13 रहा, जबकि दूसरी पारी में उनका औसत केवल 9.40 रहा. 17टेस्ट मैच खेलने वाले कांबली को दूसरी पारी के औसत को बेहतर बनाने का मौका नहीं मिला. 

अपने बर्थ डे पर शतक
18 जनवरी 1993 को अपने बर्थ डे पर कांबली ने शतक लगाकर एक अनोखी उपलब्धि हासिल की. कांबली ने जयपुर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 100 रन बनाए. रोस टेलर और सचिन तेंदुलकर जैसे कुछ ही बल्लेबाज हैं जो अपने बर्थ डे पर शतक बना पाए हैं. 

1996 वर्ल्ड कप और पतन की शुरुआत
1996 के वर्ल्ड कप में भारत अपमानजनक ढंग से टूर्नामेंट से बाहर हुआ. कोलकाता में चल रहे सेमीफाइनल में जब भारत की हार देखकर लोगों ने मैदान पर बोतलें और अन्य सामान फेंकना शुरू किया, तब कांबली बल्लेबाजी कर रहे थे. श्रीलंका की टीम पवेलियन लौट आई. लंका को विजेता घोषित कर दिया गया और कांबली मैदान से आंसुओं के साथ पवेलियन लौटे. मार्च 1996 से अक्टूबर 2000 तक (जब कांबली ने अपना अंतिम मैच खेला) कांबली ने 35 वन डे खेले और उनका औसत 19.31 का रहा. यह कहा जा सकता है कि कोलकाता में हुआ सेमीफाइनल मैच उनके अंत की शुरुआत था. 

बॉलीवुड में प्रवेश
तड़क-भड़क वाले विनोद कांबली ने क्रिकेट के बाद बॉलीवुड का रास्ता चुना. 2002 में वह सुनील शेट्टी स्टारर 'अनर्थ' फिल्म में आए. 2009 में वह अजय जडेजा के साथ 'पल-पल दिल के साथ' फिल्म में दिखाई दिए, लेकिन बॉलीवुड में भी उनका करियर शुरू होते ही खत्म हो गया. 

देर से संन्यास
अक्टूबर 2000 में आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद नवंबर 2004 तक कांबली घरेलू क्रिकेट खेलते रहे, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया 2009 में. इसके दो साल बाद यानी 2011 में उन्होंने घरेलू क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया. 

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राजनीतिक महत्वकांक्षा
2009 में विनोद कांबली महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में भी खड़े हुए. मुंबई की विक्रोली विधानसभा सीट से उन्होंने लोक भारती पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह बुरी तरह हार गए.
 
भावनाओं का टीवी पर 'विस्फोट' 

विनोद कांबली ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपनी भावनाओं को विस्फोटक अंदाज में प्रकट किया. 2009 में सच का सामना नामक एक शो में उन्होंने यह स्वीकार किया कि जब सचिन तेंदुलकर की उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो उन्होंने मदद नहीं की. इसके बाद 2011 में एक अन्य टेलीविजन शो में कांबली ने यह दावा किया कि 1996 के वर्ल्ज कप सेमीफाइनल में श्रीलंका के हाथों पराजय को लेकर उनके मन में कुछ संदेह हैं. 

शादी के बाद अपनाया ईसाई धर्म
कांबली ने एंड्रिया से विवाह किया और ईसाई धर्म अपना लिया. एंड्रिया उनकी दूसरी पत्नी हैं. वह एक समय मॉडलिंग किया करती थी. तनिष्क ज्वैलरी के लिए उन्होंने सबसे पहले शूट किया था. विनोद कांबली के दो बच्चे हैं- जीसस क्रिस्टानो और जोना क्रिस्टानो. वह कहते हैं, हम बचपन से एक ही धर्म का पालन कर रहे हैं. खेल के दिनों में जब मैं साईबाबा का ताबीज पहना करता था तो मैं क्रास बनाया करता था. क्योंकि इससे मुझे शांति मिलती थी. वह कहते हैं, जब लोग ट्विटर पर मेरे बारे में कुछ नगेटिव कहते हैं तो मैं सिर्फ गॉड ब्लेस यू कहता हूं.

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