मयंक डागर का कहना है कि सिर्फ क्रिकेटर ही नहीं, किसी भी एथलीट के फिटनेस सबसे पहली प्राथमिकता है. मयंक का कहना है कि यो-यो टेस्ट की आलोचना नहीं होनी चाहिए.
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नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश के स्पिनर मयंक डागर ने रणजी ट्रॉफी में सोमवार (12 नवंबर) को तीन विकेट लेकर दिल्ली को बड़ा स्कोर बनाने से रोक दिया. लेफ्ट आर्म स्पिनर मयंक ने अपनी टीम की ओर से सबसे अधिक तीन विकेट झटके. उनके इस प्रदर्शन की बदौलत ही हिमाचल ने दिल्ली को पहले दिन का खेल खत्म होने तक 8 विकेट पर 305 रन ही बनाने दिए. मयंक डागर का पहला शिकार गौतम गंभीर बने. उन्होंने ललित यादव और इशांत शर्मा को भी आउट किया.
22 साल के मयंक डागर टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के भांजे हैं. वह अपनी बॉलिंग के साथ-साथ अपनी फिटनेस और गुड लुक्स को लेकर भी खासे सुर्खियों में रहते हैं. मयंक डागर ने हाल ही में यो-यो टेस्ट में विराट कोहली से ज्यादा प्वाइंड हासिल किए थे. वह इस समय देश के सबसे फिट क्रिकेटर हैं. मयंक डागर ने ZEE News Digital से अपनी फिटनेस और यो-यो टेस्ट को लेकर बातचीत की. पेश से उनसे बातचीत के कुछ खास अंश:
हिमाचल में विक्रम राठौड़ ने शुरू कराया यो-यो टेस्ट
मयंक डागर ने यो-यो टेस्ट को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि उनके राज्य में भी यो-यो टेस्ट होता है. उनके कोच विक्रम राठौड़ फिटनेस को लेकर काफी सजग हैं और उन्होंने ही हमारे राज्य में यो-यो टेस्ट की शुरुआत की. उनका कहना है कि राज्य के हर क्रिकेटर को 16.1 प्वाइंट पार करना ही होगा. मयंक भी यो-यो टेस्ट के पक्षधर हैं. उनका कहना है कि खिलाड़ियों के फिटनेस को लेकर यो-यो टेस्ट एक बेहतरीन शुरुआत है. इस टेस्ट की वजह से ही खिलाड़ी अपनी रेग्युलर फिटनेस पर अच्छी तरह से ध्यान दे पाते हैं. मयंक डागर आईपीएल (IPL) में किंग्स इलेवन पंजाब की टीम से खेलते हैं. उन्होंने पहले यो-यो टेस्ट में 19.3 प्वाइंट हासिल किए थे, लेकिन हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी से पहले 19.5 प्वाइंट हासिल कर लिए. यह भारतीय क्रिकेटरों में अब तक के सबसे ज्यादा प्वाइंट्स हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक विराट कोहली ने ऐसे ही टेस्ट में 19.2 प्वाइंट हासिल किए थे.
यो-यो टेस्ट पास करना मुश्किल नहीं
मयंक डागर का कहना है कि अगर कोई खिलाड़ी अपनी फिटनेस पर ध्यान देता है तो उसे यो-यो टेस्ट में कोई परेशानी आती नहीं है. उन्होंने बताया, ‘अगर में रोज अपनी फिटनेस पर ध्यान देता हूं और रेग्युलर वर्कआउट करता हूं तो मुझे कभी 16.1 की टेंशन रहती ही नहीं है. मुझे पता है कि यह टेस्ट में पास कर ही लूंगा. मैंने 19.5 हासिल कर लिया है, लेकिन मेरा लक्ष्य इसे कहीं ज्यादा है और मुझे यकीन है कि मैं इसे हासिल भी कर लूंगा.’फिटनेस एक खिलाड़ी के लिए बेहद जरूरी है. मैदान पर तकरीबन एक क्रिकेटर को तकरीबन 6-7 से घंटे बिताने होते हैं. आप इतने वक्त तक एनर्जी तभी बनाए रख सकते हैं जब फिट हैं. अगर आपका फिटनेस लेवल अच्छा है तो आप मैदान पर आसानी से नहीं थकेंगे. फिट होने पर कोई भी क्रिकेटर लंबी पारी खेलने के बाद भी उसी एनर्जी के साथ खेलता रहता है.
हर एथलीट के लिए जरूरी है फिटनेस
मयंक डागर का कहना है कि सिर्फ क्रिकेटर ही नहीं, किसी भी एथलीट के फिटनेस सबसे पहली प्राथमिकता है. मयंक का कहना है कि यो-यो टेस्ट की आलोचना नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हर खिलाड़ी का फिटनेस लेवल अलग होता है. अगर कोई खिलाड़ी फिट है तो उसके लिए 16.1 हासिल करना मुश्किल नहीं है. मयंक का कहना है कि क्रिकेट में यो-यो टेस्ट कोई नया नहीं है. बहुत पहले से ही बीप टेस्ट और यो-यो टेस्ट होते आ रहे हैं, लेकिन सलेक्शन के लिए अगर यह जरुरी कुछ वक्त पहले ही हुआ है.
मुझे भी अपने देश के लिए खेलने पर गर्व
फैन फॉलोइंग के सवाल पर मयंक का कहना है कि फेम सभी को अच्छा लगता है. जब आपकी तारीफ होती है तो अच्छा लगता है. और जब लोग आपको पसंद करते हैं तो यह आपकी भी जिम्मेदारी बन जाती है कि आप भी फिट रहें और अच्छे दिखे. टीम इंडिया में खेलने के सवाल पर मयंक डागर ने कहा कि हां, हर खिलाड़ी की तरह मुझे भी अपने देश के लिए खेलने पर गर्व है. मैं भी चाहता हूं कि अपने देश के लिए खेलूं और नाम रोशन करूं.
अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल चुके हैं मयंक डागर
मयंक डागर अभी 12वां फर्स्ट क्लास मैच खेल रहे हैं. उन्होंने दो साल के फर्स्ट क्लास करियर में 11 मैच में 30 विकेट हासिल किए हैं. इसके अलावा 18 लिस्ट ए मैच में 17 विकेट ले चुके हैं. मयंक डागर अंडर-19 क्रिकेट से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने 2015 में अंडर-19 ट्राई टूर्नामेंट के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ 3 विकेट झटक कर भारत को खिताब जिताया था. वह अंडर-19 वर्ल्ड कप भी खेल चुके हैं.