सुनो गौर से दुनिया वालों! टीम इंडिया को अब 'स्पिन' नहीं 'पेस' पसंद है
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सुनो गौर से दुनिया वालों! टीम इंडिया को अब 'स्पिन' नहीं 'पेस' पसंद है

भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहला ऐसा मौका आया है, जब टीम इंडिया के तीन तेज गेंदबाजों ने मिलकर टेस्ट मैचों में एक साल में सबसे ज्यादा विकेट झटके हैं. इस हिसाब से भारतीय तेज गेंदबाजों के लिहाज से साल 2018 को स्वर्णिम दौर माना जाएगा.

2010 के दशक में जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी की तिकड़ी तेज बॉलिंग अटैक की जिम्मेदारी संभाल रही है.

नई दिल्ली: चंद घंटों बाद साल 2018 बीत जाएगा. पूरे साल क्रिकेट में कई नए रिकॉर्ड बने तो कई क्रिकेटरों के सितारे चमके. हर क्रिकेट प्रेमी अपने-अपने हिसाब से इस साल क्रिकेट में घटी घटना को अपने जेहन में याद रखेंगे. क्रिकेट प्रेमी के तौर पर अगर आपने इस साल भारतीय बॉलिंग अटैक पर करीब से गौर किया हो तो एक बहुत ही बड़े बदलाव को समझ पाए होंगे. कभी स्पिनरों पर निर्भर रहने वाली टीम इंडिया ने तेज गेंदबाजों की खेप तैयार कर ली है. भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहला ऐसा मौका आया है जब टीम इंडिया के तीन तेज गेंदबाजों ने मिलकर टेस्ट मैचों में एक साल में सबसे ज्यादा विकेट झटके हैं. इस हिसाब से भारतीय तेज गेंदबाजों के लिहाज से साल 2018 को स्वर्णिम दौर माना जाएगा.

  1. 1980 के दशक में कपिल देव के सहारे थी भारतीय पेस अटैक
  2. 1990 के दशक में श्रीनाथ ने पेस बॉलिंग की जिम्मेदारी संभाली
  3. 2000 के दशक में जहीर खान ने किया पेस अटैक का नेतृत्व

कपिल देव ने बोई थी तेज गेंदबाजी की बीज
भारतीय क्रिकेट इतिहास पर नजर डालें तो यहां एक से बढ़कर एक स्पिनर पैदा हुए. 1970 से 80 के दशक में बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चंद्रशेखर और वेंकटराघवन जैसे दिग्गज स्पिनर दुनिया भर के बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बने. इन बॉलरों के दम पर ही भारतीय टीम मैच जीत पाती थी. इसके बाद अनिल कुंबले, हरभजन सिंह जैसे स्पिनरों पर टीम इंडिया की निर्भरता रही. स्पिनरों की इस खेप में कपिल देव इकलौते ऐसे तेज गेंदबाज रहे जो अपनी विलक्षित प्रतिभा के दम पर टीम में बने रहे. साथ ही अपने दौर में सबसे ज्यादा 434 टेस्ट विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज बने.

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कपिल देव 1978 से लेकर 1994 भारत के लिए क्रिकेट खेले. इस दौरान कई तेज गेंदबाज टीम इंडिया में कपिल देव का साथ देने आए लेकिन वे कुछ खास नहीं कर सके. यूं कहें कि अपने दौर में कपिल देव ऐसे तेज गेंदबाज रहे जो स्पिनरों के साथ मिलकर बॉलिंग करते थे. कपिल देव के दौर तक मोहिंदर अमरनाथ, चेतन शर्मा, करसन घावरी, बीएस संधू, अतुल वासन, मनोज प्रभाकर जैसे कई तेज गेंदबाज टीम में आए लेकिन कोई भी लंबे समय तक टीम में नहीं टिक पाए. यूं कहें की कपिल देव भारतीय क्रिकेट में तेज गेंदबाजी के बीज थे. उनसे पहले भी भारत को कभी भी कोई अच्छा तेज बॉलर नहीं मिला.

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भारतीय टीम में कपिल को छोड़कर किसी और तेज गेंदबाज को वह तवज्जो भी नहीं मिली. तेज गेंदबाजों को लेकर टीम की क्या अप्रोच थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुनील गावस्कर जैसे स्पेशलिस्ट बैट्समैन को नई गेंद सौंपी जाती थी, ताकि वे कुछ ओवर गेंदबाजी कर इसकी चमक कम कर दें. वहीं दूसरी तरफी उस दौर में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम में एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाज थे. वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों मार्शल, होल्डिंग, गार्नर, कार्टनी वॉल्स जैसे तेज बॉलिंग अटैक के सामने सारे बल्लेबाजों की हवा खराब हो जाती थी.

भारतीय टीम जब कभी विदेशी दौरों पर जाती तो मेजबान तेज पिच बनवाते, जबकि उन पिचों का लाभ लेने वाले भारत के पास कोई तेज बॉलर नहीं होते. भारत स्पिनरों के बूते उतरता, लेकिन साफ-सुथरी पिच पर स्पिन का जादू नहीं चल पाता. 

तेज गेंदबाजी के पौध साबित हुए जवागल श्रीनाथ
भारतीय तेज गेंदबाजी के इतिहास में कपिल देव के बाद अगला नाम जवागल श्रीनाथ का नाम आता है. मोहम्मद अजहरुद्दीन, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे कप्तानों के दौर में जवागल श्रीनाथ इकलौते ऐसे तेज गेंदबाज रहे जो लंबे समय तक टीम इंडिया की पेस बॉलिंग अटैक की अगुवाई करते रहे. जवागल के करियर की शुरुआत कपिल देव के टीम इंडिया में रहते हुए 1991 में हुई थी. शायद इसी वजह से जवागल समझ चुके थे कि कपिल के जाने के बाद उन्हें ही भारतीय पेस अटैक की अगुवाई करनी है. जवागल को कपिल जैसी मुश्किलों का ही सामना करना पड़ा. 1990 के दशक में भारतीय टीम में तेज गेंदबाजों की कितनी कमी थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई मैचों में सौरव गांगुली ने जवागल के साथ बॉलिंग की शुरुआत की. यानी टीम इंडिया तीन स्पिनर और इकलौते तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ के साथ उतरती. ऐसी स्थिति में गांगुली शुरुआत के दो-तीन ओवर फेंकते.

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67 टेस्ट मैचों में 236 विकेट लेने वाले जवागल श्रीनाथ शायद भारतीय तेज गेंदबाजी अटैक के पौध बन चुके थे. उनके दौर में ही वेंकटेश प्रसाद, अजित आगरकर, आशीष नेहरा, जहीर खान जैसे तेज गेंदबाज टीम में आ गए थे जो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की तेज पिचों पर अपनी बॉलिंग से विरोधियों को डरा रहे थे. एक दिवसीय मैचों में भी जवागल टीम के काफी काम आए. सौरव गांगुली 2003 में उम्रदराज जवागल, युवा जहीर खान और आशीष नेहरा को साथ लेकर तेज बॉलिंग अटैक तैयार किया था, जो काफी कारगर साबित हुआ. दक्षिण अफ्रीका की तेज पिच पर इन तीनों बॉलरों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम रोल निभाए.

जहीर के दौर में पेड़ बना कपिल देव रूपी बीज
जहीर खान का दौर शुरू होने के बाद ऐसा लगा जैसे भारतीय टीम में कपिल देवी रूपी बोया गया तेज गेंदबाज का बीज पेड़ बन चुका था. 2000 के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में इरफान पठान, आशीष नेहरा, लक्ष्मीपति बालाजी, मुनाफ पटेल, एस श्रीसंथ, आरपी सिंह, ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी भारतीय तेज गेंदबाजी का जौहर दुनिया को दिखाते रहे. तेज गेंदबाजों की इस फौज की ट्रेनिंग करीब-करीब जहीर खान के दौर में हो चुकी है. जहीर 92 टेस्ट मैचों में 311 विकेट लेने वाले जहीर खान के रिटायरमेंट तक भारतीय पेस बॉलिंग अटैक सुरक्षित हाथों में पहुंच चुका है. 

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हाल के वर्षों में जसप्रीत बुमराह के टीम इंडिया में आ जाने के बाद भारतीय तेज गेंदबाजी अटैक काफी ताकतवर हो चुकी है. इसकी गवाही ये आंकड़े दे रहे हैं. बीते एक साल में विदेशों में क्रिकेट खेल रहे भारतीय फास्ट बोलरों ने वेस्ट इंडीज फास्ट बोलरों का 34 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा और मोहम्मद शमी की जोड़ी ने एक कैलेंडर साल में 131 विकेट अपने नाम कर लिए हैं. इस तिकड़ी ने वेस्ट इंडीज की तिकड़ी (मार्श, होल्डिंग और गार्नर) के 1984 में बनाए 130 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. 

साल 1979 में भारतीय तेज गेंदबाजों ने 17 टेस्ट मैचों में 125 विकेट झटके थे. 2011 में 12 टेस्ट मैचों में 119 और 1983 में 18 टेस्ट मैचों में भारतीय फास्ट बॉलरों ने 108 विकेट लिए थे. विदेशी पिचों पर भारत का प्रदर्शन सुधरने के पीछे भी तेज गेंदबाजों का प्रदर्शन असर डाल रहा है. सबसे अच्छी बात यह है कि भारतीय तेज गेंदबाज ना केवल अच्छी स्पीड में बॉल डाल रहे हैं, बल्कि इन स्विंग, आउट स्विंग, रिवर्स स्विंग गेंदें डालकर दुनिया के हर किस्म की पिच पर बैट्समैन को पस्त करने में जुटे हैं.

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