कोहली के 'बदलाव प्रेम' का अंजाम भुगत रही टीम! जानें कब-कब किसको किया बाहर
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कोहली के 'बदलाव प्रेम' का अंजाम भुगत रही टीम! जानें कब-कब किसको किया बाहर

कई बार खिलाड़ियों के चोटिल होने तो कई बार कोहली की पसंद नापसंद की वजह से हर अगले मैच में प्लेइंग इलेवन बदल दी गयी.

कोहली की कप्तानी में सबसे ज्यादा बार खिलाड़ी बदले गए हैं. फोटो : बीसीसीआई

नई दिल्ली : विराट कोहली तब खुश नहीं थे, जब दक्षिण अफ्रीका के एक पत्रकार ने उनसे उनकी कप्तानी में खेले गये सभी 34 टेस्ट मैचों में अलग टीम उतारने के बारे में सवाल किया, लेकिन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि टीम चयन में निरंतरता का साफ अभाव रहा तथा कई खिलाड़ियों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. कई बार खिलाड़ियों के चोटिल होने तो कई बार कोहली की पसंद नापसंद की वजह से हर अगले मैच में प्लेइंग इलेवन बदल दी गयी. भारतीय टीम इस बीच स्वदेश में अच्छा प्रदर्शन करती रही लेकिन दक्षिण अफ्रीका दौरे में इस पर सवाल उठने लग गये.

  1. सबसे ज्यादा बार टीम से बाहर किए गए हैं भुवनेश्वर कुमार
  2. कोहली की कप्तानी में 6 खिलाड़ियों ने टेस्ट में पदार्पण किया
  3. इस दौरान भारत ने नंबर छह पर सर्वाधिक नौ बल्लेबाज बदले

आंकड़ों की बानगी देखिये. टीम में बदलाव के ‘शौकीन’ कोहली ने सात टेस्ट मैचों में कम से कम एक खिलाड़ी, 16 टेस्ट मैचों में दो खिलाड़ी, छह मैचों में तीन खिलाड़ी, चार टेस्ट मैचों में चार खिलाड़ी और एक टेस्ट मैच में पांच खिलाड़ी (आस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में कप्तानी के अपने पदार्पण मैच में) बदले.

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यही वजह रही कि कोहली की कप्तानी में भारत को कभी एक अदद सलामी जोड़ी नहीं मिल पायी. तीन नियमित ओपनर मुरली विजय, केएल राहुल और शिखर धवन या तो फार्म के कारण बाहर किये गये या फिर चोटिल होने की वजह से. कोहली के कप्तान रहते हुए विजय ने 25, राहुल ने 20 और धवन ने 17 टेस्ट मैच खेले.

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इस दौरान भारत ने सात ओपनर आजमाये. इनमें विजय, चेतश्वर पुजारा, राहुल, धवन, पार्थिव पटेल, गौतम गंभीर और अभिनव मुकुंद शामिल हैं. ऐसा भी नहीं कि इस दौरान कोहली ने नये खिलाड़ियों को ज्यादा मौके दिये होंगे. उनकी कप्तानी में केवल छह खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया. इनमें कर्ण शर्मा, नमन ओझा, जयंत यादव, करूण नायर, हार्दिक पंड्या और जसप्रीत बुमराह शामिल हैं. इनमें फिलहाल पंड्या की ही जगह कुछ हद तक पक्की मानी जा सकती है.

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महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के आखिरी चरण में रविचंद्रन अश्विन अंदर बाहर होते रहे, लेकिन कोहली ने सबसे अधिक भरोसा इस आफ स्पिनर पर ही दिखाया. कोहली की कप्तानी में उन्होंने 34 में से 33 टेस्ट मैच खेले. उन्हें केवल एडिलेड टेस्ट में जगह नहीं मिली जब लेग स्पिनर कर्ण ने पदार्पण किया था. अश्विन ने इस दौरान 193 विकेट लिये और 1159 रन बनाये.

अब बात करते हैं अजिंक्य रहाणे की जिन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों की टीम नहीं चुनने के कारण कोहली को आलोचना झेलनी पड़ रही है. रहाणे ने कोहली की कप्तानी में 34 में से 30 टेस्ट मैच खेले और इस तरह से वह नंबर पांच के नियमित बल्लेबाज बने रहे. उन्होंने इस नंबर पर इस दौरान 37 पारियां खेली और 39.75 की औसत से 1312 रन बनाये.

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लेकिन अश्विन की तरह भुवनेश्वर कुमार भाग्यशाली नहीं रहे, जिन्हें लगातार कोहली की टीम से अंदर बाहर होना पड़ा. यहां तक कि कोहली ने उन्हें कप्तानी के अपने पदार्पण मैच में भी नहीं चुना जबकि इससे पहले वाले मैच में वह टीम का हिस्सा थे. भुवनेश्वर ने इन 34 में से केवल आठ मैच खेले और केवल एक बार वेस्टइंडीज के खिलाफ 2016 में वह लगातार मैचों में खेल पाये. भुवनेश्वर को आठ बार टीम से बाहर किया जबकि राहुल और धवन छह-छह, विजय, उमेश यादव और इशांत शर्मा पांच-पांच तथा रविंद्र जडेजा को इस दौरान चार बार अंतिम एकादश से बाहर किया गया.

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इस दौरान पुजारा और ऋद्धिमान साहा ने 29-29 मैच खेले. पुजारा नंबर तीन के नियमित बल्लेबाज रहे, जिस पर उन्होंने 54.67 की औसत से 2187 रन बनाये. साहा को नंबर सात बल्लेबाज के रूप में सर्वाधिक 23 पारियां खेलने का मौका मिला. आलोचकों के निशाने पर रहे रोहित शर्मा ने इस बीच चार बार टीम में वापसी की. उन्होंने 17 टेस्ट में से अधिकतर मैच छठे नंबर के बल्लेबाज के रूप में खेले. छठे नंबर पर वह 14 पारियों में बल्लेबाजी के लिये उतरे जो अश्विन से एक अधिक है. इस दौरान भारत ने नंबर छह पर सर्वाधिक नौ बल्लेबाज बदले.

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