सबसे मुश्किल घड़ी में दुती चंद की जिंदगी बदल दी पुलेला गोपीचंद की मदद ने
Advertisement

सबसे मुश्किल घड़ी में दुती चंद की जिंदगी बदल दी पुलेला गोपीचंद की मदद ने

पुलेला गोपीचंद ने दुती चंद को अपनी एकेडमी में ठहरने की जगह दी जब जेंडर विवाद में बहाल होने के बाद वे वापसी को लेकर काफी निराश थीं.

पुलेला गोपीचंद की एकेडमी कई खिलाड़ियों की मदद की है जिनमें दुती चंद भी एक हैं.  (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:  इंडोनेशिया में जारी एशियाई खेलों में भारत के बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद की शिष्याओं ने कमाल का प्रदर्शन किया है. भारत की स्टार खिलाड़ी साइना नेहवाल ने कांस्य पदका हासिल किया और पीवी सिंधु ने फाइनल में जगह बनाई. सब जानते हैं कि भारतीय बैडमिंटन को ऊंचाईयों पर ले जाने में गोपीचंद और उनकी एकेडमी का कितना बड़ा योगदान है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि गोपीचंद ने एथलेटिक्स में एक खास योगदान दिया है.

  1. जेंडर विवाद में निलंबित किया गया था दुती को
  2. ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में भाग नहीं ले सकीं थी 
  3. बहाली के बाद गोपीचंद ने की थी मदद

गोपीचंद का यह योगदान बतौर एथलेटिक्स खिलाड़ी या कोच नहीं है. दरअसल गोपीचंद ने एक बेहतरीन एथलेटिक्स खिलाड़ी की मदद की है जो अगर वे न करते तो देश एशियाई खेलों में पदक दिलाने वाली खिलाड़ी देश गंवा चुका होता. यहां बात हो रही है भारत की स्टार एथलीट दुती चंद की. 2015 में दुती चंद को कोर्ट ऑफ आर्बीट्रेशन फॉ़र स्पोर्ट्स (सीएएस) ने उनके निलंबन से मुक्त किया था. दुती को हाइपरएन्ड्रोजेनिज्म के आरोप में निलंबित किया गया था. इसमें व्यक्ति के शरीर में टेस्टरोस्टेरोन की मात्रा निर्धारित स्तर से ज्यादा मात्रा में पाई जाती है. इस दौरान दुती निराशा से घिर गईं थी और उन्हें उनके करियर का अंत दिखाई देने लगा था. 

दुती के हालात बदलने में गोपीचंद की अहम भूमिका
सीएएस के उस फैसले के बाद आज दुती चंद एशिया की दूसरी सबसे तेज धाविका हैं. दुती ने इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियाई खेलों में महिलाओं की 100 मीटर स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल किया. दुती ने 100 मीटर की रेस में 11.32 सेकेंड का समय निकाला. वे 0.02 सेकेंड से स्वर्ण पदक से चूक गई थीं. दुती चंद के हालात बदलने में ही गोपीचंद की भूमिका उल्लेखनीय है. जब उनके पक्ष में फैसला आया उस समय वे 2014 के कॉमनवेल्थ खेलों का हिस्सा नहीं बन सकी थीं. उन्हें सब कुछ शून्य से शुरू करना था. उस समय उन्हें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के सेंटर में रहना कई मुश्किलों से भरा लग रहा था. 

 इस मौके पर दुती के कोच एन रमेश अपने मित्र पुलेला गोपीचंद से संपर्क कर मदद मांगी और गोपीचंद ने बिना हिचके दुती को अपनी पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी फाउंडेशन के दरवाजे खोल दिए. 

उड़ान प्रोजेक्ट की नींव बनी यह घटना
गोपीचंद की यह मदद एक नए प्रोजेक्ट का आधार बनी जो खेल उडान प्रोजोक्ट था. इस प्रोजेक्ट में साई, गोपीचंद एकेडमी, मितरा फाउंडेशन, और  स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ तेलंगाना (सैट) का सयुंक्त प्रयास था जो फरवरी 2017 में शुरू हुआ. इसमें एथलीटों के गहन प्रशिक्षण के साथ ही उनकी हर जरूरत का ख्याल रखने का प्रावधान था. आज दुती के अलावा 39 युवा एथलीट इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं. दुती गोपीचंद एकेडमी में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहीं जब कि बूाकी एथलीट साई और सैट के क्वार्टर्स में रहे. अब गोपीचंद चाहते हैं कि सभी एथलीट होस्टल में रहें जहां उनकी डाइट और स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा सके. फरवरी 2017 से अब तक इन युवा खिलाड़ियों ने 30 राष्ट्रीय स्तर के मेडल और 224 प्रादेशिक स्तर के मेडल जीते हैं. 

ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों को किया था मिस
दुती चंद का बुरा समय जून 2014 में शुरू हुआ जब एथलेटिक्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया ने दुती को जेंडर टेस्ट के लिए बुलाया. जेंडर टेस्ट में उनके पुरुष हारमोन स्तर की जांच होनी थी. जिसे हाइपरएन्ड्रोजेनिज्म कहते हैं. बिना किसी जांच और पुष्टि के उन्हें निलंबित कर दिया गया और वे ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेंलो में भाग नहीं ले सकीं. अब दुती चंद अगामी वर्ल्ड एथलेटिक्स  चैम्पियनशिप 

Trending news