बैठकों में श्रीनिवासन के जाने से SC खफा, क्रिकेट की सफाई के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने का कोर्ट का प्रस्ताव
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बैठकों में श्रीनिवासन के जाने से SC खफा, क्रिकेट की सफाई के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने का कोर्ट का प्रस्ताव

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए फिर एन श्रीनिवासन को लेकर कड़ा रुख अपनाया। शीर्ष कोर्ट ने श्रीनिवासन से कहा कि गुरुनाथ मयप्‍पन के खिलाफ शीघ्रता से कार्रवाई करने की आवश्‍यकता है।

बैठकों में श्रीनिवासन के जाने से SC खफा, क्रिकेट की सफाई के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने का कोर्ट का प्रस्ताव

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि क्रिकेट की पवित्रता बनाये रखना उसके लिये बहुत जरूरी है और साथ ही संकेत दिया कि सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग के आरोपों से घिरे इस खेल की सफाई के उपाय बताने और यह पता लगाने के लिये कि क्या बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से संबंधित हितों के टकराव का पता लगाने के लिये उच्चाधिकार समिति गठित की जा सकती है।

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘वह समिति उच्चाधिकार प्राप्त समिति होनी चाहिए और वह समिति ही हितों के टकराव के मामले को देखेगी और इसके निष्कर्ष बीसीसीआई को मानने ही होंगे। न्यायालय ने संकेत दिया कि इस समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे।

शीर्ष अदालत ने क्रिकेट के प्रशासक पद से स्वेच्छा से अलग होने के बाद श्रीनिवासन के नवंबर में तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन की बैठक में शामिल होने पर कड़ी आपत्ति जतायी। इस पर श्रीनिवासन ने स्वीकार किया कि यह उनकी गलती थी। न्यायालय ने कहा कि मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर किसी न किसी को तो दंडित करने के सवाल पर कदम उठाना ही होगा लेकिन सवाल है कि यह काम किसे दिया जाना चाहिए।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘सजा के मामले में फैसला करने में हमारी दिलचस्पी नहीं है। हम चाहते हैं कि व्यवस्था अधिक प्रभावी हो। कार्रवाई तत्काल होनी चाहिए।’ हालांकि मुद्गल समिति को श्रीनिवासन द्वारा अपने दामाद की कथित संलिप्तता पर पर्दा डालने का प्रयास करने के बारे में कुछ नहीं मिला है और उन्हें सट्टेबाजी तथा स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में पाक साफ करार दिया है लेकिन न्यायालय ने कहा कि उच्चाधिकार समिति ही विभिन्न पहलुओं की जांच करेगी और हितों के टकराव का मसला इसमें से एक होगा।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हितों के टकराव का मसला भावी सुधार का तरीका हो सकता है। यदि समिति कहती है कि श्रीनिवासन के काम करने से हितों का टकराव हुआ है, वह दंड देने के लिये नहीं कह सकती लेकिन नियमों में संशोधन का सुझाव दे सकती है।’ न्यायालय ने कहा कि समिति इस पहलू पर भी गौर करेगी कि क्या क्रिकेट के प्रशासन में शामिल व्यक्ति ऐसी भूमिकाएं निभा सकता है जो हितों के टकराव समान हों। न्यायालय ने कहा कि समिति आचार संहिता का उल्लंघन करने के दोषी पाये गये व्यक्ति को दिये जाने वाले संभावित दंड की मात्रा से जुड़े बिन्दुओं पर भी गौर करने के साथ ही उनका विश्लेषण करेगी।

यही नहीं, यह भी देखेगी कि क्या इस पूरे घटिया नाटक में श्रीनिवासन की भूमिका आपत्तिजनक थी और मय्यपन तथा श्रीनिवासन को दंड मिलना चाहिए तो यह कितना होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि उनके लिये सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि इस खेल की पवित्रता और शुद्धता बनाये रखी जाये।

श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भरोसा दिलाया कि बोर्ड के आगामी सुनवाई में निर्वाचित होने की स्थिति में श्रीनिवासन खेल के रोजमर्रा के प्रशासन से खुद को अलग रखेंगे। दूसरी ओर, क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार की वकील नलिनी चिदंबरम ने कहा कि उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन न्यायालय ने कहा कि चूंकि मुद्गल समिति को श्रीनिवासन के खिलाफ कुछ नहीं मिला है, इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित करना उचित नहीं होगा।

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