खेल में योग को शामिल करने का आधार साम्प्रदायिक नहीं : सरकार
Advertisement

खेल में योग को शामिल करने का आधार साम्प्रदायिक नहीं : सरकार

सरकार ने आज जोर देकर कहा कि योग को प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता सांप्रदायिक आधार पर नहीं दी गई और असल में समय आ गया था कि इसे खेल के रूप में देखा जाए क्योंकि यह भारत का पारंपरिक ज्ञान है।

नई दिल्ली : सरकार ने आज जोर देकर कहा कि योग को प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता सांप्रदायिक आधार पर नहीं दी गई और असल में समय आ गया था कि इसे खेल के रूप में देखा जाए क्योंकि यह भारत का पारंपरिक ज्ञान है।

खेल मंत्रालय में संयुक्त सचिव ओंकार केडिया ने यहां एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘‘यह एक परंपरा है। कई धर्मों के लोग योग का अ5यास करते हैं। समय आ गया है कि योग को खेल के रूप में देखा जाए।’’ सरकार ने कल योग को ‘प्राथमिकता’ वर्ग में जगह दी। अनुदान देने के लिए चार वर्ग बनाए गए हैं जिसमें उच्च प्राथमिकता, प्राथमिकता, सामान्य और अन्य वर्ग शामिल हैं। यह पूछने पर कि क्या योग घरेलू स्तर पर ही सीमित रहेगा क्योंकि अन्य देश इसे खेल के रूप में मान्यता नहीं देते तो केडिया नेक हा कि यह सिर्फ पहला कदम है और वे विचार कर रहे हैं कि इसे कैसे आगे बढ़ाए।

उन्होंने कहा, ‘हमें तरीका ढूंढना होगा। इसे आगे बढ़ाने के लिए महासंघ होना चाहिए और कई अन्य कदम उठाए जाने चाहिए। इन चीजों पर चर्चा चल रही है।’  केडिया ने साथ ही कहा कि महासंघ की अनुपस्थिति में देश के मुक्केबाजों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम मुक्केबाजों की सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। चीजों में सुधार हो रहा है और मुझे यकीन है कि रियो खेलों में मुक्केबाज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।’ 

निलंबित भारतीय पैरालंपिक समिति के बारे में केडिया ने कहा, ‘हम पीसीआई के सभी धड़ों के एकजुट होने का इंतजार कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि इसे अंतरराष्ट्रीय संस्था से मान्यता मिले। इससे खिलाड़ियों के कल्याण में मदद मिलेगी।’ केडिया से पूछा गया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार सरकार कब भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन से राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार वापस लेगी तो उन्होंने कहा कि अब तक उन्होंने पूरा आदेश नहीं देखा है और उचित समय पर ऐसा किया जाएगा।

Trending news