Rahul Gandhi की सजा पर रोक से खत्म नहीं हुआ मामला, दोषसिद्धी और दोषी होने में है कानूनी फर्क; जानें मोदी सरनेम केस में अब आगे क्या होगा?
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Rahul Gandhi की सजा पर रोक से खत्म नहीं हुआ मामला, दोषसिद्धी और दोषी होने में है कानूनी फर्क; जानें मोदी सरनेम केस में अब आगे क्या होगा?

Supreme Court on Modi surname case: सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी. इस फैसले से राहुल गांधी के अगला चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन उनकी मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं. 'मोदी सरनेम केस' में अब आगे क्या होगा? आइये जानते हैं.

Rahul Gandhi की सजा पर रोक से खत्म नहीं हुआ मामला, दोषसिद्धी और दोषी होने में है कानूनी फर्क; जानें मोदी सरनेम केस में अब आगे क्या होगा?

Rahul Gandhi: मोदी सरनेम केस (Modi surname case) में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है. इसी के साथ ये केस अब सूरत की सेशन कोर्ट में पहुंच गया, जहां राहुल गांधी ने कन्विक्शन लगा रखी है. इसका सीधा मतलब ये कि राहुल गांधी को फौरी राहत मिल गई है, लेकिन मोदी सरनेम केस में उनकी मुश्किलें पूरी तरह खत्म नहीं हुईं हैं. इस केस में अब आगे क्या होने वाला है, आइए जानते हैं.

मोदी सरनेम मामले में अब आगे क्या होगा?

नेता अक्सर, अपने भाषणों में ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जो उनके लिए मुसीबत का सबब बन जाता है. राहुल गांधी इसकी बड़ी मिसाल थे. एक चुनावी सभी में राहुल गांधी ने कहा था कि 'इन सब चोरों के नाम मोदी मोदी कैसे है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी थोड़ा ढूंढेंगे तो और बहुत सारे मोदी मिलेंगे.' जब उन्होंने ये बयान दिया तब वो नहीं जानते थे कि उनका ये बयान, उनकी संसद सदस्यता छीन सकता है.

23 मार्च, 2023 को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में अल्प विराम आ गया था. मानहानि के एक मामले में सूरत की सीजेएम (CJM) कोर्ट ने दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुना दी थी. इस फैसले के अगले दिन ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गई थी. यानी बीते करीब 130 दिनों से राहुल गांधी, कांग्रेस के एक सामान्य नेता रह गए थे, वो सांसद नहीं थे. 

कैसे आगे बढ़ी कानूनी लड़ाई

सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दी गई, 2 साल की सजा पर रोक लगा दी, लेकिन मानहानि केस में उनकी दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई. सेशन कोर्ट के बाद राहुल के वकीलों ने हाईकोर्ट (High Court) का रुख किया. हाईकोर्ट ने भी राहुल की सजा पर रोक को बरकरार रखा, लेकिन दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई. दोषसिद्धी को खारिज करने की अपील लेकर, राहुल के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने अबकी बार राहुल गांधी की दोषसिद्धी पर रोक लगा दी.

दोषसिद्धी और दोषी होने में क्या कानूनी फर्क है

Supreme Court की ओर से दोषसिद्धी पर रोक लगाए जाने का मतलब ये नहीं है, कि राहुल गांधी को मानहानि केस से बरी कर दिया गया है. इस फैसले से एक बात साफ है कि राहुल गांधी को इस केस से राहत तो मिली है, लेकिन ये केस उनके जी का जंजाल बना रहेगा, इसकी भी एक वजह है. जैसे मानहानि का ये केस अभी भी सेशन कोर्ट में चल रहा है.

कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए सेशन कोर्ट का फैसला आने के बाद तय होगा कि राहुल गांधी के साथ क्या होगा. Session Court का फैसला आने के बाद मामला High Court पहुंच सकता है. अगर High Court का कोई फैसला आया तो फिर इसके बाद Supreme Court में सुनवाई हो सकती है. यानी एक लंबी कानूनी प्रक्रिया बाकी है.

राहुल गांधी चुनाव लड़ सकेंगे

दोषसिद्धी पर रोक लगने पर राहुल गांधी को एक बड़ी राहत मिली है. अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता दोबारा बहाल हो सकती है. फैसले से एक लाभ ये भी है कि अब राहुल गांधी वर्ष 2024 या उसके बाद के चुनाव भी लड़ सकेंगे. अगर दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगती तो वो करीब 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाते. 

सदस्यता की बहाली में राजनीतिक अडंगा?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी को ये उम्मीद होगी कि उनकी संसद सदस्यता जल्दी बहाल कर दी जाएगी. वो ये भी मानकर चल रहे होंगे कि वो अविश्वास प्रस्ताव की बहस और वोटिंग में हिस्सा ले पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, राहुल की सदस्यता बहाली का रास्ता तो साफ हो गया है, लेकिन लोकसभा स्पीकर एक निश्चित समय में उनकी सदस्यता बहाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं.

हमारे सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की सदस्यता पर फैसला लोकसभा स्पीकर, Supreme Court के फैसले के गहन अध्ययन के बाद ही लेंगे. यानी अगर देखा जाए, तो राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली में राजनीतिक अडंगा आ सकता है. वजह ये है कि

सदस्यता बहाली की समय सीमा को लेकर कोई नियम नहीं है.
सदस्यता बहाली के लिए स्पीकर कितना भी समय ले सकता है.
सदस्यता बहाली लोकसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है.

यानी लोकसभा स्पीकर का गहन अध्ययन कब तक चलेगा, ये कहना मुश्किल है. इससे जुड़ा एक किस्सा भी हम आपको बताते हैं. इस तरह के एक मामले में लक्ष्यद्वीप के NCP सांसद मोहम्मद फैज़ल एक बड़ा उदाहरण है. 11 जनवरी 2023 को लक्ष्यद्वीप की कवरत्ती जिला अदालत ने हत्या की कोशिश के एक मामले में मोहम्मद फैज़ल को दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. 

जिसके बाद 13 जनवरी को उनकी लोकसभा सदस्यता खारिज कर दी गई थी. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मोहम्मद फैज़ल ने केरल हाईकोर्ट में अपील की थी. जिसने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धी और सज़ा पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद मोहम्मद फैज़ल ने लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग की थी. लेकिन लोकसभा स्पीकर ने 2 महीने तक एक्शन नहीं लिया. इसके बाद मोहम्मद फैज़ल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. हालांकि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, उससे कुछ घंटे पहले ही लोकसभा स्पीकर ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी.

इस घटनाक्रम से यह पता चलता है कि लोकसभा सदस्य की बहाली को लेकर लिया जाने वाला फैसला स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है. बहाली का फैसला लेने को लेकर लोकसभा स्पीकर, समय सीमा में बंधा हुआ नहीं है. यानी साफ है कि अभी राहुल गांधी के संसद पहुंचने का रास्ता उतना आसान नहीं है, जितना दिख रहा है.

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