मोबाइल यूजर्स हो रहे हैं 'फ़बिंग' का शिकार, भारत में भी बढ़ रही है संख्या
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मोबाइल यूजर्स हो रहे हैं 'फ़बिंग' का शिकार, भारत में भी बढ़ रही है संख्या

मोबाइल ने लोगों की जिंदगी में इस कदर पैठ बना ली है कि इसे नजरअंदाज करना शायद नामुमकिन सा लगेगा.

मोबाइल आपके मानसिक और सामाजिक जीवन पर का गहरा प्रभाव डाल रहा है.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: मोबाइल ने लोगों की जिंदगी में इस कदर पैठ बना ली है कि इसे नजरअंदाज करना शायद नामुमकिन सा लगेगा. बच्चों से लेकर बड़े तक मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग के शिकार होते जा रहे हैं. मोबाइल से होने वाली बीमारियों के बारे में आए दिन खबरें सामने आती रहती हैं. मोबाइल यूजर्स घर और ऑफिस के अलावा बाथरूम में भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर हम आप से कहें कि मोबाइल आपके मानसिक और सामाजिक जीवन पर का गहरा प्रभाव डाल रहा है तो, शायद आप विश्वास नहीं कर पाएंगे. आप को बता दें कि हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई डिक्शनरी में एक नया शब्द 'फ़बिंग' जोड़ा गया है. इसका मतलब मोबाइल के प्रयोग के समय सामने खड़े व्यक्ति को नजरअंदाज करना है.  

क्या है 'फ़बिंग'
'फ़बिंग' एक ऐसी स्थिति है जब आप किसी समारोह, पारिवारिक मीटिंग, ऑफिसियल टूर या ऐसी ही अन्य किसी स्थिति में अपने साथ मौजूद लोगों से ज्यादा मोबाइल को तवज्जो देते हैं. अक्सर लोगों के साथ ऐसा होता है कि आप किसी व्यक्ति के साथ खड़े हैं और उसी बीच आपके फोन पर कोई मैसेज आए तो आप साथ खड़े व्यक्ति को नजरअंदाज कर मोबाइल में ही मशगूल हो जाते हैं.

रिसर्च में सामने आया लोगों का व्यवहार
'फ़बिंग' को जानने और समझने के लिए ब्रिटेन की केंट यूनिवर्सिटी के वरोत चटपितायसुनोन्ध ने इस पर रिसर्च की. उन्होंने यह रिसर्च अपने ऊपर ही की थी. उन्होंने रिसर्च में अपने मोबाइल यूजर्स दोस्तों की मानसिक स्थिति को जानने पर जोर दिया. रिसर्च के परिणाम काफी चौंकाने वाले थे. रिसर्च में सामने आया कि 'फ़बिंग' की समस्या से जूझ रहे लोगों की मानसिक स्थिति में लगातार गिरावट हो रही है. साथ ही उनसे जुड़े लोगों में उनके प्रति विश्वास में भी गिरावट होती है. 'फ़बिंग' के शिकार लोगों का सामाजिक जीवन इससे अधिक प्रभावित होता है. वहीं, लोगों के बीच स्वीकार्यता भी घटती है. गौरतलब है कि 'फ़बिंग' की समस्या से घिरे लोग मोबाइल के कारण अपने साथ खड़े व्यक्ति की लगातार अनदेखी करते हैं. 

अपने ही दोस्तों पर की रिसर्च
रिसर्च करने वाले वरोत ने कहा कि मुझे काफी समय बाद एक लंबी छुट्टी मिली थी तो मैंने अपने दोस्तों के साथ थाईलैंड घूमने का प्रोग्राम बनाया. उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से एकसाथ ऐसी छुट्टी पर नहीं गए थे. उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके सभी दोस्त अपने मोबाइल पर ही व्यस्त रहे. कोई मोबाइल पर गेम खेल रहा था तो, कोई चैटिंग में बिजी था. उन्होंने कहा कि इस यात्रा के बाद ही मैंने अपने दोस्तों के व्यवहार में आए इस अंतर की पढ़ाई की और इस पर पीएचडी की.

भारत में भी बढ़ रहे हैं 'फ़बिंग' के मामले
रिसर्च में पता चला कि आपके सामने मौजूद व्यक्ति पर 'फ़बिंग' के कारण नकारात्मक असर पड़ता है. 'फ़बिंग' के कारण सामने वाले व्यक्ति का आप पर भरोसा कम होने लगता है. लोगों में जुड़ाव और संबंधों पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. 'फ़बिंग' के चलते मनोदशा 'सकारात्मक कम' और 'नकारात्मक अधिक' होती है. वहीं, इस बारे में विशेषज्ञों की मानें तो, भारत में भी 'फ़बिंग' तेजी से पैर पसार रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में कुछ वायरल चैलेंज को भी इससे जोड़ा जा सकता है. लोग मोबाइल पर वीडियो बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं. 

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