वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को देश में टीबी से पीड़ित रोगियों की पोषण संबंधी सहायता के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए.
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार (1 फरवरी) को देश में टीबी से पीड़ित रोगियों की पोषण संबंधी सहायता के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए. जेटली ने 2018-19 का बजट पेश करते हुए कहा, "टीबी रोगियों के पोषण के लिए सरकार ने सहायता स्वरूप 600 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है." उन्होंने कहा, "देश में जिन भी टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है, उन्हें 500 रुपये दिए जाएंगे." सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की घोषणा भी की. इसके साथ ही देश में 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना-आयुष्मान भारत शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य देखरेख कार्यक्रम होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को 2018-19 के लिए बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘हम 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों (करीब 50 करोड़ लाभार्थी) को दायरे में लाने के लिए एक फ्लैगशिप राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना प्रारंभ करेंगे जिसके तहत दूसरे और तीसरे स्तर के अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष तक का कवरेज प्रदान किया जाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह विश्व का सबसे बड़ा सरकारी वित्तपोषित स्वास्थ्य देखरेख कार्यक्रम होगा. इस कार्यक्रम के सुचारू क्रार्यान्वयन के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी.’’ मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना गरीब परिवारों को 30 हजार रुपये का वार्षिक कवरेज ही प्रदान करती है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम सब जानते हैं कि हमारे देश में लाखों परिवारों को अस्पतालों में इलाज कराने के लिए उधार लेना पड़ता है या संपत्तियां बेचनी पड़ती हैं. सरकार निर्धन और कमजोर परिवारों की इस स्थिति को लेकर अत्यधिक चिंतित है.’’ जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की नींव के रूप में स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों की परिकल्पना की गयी है. ये डेढ़ लाख केंद्र स्वास्थ्य देखरेख प्रणाली को लोगों के घरों के पास लाएंगे. उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए इस बजट में 1200 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की वचनबद्धता जताई. इसके लिए उन्होंने निजी क्षेत्र को भी योगदान के लिए आमंत्रित किया.
खेतीबाड़ी और ग्रामीण विकास पर जोर: आयकर दरों, स्लैब में बदलाव नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग सरकार के अपने अंतिम पूर्ण बजट में गुरुवार (1 फरवरी) को एक तरफ खेतीबाड़ी, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, सूक्ष्म एवं लधु उद्यमों तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए खजाना खोल कर आम लोगों को लुभाने का प्रयास किया, वहीं वेतन भोगी लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को कर और निवेश में राहत देने की भी घोषणाएं की. वित्त मंत्री ने हालांकि आयकर दरों और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया पर वेतनभोगियों के लिए 40,000 रुपए वार्षिक की मानक कटौती की जरूर घोषणा की. इससे इस वर्ग के करदाताओं को कुल मिलाकर 8,000 करोड़ रुपए का फायदा होने का अनुमान है.
लोकसभा में लगातार पांचवां बजट पेश करते हुए जेटली ने सभी कर योग्य आय पर स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया. साथ ही सामाजिक कल्याण योजनाओं के वित्त पोषण के लिये 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण अधिभार का भी प्रस्ताव किया. उन्होंने 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की भी घोषणा की.
40,000 रुपये की मानक कटौती
करीब दो घंटे (110 मिनट) के भाषण में जेटली ने हालांकि आयकर की दरों और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिये परिवहन एवं चिकित्सा व्यय के बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती देने की जरूर घोषणा की. वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के लिये बैंक जमा पर ब्याज से आय की छूट सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया. साथ ही मियादी जमाओं पर स्रोत पर कर कटौती नहीं होगी.
(इनपुट एजेंसी से भी)