MP Election: इस नक्सल प्रभावित पोलिंग बूथ की अनोखी पहल, वोटर्स को लुभाने के लिए उठाया ये कदम
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MP Election: इस नक्सल प्रभावित पोलिंग बूथ की अनोखी पहल, वोटर्स को लुभाने के लिए उठाया ये कदम

MP Assembly Election 2023: एमपी के मंडला ज़िले के कान्हा नेशनल पार्क के कोर जोन में आने वाले एक क्रिटिकल पोलिंग बूथ के अंदर करीब 8 गांव के वोटर आते हैं. ऐसे में मतदाताओं को लुभाने के लिए पोलिंग बूथ की तरफ से पहल की गई है.

MP Election: इस नक्सल प्रभावित पोलिंग बूथ की अनोखी पहल, वोटर्स को लुभाने के लिए उठाया ये कदम

MP Election Date: मध्य प्रदेश का महाकौशल इलाका आदिवासी संस्कृति से ओतप्रोत है. इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित भी है. ऐसे में प्रशासन के सामने सुरक्षित माहौल में वोटिंग कराने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को वोटिंग के लिए प्रेरित करने जैसी अहम चुनौतियां भी है. मंडला ज़िले के कान्हा नेशनल पार्क के कोर जोन में आने वाले एक ऐसे ही क्रिटिकल पोलिंग बूथ किसली भिलवानी पग्राम पंचायत के अंदर करीब 8 गांव के वोटर आते हैं. इस बूथ पर पहुंचने के लिए कान्हा नेशनल पार्क के एंट्री पॉइंट से कड़ी सुरक्षा के बीच जाना होता है. 

नक्सल प्रभावित

सभी 8 आदिवासी गांव हैं और यहां गोंड जनजाति के लोग बहुल्यता में पाए जाते हैं. यहां के प्राइमरी स्कूल में पोलिंग बूथ तैयार किया गया है, जिसमें 653 मतदाता वोट करने पहुंचेंगे. ये इलाका नक्सल प्रभावित है, इसलिए इस पोलिंग बूथ को क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में लोगों को एक सुरक्षित माहौल मिल सके और लोग मतदान केंद्र की ओर आकर्षित हों, इसका ध्यान रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के साथ पोलिंग बूथ को खास गोंड चित्रकारी से सजाया है.

चित्रकारी

पोलिंग बूथ की तैयारी को लेकर इलाके के सीओ विनोद मरावी का कहना है कि बूथ पर यहां की संस्कृति को दर्शाती गोंड चित्रकारी की गई है, ताकि लोगों को अपनापन लगे और वो ज़्यादा से ज़्यादा वोट करने आएं. फर्स्ट टाइम वोटर्स के लिए चुनावी पाठशाला भी लगाई गई है. चूंकि ये एक क्रिटिकल बूथ है, उसके लिए पोलिंग पार्टी को भी तैयार किया है. उनकी सुरक्षा और सुविधा के इंतज़ाम किये हैं. लोगों से उनकी भाषा में संवाद स्थापित किया जा रहा है.

नारी सेंटर्स

गोंड चित्रकारी की विशेषता और यहां के लोगों में इसके प्रति गहरा लगाव है. औरई गांव मे आदिवासी महिलाएं अपनी कला से गांव की तस्वीर भी बदल रही हैं और अपनी तक़दीर भी. गोंड चित्रकारी को जीवित रखने के लिए प्रशासन की ओर से नारी क्रांति सेंटर्स बनाये गए हैं, जहां चित्रकारी के प्रशिक्षण के साथ इसके ज़रिये आजीविका चलाने के लिए मदद भी की जाती है.

पेंटिंग

गोंड जनजाति से आने वाली ज्योति नेटी बताती हैं कि हमारे पूर्वज इस कला को करते थे, लेकिन आगे की पीढ़ी इसे छोड़ती गई. हम चाहते हैं कि ये कला विलुप्त न हो. ये प्रकृति पर आधारित चित्रकला है. बहुत बारीकी से काम किया जाता है. एक कैनवास पेंटिंग बनाने में 4-5 दिन का वक्त लगता है. एक साड़ी तैयार करने में 10 दिन लग जाते हैं. इस कला को ज़िंदा रखना बेहद ज़रूरी है. एक पेंटिंग करीब 2 से ढाई हज़ार में बिक जाती है. ये हमारी आजीविका का भी साधन है. मतदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए हम गोंड पेंटिंग के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

वेशभूषा

सिर्फ चित्रकारी ही नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति की परिचायक उनकी वेशभूषा और पारम्परिक नृत्य के समावेश के ज़रिये भी लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अक्सर आम जनजीवन से दूर रहने वाले आदिवासियों को चुनावी पाठशाला के माध्यम से वोट करने की प्रक्रिया भी बताई जा रही है.

त्योहार का माहौल

रिमोट इलाकों में वोटिंग कराने की चुनौतियों को लेकर मंडला ज़िले की डीएम डॉ. सलोनी सिडाना का कहना है कि लोगों में काफी उत्साह है. कुछ रिमोट इलाके हैं, उसी हिसाब से तैयारी की गई है. हम चाहते हैं कि जिस दिन वोटिंग हो, उस दिन त्योहार का माहौल रहे. यहां की लोकल चीज़ों जैसे चित्रकारी का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि लोगों को बहुत ही अपनापन महसूस हो. पूरे ज़िले में सुरक्षा की भी सारी तैयारी की गई है.

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