विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को अपने मंगोलियाई समकक्ष दमदिन सोगतबातर के साथ आतंकवाद पर चर्चा की और दोनों नेताओं ने आतंकी समूह बनाने और उनका समर्थन करने वालों से मिलकर मुकाबला करने पर सहमति जताई.
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उलानबातार: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को अपने मंगोलियाई समकक्ष दमदिन सोगतबातर के साथ आतंकवाद पर चर्चा की और दोनों नेताओं ने आतंकी समूह बनाने और उनका समर्थन करने वालों से मिलकर मुकाबला करने पर सहमति जताई. सुषमा चीन का अपना दौरा पूरा करने के बाद मंगलवार को मंगोलिया की राजधानी पहुंचीं. सुषमा ने देश के व्यापारिक समुदाय को भारत के विकास से आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया. वह यहां भारत-मंगोलिया संयुक्त परामर्श समिति (आईएमजेसीसी) के छठे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगी, जिसमें आर्थिक, ऊर्जा, राजनीतिक, रणनीतिक, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी.
सुषमा 42 सालों में मंगोलिया का दौरा करने वाली भारत की पहली विदेश मंत्री हैं. नरेंद्र मोदी 2015 में इस एशियाई देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे. उनके दौरे से चीन की व्याकुलता बढ़ गई थी. सोगतबातर के साथ बातचीच के बाद सुषमा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमने विशेष रूप से आतंकवाद और मानवता को प्रभावित करने वाली वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस बुराई को जड़ से उखाड़ने के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर हम सहमत हुए हैं. "
Agreed minutes of India-Mongolia Joint Committee Meeting agreed between EAM @SushmaSwaraj and Mongolian Foreign Minister @TsogtbaatarD. Text at https://t.co/DFCeb3DpTV. pic.twitter.com/WytqcL2TZl
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) April 25, 2018
उन्होंने कहा कि भारत मंगोलिया को पूर्वी एशिया में स्थिरता के एक कारक के रूप में देखता है. उन्होंने कहा कि देश का सामाजिक और आर्थिक विकास क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए जरूरी है. भारत वर्तमान में मंगोलिया को उसकी पहली तेल रिफाइनरी के निर्माण में एक अरब डॉलर की मदद कर रहा है, ताकि उसकी निर्भरता पड़ोसी देशों पर कम हो सके. सुषमा ने कहा कि उन्होंने तेल रिफाइनरी परियोजना और जारी अन्य परियोजनाओं की समीक्षा की है.
उन्होंने कहा, "भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों और विकास की मजबूत अकांक्षा के साथ मंगोलिया भारत की विकास की कहानी में एक अहम साझेदार हो सकता है. "उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आईटी, आधारभूत संरचना, ऊर्जा और सेवा समेत नए क्षेत्रों में सहयोग की पहचान की है.
दोनों देश व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत बाधाएं दूर करने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने भारत का दौरा करने वाले और बौद्ध अध्ययन क्षेत्र में शामिल होने वाले मंगोलियाई विद्यार्थियों को नई छात्रवृत्ति देने की घोषणा की.
इनपुट भाषा से भी