बांग्‍लादेश: युद्ध अपराधों के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्व नेता को सजा-ए-मौत
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बांग्‍लादेश: युद्ध अपराधों के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्व नेता को सजा-ए-मौत

बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के निष्कासित नेता मुबारक हुसैन को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने और 33 नागरिकों की हत्या करने के मामले में एक विशेष न्यायाधिकरण ने सोमवार को मौत की सजा सुनाई।

ढाका : बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के निष्कासित नेता मुबारक हुसैन को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने और 33 नागरिकों की हत्या करने के मामले में एक विशेष न्यायाधिकरण ने सोमवार को मौत की सजा सुनाई।

न्यायमूर्ति एम इनायतुर रहीम के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-दो के न्यायाधीशों के तीन सदस्यीय पैनल ने फैसला सुनाया, उसे जान जाने तक फांसी पर लटकाया जाए। न्यायाधिकरण ने कहा कि पूर्व मिलीशिया कमांडर के खिलाफ लगाए गए पांच आरोपों में से उसे दो में दोषी पाया गया। 64 वर्षीय हुसैन को 22 अगस्त 1971 को मध्य ब्रह्मनबारिया जिले में 33 आम नागरिकों की हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।

हुसैन को हत्या के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। अभियोजन ने उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, यातना और घरों से लूटपाट करने के आरोप लगाए थे। वह 1971 में मिलिशिया गुट रजाकार की स्थानीय इकाई का कमांडर था। यह मिलीशिया ऐसे बांग्लाभाषी देशद्रोहियों का समूह था जिसका गठन पाकिस्तानियों ने 1971 में अपने सहायक सैनिकों के तौर पर किया था। हुसैन कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा था जो बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था। पाकिस्तान की हार के बाद वह अवामी लीग में शामिल होने में सफल रहा, जिसने मुक्ति संग्राम की अगुवाई की थी।

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