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वाशिंगटन : दिल का ऑपरेशन कराने वाले शिशुओं को यदि पहले से स्टोर करके रखे गए खून के बजाय ताजा खून चढ़ाया जाए जो यह न केवल उनमें संक्रमण का खतरा कम करता है बल्कि भविष्य में भी बड़ा होने पर ऐसे शिशुओं के संबंधित बीमारियों की चपेट में आने की आशंका कम रहती है।
एक नए अध्ययन के मुताबिक, रक्त या रक्त घटकों को ग्रहण करने वाले ऐसे मरीजों को एलर्जी और बुखार की समस्या के साथ फेफड़े से संबंधित और संक्रामक रोग जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में ‘द चिल्ड्रेंस हॉस्पीटल ऑफ फिलाडेलफिया एंड पेरेलमन स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के डेविड आर. जॉब्स ने बताया, ऐसे शिशुओं में रोग संक्रमण का खतरा बड़ों के समान ही होता है। लेकिन लंबे समय के लिए यह संभवत: ज्यादा कष्टकारी हो सकता है क्योंकि इसके कारण शिशुओं और बड़े बच्चों को रक्त संचरण से होने वाली असाध्य बीमारियों को लंबे समय तक झेलना पड़ सकता है।
जॉब्स और उनके साथियों ने एक कार्यक्रम के प्रभाव का परीक्षण किया जिसका उद्देश्य दो वर्ष के या उनसे छोटे बच्चों में इलेक्टिव कार्डियाक सर्जरी के लिए दो यूनिट ताजा पूर्ण रक्त की मानक विधि का प्रयोग करते हुए संक्रमण को कम करना है।
अध्ययन के मुताबिक, ताजा पूर्ण रक्त को इनके घटकों (लाल रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा) में अलग-अलग घटकों में विभाजित नहीं किया गया हो और इन्हें ऑपरेशन से 48 घंटे से भी कम समय पहले इकट्ठा किया गया हो।
जॉब्स ने बताया, फिलहाल, शिशुओं के दिल के ऑपरेशन में इस्तेमाल के लिए आमतौर पर अस्पतालों में पूर्ण रक्त उपलब्ध नहीं होता। रक्त आपूर्ति केंद्र इन्हें इनके घटक हिस्सों में अलग कर देते हैं जिन्हें बाद में जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जाता है। यह अध्ययन द एनल्स ऑफ थोरेसिस सर्जरी पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।