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नई दिल्ली : सैटर्न के विशाल चांद टाइटन के बारे में जानकारी जुटाने के मिशन पर जुटे नासा के कैसीनी अंतरिक्षयान ने अपनी आखिरी उड़ान भर दी है. इस आखिरी डाइव को ‘द ग्रैंड फिनाले’ नाम दिया गया है.
इसके आखिरी उड़ान के मौके को गूगल डूडल के जरिए सेलिब्रेट कर रहा है. डूडल में कैसीनी शनि के किनारे घूम रहा है और फोटो ले रहा है. सबसे खास बात ये है कि शनि ने स्माइल भी किया है.
कैसीनी टाइटन की धुंधली सतह और हाइड्रोकॉर्बन झीलों पर डेटा इकट्ठा कर रहा है. वो अपने इस सफर पर लगभग 13 सालों से है ये वक्त उसके मिशन का आखिरी वक्त है. उसका सफर इस सितंबर में खत्म हो जाएगा.
नासा की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस आखिरी डाइव के बाद कैसिनी ग्रह के बर्फीले छल्ले पर छलांग लगाएगी और ग्रह और रिंगों के बीच 22 साप्ताहिक डाइव की एक श्रृंखला शुरू करेगी.’
यान ने पिछले शुक्रवार 21 अप्रैल को टाइटन के आखिरी बार करीब पहुंचा था. इसने सैटर्न के छल्लों और बादलों की अल्ट्रा-क्लोज इमेजेज भेजी थी. अक्टूबर, 1997 में नासा ने कैसीनी नाम का अंतरिक्षयान शनि की ओर रवाना किया था. एक अरब किलोमीटर का फासला सात साल में तय करके वह यान 1 जुलाई, 2004 को शनि के आंगन में पहुंचा था. तब से कैसीनी वहीं विचर रहा है.
गौरतलब है कि शनि ग्रह के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन पर जीवन के संकेत मिले थे. उसके वातावरण में पाई गई हाइड्रोजन के बारे में वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे थे कि यह गैस वहां के प्राणियों की सांसों से निकली है.
शनि के उपग्रहों में से विशालतम उपग्रह टाइटन को हम पृथ्वी वाले 1655 से जानते हैं. उस साल हॉलैंड के क्रिस्तियान हुइजीन ने उसे, दूरबीन की मदद से, शनि के एक उपग्रह के रूप में पहचान लिया था.
टाइटन न केवल शनि परिवार का सब से विशाल उपग्रह है, पूरे सौरमंडल में वह दूसरे नम्बर का उपग्रह है. सौर परिवार में यदि शनि पृथ्वी का ग्रह-भाई है, तो उस नाते टाइटन पृथ्वी का भतीजा है. टाइटन का वातावरण और उसकी सतह भी कई बातों में अपनी बुआ पृथ्वी से मिलती-जुलती है. टाइटन की सतह पर हवा का दबाव पृथ्वी की सतह पर हवा के दबाव से केवल डेढ़ गुना ज्यादा है.