अमेरिका vs उत्तर कोरिया: 'दोहरा रास्ता' वाला तरीका अपनाने पर चीन का जोर
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अमेरिका vs उत्तर कोरिया: 'दोहरा रास्ता' वाला तरीका अपनाने पर चीन का जोर

चीन ने कहा कि दक्षिण कोरिया में अमेरिका अपने सैन्य अभ्यास रोके, जबकि उत्तर कोरिया अपने हथियार कार्यक्रम को रोके. हालांकि, इस प्रस्ताव को कुछ खास तवज्जो नहीं मिली है.

अमेरिका vs उत्तर कोरिया: 'दोहरा रास्ता' वाला तरीका अपनाने पर चीन का जोर

बीजिंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से उत्तर कोरिया को आतंकवाद का प्रायोजक फिर से करार दिए जाने के बाद चीन ने मंगलवार (21 नवंबर) को वार्ता के जरिए उत्तर कोरियाई परमाणु संकट को सुलझाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की अपील की. चीन ने गतिरोध खत्म करने के लिए वार्ता पर बार-बार जोर दिया है. कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि आतंकवाद का प्रायोजक करार देने से तनाव बढ़ सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘‘हम अब भी उम्मीद करते हैं कि सभी संबंधित पक्ष तनाव कम करने में योगदान कर सकते हैं, संबंधित पक्ष बातचीत बहाल कर सकते हैं और वार्ता एवं विचार-विमर्श के जरिए कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दे को सुलझाने के लिए सही राह चुन सकते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बाबत और ज्यादा कदम उठाने चाहिए.’’ चीन ने ‘‘दोहरा रास्ता’’ वाला तरीका अपनाने पर जोर दिया है जिसमें अमेरिका को दक्षिण कोरिया में अपने सैन्य अभ्यास रोकने होंगे, जबकि उत्तर कोरिया अपने हथियार कार्यक्रम को रोकेगा. हालांकि, इस प्रस्ताव को कुछ खास तवज्जो नहीं मिली है.

'उत्तर कोरिया को आतंकवाद को समर्थन देने वाले राष्ट्रों की सूची में डालना दबाव बनाने रणनीति'

इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन का कहना है कि उत्तर कोरिया को आतंकवाद को समर्थन देने वाले राष्ट्रों की सूची में डालना प्योंगयांग पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका का लक्ष्य उत्तर कोरिया के हालिया कदमों के लिए उसकी जवाबदेही तय करना है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (20 नवंबर) को उत्तर कोरिया को आतंकवाद को समर्थन देने वाला राष्ट्र घोषित किया था. ट्रंप ने कैबिनेट को संबोधित करते हुए कहा था, ‘अमेरिका आज.... उत्तर कोरिया को आतंकवाद को समर्थन देने वाला राष्ट्र घोषित कर रहा है. यह बहुत पहले कर देना चाहिए था... यह बहुत पहले कर देना चाहिए था.’

व्हाइट हाउस के संवाददाता सम्मेलन में टिलरसन ने कहा, ‘उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने की दिशा में बस यह एक और कदम है... मैं इसे दबाव बनाने वाला एक शांतिपूर्ण अभियान करार दूंगा. राष्ट्रपति ने इसे अधिकतम दबाव बनाने वाला अभियान करार दिया था. इसिलए, इसमें कोई दुविधा नहीं है... यह एक एवं समान बात है.’ उन्होंने कहा कि इस कदम के जरिए अमेरिका का लक्ष्य उत्तर कोरिया द्वारा पिछले कुछ वर्षों में उठाए उसके कदमों के लिए उसकी जवाबदेही तय करना है.

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