DNA Analysis: अपना पुराना गौरव वापस पाने के लिए स्पेन से क्या सीख सकता है भारत? आजादी के बाद ऐसे उतार फेंके थे गुलामी के प्रतीक
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DNA Analysis: अपना पुराना गौरव वापस पाने के लिए स्पेन से क्या सीख सकता है भारत? आजादी के बाद ऐसे उतार फेंके थे गुलामी के प्रतीक

DNA of Osmania Sultanate and Spain: स्पेन यूरोप का एक छोटा सा देश है, लेकिन उस्मानिया सल्तनत से आजाद होने के बाद उसने अपना पुराना गौरव वापस पाने के लिए ऐसा बड़ा काम किया, जिससे आज भारत भी बहुत कुछ सीख सकता है. 

DNA Analysis: अपना पुराना गौरव वापस पाने के लिए स्पेन से क्या सीख सकता है भारत? आजादी के बाद ऐसे उतार फेंके थे गुलामी के प्रतीक

DNA of Osmania Sultanate and Spain: आज भारत चाहे तो Spain, Portugal, Greece, रोमानिया और Bulgaria देशों से काफी कुछ सीख सकता है. उस्मानिया सल्तनत के शासनकाल में इन देशों के कई ऐतिसहासिक Churches को तोड़ कर वहां मस्जिदें बना दी गई थी. बाद में जब ये देश उस्मानिया सल्तनत से आजाद हुए तो उसके बाद यहां मस्जिदों को गिरा कर फिर से उनकी जगह Churches बना दिए गए. जबकि भारत में इसके बिल्कुल विपरीत हुआ.

स्पेन ने आजादी के बाद टूटे हुए चर्चों का दोबारा निर्माण किया

आजादी के बाद जब भारत को अपनी सांस्कृतिक पहचान में लौटना था, तब हमारे देश के नेताओं ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऐतिहासिक गलतियों को कानूनी रूप दे दिया और ऐसा कानून बना दिया जिससे ध्वस्त किए गए हिन्दू मन्दिरों की ना कभी पुनर्स्थापना हो सके और ना ही उनका सच लोगों को पता चल सके. उदाहरण के लिए मुस्लिम आक्रमणकारियों ने एक ही समय पर Spain और भारत पर हमला किया था.

मुस्लिम हमलावरों ने हमले के दौरान तोड़ डाले थे चर्च

वर्ष 711 में उत्तरी अफ्रीका से आए मुस्लिम आक्रमणकारियों ने Spain के दक्षिणी हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था. इसके एक वर्ष बाद साल 712 में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला करके उसे अपने कब्जे में ले लिया था. उस समय स्पेन में बहुसंख्यक आबादी ईसाई धर्म के लोगों की थी और भारत में हिन्दू बहुसंख्यक थे. यानी दोनों ही देशों पर बाहरी मुस्लिम आक्रमणकारियों का कब्जा हो गया था और यहीं से दोनों देशों के धार्मिक स्थलों को तोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ.

भारत में आजादी के 75 साल बाद भी ऐसा मुमकिन नहीं

हालांकि स्पेन (Spain) और भारत में बड़ा अंतर ये है कि, स्पेन में मध्य युग में ही तोड़ गए Churches का फिर से पुनर्निर्माण हुआ. जबकि भारत में आजादी के 75 वर्ष बाद भी ये मुमकिन नहीं हो पाया है. आज भी हमारे देश में ऐसी कई मस्जिद और मकबरें हैं, जो मन्दिर तोड़ कर बनाए गए थे. इसके बावजूद आज इन्हें फिर से मन्दिर के रूप में स्थापित करना बड़ी चुनौती है.

चीन में उइगुर मुस्लिमों को चीनी बनाने की कोशिश

एक तरफ भारत है, जहां एक खास धर्म को लेकर Fake Narrative गढ़ा जाता है. कहा जाता है कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं है. इस पर पाकिस्तान और दूसरे देश भी भारत के खिलाफ़ दुष्प्रचार करते हैं. लेकिन ये देश कभी चीन को लेकर सवाल नहीं उठाते, जहां उइगर मुसलमानों का दमन किया जाता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल ही में चार दिन के लिए शिनजियांग प्रांत के दौरे पर थे. ये वही प्रांत है, जहां 10 से 30 लाख उइगर मुसलमानों को Detention Center में रखा हुआ है. शी जिनपिंग ने इन मुसलमानों को लेकर तीन बड़ी बातें कही हैं.

3 सूत्रीय एजेंडे पर काम कर रहा है चीन

पहली बात- इस्लाम चीन की परंपराओं और समाज के मुताबिक अपने आप को ढालने की कोशिश करे और उसे समाजवादी ढांचे को अपनाना चाहिए. दूसरी बात- चीन के मुसलमानों को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की समाजवादी व्यवस्था के अनुकूल होना चाहिए. जिनपिंग ने ये भी कहा कि धर्म को मानने वाले लोगों की सामान्य धार्मिक जरूरतों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उन्हें पार्टी और सरकार के करीब एकजुट होना चाहिए. तीसरी बात- उन्होंने ये कही कि उइगर मुस्लिम समुदाय को चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बढ़ानी चाहिए.

मुसलमानों का कठोरता से किया जाता है दमन

चीन की कुल आबादी में लगभग ढाई प्रतिशत मुसलमान हैं. यानी वहां लगभग साढ़े तीन करोड़ मुसलमान रहते हैं. लेकिन चीन में मुसलमानों को ना तो ज्यादा लम्बी दाढ़ी रखने का अधिकार है और ना ही वहां मुस्लिम महिलाएं बुर्का या हिजाब पहन सकती हैं. इसके अलावा चीन ने मोहम्मद, जेहाद, कुरान, मक्का, मदीना और इमाम जैसे 20 नामों पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है. यानी अगर वहां कोई परिवार अपने बच्चे का नाम मोहम्मद या जेहाद रखना चाहता है तो उसे गिरफ़्तार किया जा सकता है. लेकिन इसके बावजूद कोई भी देश इसके लिए चीन पर कोई सवाल नहीं उठाता. जबकि भारत के मामले में इस पर खूब राजनीति होती है

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