ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में खुलासा, पाकिस्तान पुलिस करती है मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन
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ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में खुलासा, पाकिस्तान पुलिस करती है मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन

पाकिस्तान एक बार फिर मानवाधिकारों के हनन को लेकर बेनकाब हो गया है। सोमवार को ह्यूमन राइट्स वाच यानी एचआरडब्ल्यू ने जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान में पुलिस बल मनमानी गिरफ्तारी, प्रताडना,  न्यायेतर हत्याएं और यौन हिंसा आदि के जरिए व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन में लिप्त है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में खुलासा, पाकिस्तान पुलिस करती है मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन

नई दिल्ली: पाकिस्तान एक बार फिर मानवाधिकारों के हनन को लेकर बेनकाब हो गया है। सोमवार को ह्यूमन राइट्स वाच यानी एचआरडब्ल्यू ने जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान में पुलिस बल मनमानी गिरफ्तारी, प्रताडना,  न्यायेतर हत्याएं और यौन हिंसा आदि के जरिए व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन में लिप्त है।

मानवाधिकारों की स्थिति पर पूरी दुनिया में नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि पाकिस्तान में पुलिस 'मनमानी गिरफ्तारी, प्रताड़ना, न्यायेतर हत्याएं और यौन हिंसा' आदि के जरिए व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक पाक पुलिस फोर्स के भ्रष्ट अधिकारियों के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति विशेष रूप से संवदेनशील है।  

हयूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) की 102 पन्नों की रिपोर्ट में शामिल तथ्य बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब प्रांतों में पुलिस द्वारा उत्पीडन के शिकार हुए लोगों एवं गवाहों के अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साक्षात्कारों पर आधारित हैं। रिपोर्ट में वर्ष 2015 के दौरान पुलिस द्वारा कथित रूप से 2000 से ज्यादा फर्जी एनकाउंटर का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘गैर सरकारी पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने बताया कि 2015 में पुलिस के साथ सशस्त्र मुठभेड़ों में 2000 से अधिक लोग मारे गए।'
 
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पुलिस तंत्र में तत्काल व्यापक बदलाव की मांग की गयी है क्योंकि मौजूदा व्यवस्था मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन को बढावा देती है। रिपोर्ट के अनुसार अपराध से जु़डे मामलों के अनुसंधान में पुलिस नियमित रूप से प्रताड़ना का सहारा लेती है। इसमें कहा गया है कि वंचित समूहों, शरणार्थियों, गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और भूमिहीनों के पुलिस उत्पीडन के शिकार बनने का ज्यादा जोखिम होता हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यातना के तरीकों में डंडा और चमड़े के पट्टे से पीटने, धातु के रॉड से पांवों को फैलाना और कुचलना, यौन हिंसा, लंबे समय तक नींद से वंचित करना और मानसिक यातना शामिल है।

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