अमेरिका ने माना भारत का लोहा, नई सुरक्षा नीति में बताया 'ग्लोबर पावर'
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अमेरिका ने माना भारत का लोहा, नई सुरक्षा नीति में बताया 'ग्लोबर पावर'

भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति बताते हुए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इससे भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी.

एनएसएस के दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा.

वॉशिंगटन: अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) में भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति बताते हुए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इससे भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी तथा वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा कायम रखने के लिए भारत के नेतृत्व क्षमता के योगदान का समर्थन करता है. एनएसएस के 68 पन्नों वाले इस दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (18 दिसंबर) को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी की. सुरक्षा रणनीति में कहा गया, ' हम भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत रणनीतिकार और रक्षा सहयोगी के रूप में उभरने का स्वागत करते हैं.'

एनएसएस में कहा गया, 'हम अमेरिका के बड़े रक्षा सहयोगी भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाएंगे. हम क्षेत्र में भारत के बढ़ रहे संबंधों का समर्थन करते हैं.' भारत-अमेरिका रक्षा संबंध की चर्चा भारत-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में किया गया है. इस क्षेत्र में अमेरिका ने भारत को दक्षिणी और मध्य एशिया में महत्वपूर्ण कार्य सौंपा है. इस सुरक्षा नीति को लेकर व्हाइट हाउस का कहना है कि यह अमेरिका के लिए सकारात्मक रणनीतिक दिशा तय करेगी जिससे दुनिया में अमेरिकी बढ़त फिर कायम होगी और इससे देश को मजबूती मिलेगी.

एनएसएस के अनुसार, 'हम अपनी रणनीतिक साझेदारी भारत के साथ मजबूत करेंगे और हिंद महासागर सुरक्षा तथा समूचे सीमा क्षेत्र में भारत के नेतृत्वकारी भूमिका का समर्थन करेंगे.' चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मद्देनजर अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि इलाके में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वह दक्षिण एशियाई देशों को अपनी 'संप्रभुता' बरकरार रखने में मदद करेगा.

एनएसएस में कहा गया, ' हम दक्षिण एशियाई देशों को उनकी संप्रभुता बरकरार रखने में मदद करेंगे क्योंकि इस क्षेत्र में चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है.' भारत ने सीपीईसी का विरोध किया था क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से होकर गुजरती है. एनएसएस में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अमेरिका के हितों में आतंकवादी खतरों का मुकाबला करना, सीमा-पार आतंकवाद को रोकने के साथ ही परमाणु हथियारों को आतंकवादियों के हाथों में पड़ने से रोकना शामिल है. 

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