'डेमोक्रेट्स की ओर ज्यादा है भारतीय-अमेरिकियों का झुकाव'
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'डेमोक्रेट्स की ओर ज्यादा है भारतीय-अमेरिकियों का झुकाव'

अमेरिका में 9:11 के बाद से रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अपनाए गए प्रवासी-रोधी रूख ने भारतीय-अमेरिकी लोगों का झुकाव डेमोक्रेट्स की ओर बढ़ा दिया है। मतदान के रूझानों पर लिखी गई एक नई किताब के लेखक ने यह दावा किया है। लेखक की ओर से यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्राइमरी चुनाव अब उन शहरों में होने हैं, जहां इस समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं। ‘देसीज़ डिवाइडेड: द पॉलिटिकल लाइव्स ऑफ साउथ एशियन अमेरिकन्स’ नामक पुस्तक के लेखक एस के मिश्रा ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के भारी समर्थक हैं।

वॉशिंगटन: अमेरिका में 9:11 के बाद से रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अपनाए गए प्रवासी-रोधी रूख ने भारतीय-अमेरिकी लोगों का झुकाव डेमोक्रेट्स की ओर बढ़ा दिया है। मतदान के रूझानों पर लिखी गई एक नई किताब के लेखक ने यह दावा किया है। लेखक की ओर से यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्राइमरी चुनाव अब उन शहरों में होने हैं, जहां इस समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं। ‘देसीज़ डिवाइडेड: द पॉलिटिकल लाइव्स ऑफ साउथ एशियन अमेरिकन्स’ नामक पुस्तक के लेखक एस के मिश्रा ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के भारी समर्थक हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में उम्मीदवारी के दावेदार प्राइमरी चुनाव में एक-एक डेलीगेट हासिल करने के लिए एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। न्यू यार्क, न्यू जर्सी, मेरीलैंड और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ऐसे में ये लोग मौजूदा समीकरणों में किसी न किसी तरीके से किसी एक पक्ष का पलड़ा भारी कर सकते हैं। एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए न्यू जर्सी स्थित ड्रियू यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर मिश्रा ने कहा, ‘‘वोट डालने वाले 80 प्रतिशत भारतीय अमेरिकियों ने डेमोक्रेट्स के लिए वोट डाला। यह बात इस धारणा के विपरीत जाती है कि चूंकि भारतीय अमेरिकी अमीर हैं, इसलिए उनका रूझान रिपब्लिकन को वोट डालने की ओर होगा।’ 

मिश्रा प्रवासी राजनीतिक समावेश, भारतवंशियों, वैश्विक आव्रजन और नस्ली एवं सजातीय राजनीति में विशेषज्ञता रखते हैं।   भारतीय-अमेरिकी लोगों द्वारा बड़ी संख्या में डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट डाले जाने की वजह बताते हुए मिश्रा ने कहा कि इसका संबंध 9:11 के बाद के बदलावों से है। उन्होंने कहा, ‘9:11 के बाद फैली नस्ली दुश्मनी ने वास्तव में उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर भेज दिया क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी ने लगातार प्रवासी-विरोधी रूख अपनाया है। वर्ष 2001 के बाद, वे रिपब्लिकन पार्टी से दूर हो गए। इस पार्टी को प्रवासियों की विरोधी और प्रवासियों के एकीकरण की विरोधी पार्टी के रूप में देखा जाता है।’
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी वजह यह है कि रिपब्लिकन पार्टी ईसाई धर्म के उस रूख के ज्यादा करीब की बात करने लगी है , जिसके तहत ईसाई धर्म को उनकी लामबंदी का केंद्र माना जाता है। ऐसे में, जो कोई ईसाई नहीं है, वह उनके भाषणों के प्रति थोड़ा असहज महसूस करता है।’

मिश्रा ने तर्क दिया, ‘हालांकि एक पार्टी के तौर पर उन्होंने हर किसी के लिए अवसर खोलकर रखे हैं लेकिन जब आप चुनाव के दौरान उनके भाषण सुनते हैं तो कई उम्मीदवार ईसाई धर्म से जुड़ी बातें कहते हैं। ऐसे में ये भारतीय-अमेरिकी लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर धकेल देते हैं।’ मिश्रा ने कहा कि बॉबी जिंदल और निक्की हेली जैसे दो भारतीय-अमेरिकियों के रिपब्लिकन पार्टी में शीर्ष पद तक पहुंचने के बावजूद ज्यादा अंतर नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ माह में जिस तरह से चुनाव आगे बढ़ा है, रिपब्लिकन सदस्यों ने अपनी पार्टी के समावेशी पक्ष को सामने नहीं रखा है। आव्रजन-रोधी, मुस्लिम-रोधी भाषणबाजी बेहद ज्यादा हुई है। इस तरह की भाषणबाजी को देखते हुए मैं भारतीय-अमेरिकी लोगों के मतदान के तरीके में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं करता।’’

 

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