Istanbul Election: ‘इस शहर को जीत लिया तो तुर्की को हासिल कर लिया’? दांव पर राष्ट्रपति एर्दोगन की साख
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Istanbul Election: ‘इस शहर को जीत लिया तो तुर्की को हासिल कर लिया’? दांव पर राष्ट्रपति एर्दोगन की साख

लाखों तुर्क रविवार को चुनाव में यह तय करने के लिए मतदान करेंगे कि उनके सबसे बड़े शहरों को कौन चलाएगा?

Istanbul Election: ‘इस शहर को जीत लिया तो तुर्की को हासिल कर लिया’? दांव पर राष्ट्रपति एर्दोगन की साख

लाखों तुर्क रविवार को चुनाव में यह तय करने के लिए मतदान करेंगे कि उनके सबसे बड़े शहरों को कौन चलाएगा?  क्या राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan ) विपक्ष से नियंत्रण वापस ले सकते हैं.

तुर्की (Turkey) की आर्थिक और सामाजिक महाशक्ति, इस्तांबुल (Istanbul) को पांच साल पहले लोकप्रिय मेयर एक्रेम इमामोग्लू के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष ने जीत लिया था. इस की वजह से जिससे राष्ट्रपति की लंबे समय से चली आ रही चुनावी सफलता चकनाचूर हो गई.

इस्तांबुल वापस चाहते हैं एर्दोगन
अब एर्दोगन इस शहर को वापस हासिल करना चाहते हैं. बता दें एर्दोगन 16 मिलियन लोगों की इस मेगासिटी में पैदा हुए थे. इस्तांबुल में जो कुछ भी होता है उसे इस बात की महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है कि क्या विपक्ष चार साल बाद अगले राष्ट्रपति चुनाव में एर्दोगन और उनकी एके पार्टी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक एहसान अक्तास कहते हैं, 'इस्तांबुल उनका घर है. 2019 के स्थानीय चुनावों में विपक्ष के हाथों इस्तांबुल हारना उनके लिए विनाशकारी था.' अख्तस इस्तांबुल मेडिपोल यूनिवर्सिटी में संचार विभाग से जुड़े हैं और जेनर पॉलिटिकल रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष हैं.

इस्तांबुल में पले बढ़े हैं एर्दोगन
इस्तांबुल वह जगह है जहां एर्दोगन बड़े हुए. 1970 के दशक में राजनीति में जाने से पहले वह सिमिट्स नामक तिल ब्रेड स्नैक्स बेचते थे. उन्होंने बेयोग्लू जिले में एक इस्लामी पार्टी की युवा शाखा का नेतृत्व किया, और आगे बढ़ते हुए मेयर, प्रधानमंत्री और अंततः तुर्की के राष्ट्रपति बने.

एर्दोगन ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में तीसरा कार्यकाल हासिल किया. हालांकि अब इस लेटेस्ट चुनाव में मुख्य विपक्षी दल, सेक्युलर सीएचपी, बड़े शहरों पर अपने कब्जे को कायम रखने की उम्मीद कर रही है, जो उसने पांच साल पहले नाटकीय अंदाज में जीते थे. इनमें इस्तांबुल ही नहीं, बल्कि राजधानी अंकारा (Ankara) और पर्यटक शहर अंताल्या (Antalya) भी थे.

क्यों इतना अहम है इसस्तांबुल?  
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के इसिक विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर सेडा डेमिरलप कहते हैं, 'हालांकि पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष एर्दोगन के खिलाफ हार गया था, फिर भी इस्तांबुल जीतने और तुर्की जीतने के बीच एक मजबूत रिश्ता है.'

डेमिरलप कहते हैं, 'अगर इमामोग्लू इस्तांबुल को अपने पास रखने में कामयाब हो जाते हैं, तो विपक्ष आगामी 2028 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए काफी उम्मीदें कर सकता है.'

एहसान अक्तास इस बात से सहमत हैं कि जो भी जीतेगा उसका इस्तांबुल के बाहर भी बहुत बड़ा प्रभाव होगा. उन्होंने कहा, 'जब आपको इस्तांबुल का समर्थन मिलता है, तो आप सीधे राष्ट्रीय राजनीति में एक नाम बन जाते हैं. और विश्व स्तर पर भी.'

इस शहर में तुर्की की लगभग 85 मिलियन लोगों की आबादी का पांचवां हिस्सा रहता है, और इसमें विभिन्न राजनीतिक, जातीय, धार्मिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले विविध वोटर हैं.'

इस्तांबुल को कंट्रोल करने का मतलब है कि और आप बिजनेस, टूरिज्म, और वित्त सहित तुर्की की इकॉनोमी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नियंत्रित करते हैं.

इन उम्मीदवारों में है टक्कर
इस्तांबुल में श्री एर्दोगन की पार्टी के लिए चुनाव लड़ने के लिए चुने गए उम्मीदवार 47 वर्षीय पूर्व पर्यावरण और शहरीकरण मंत्री मूरत कुरुम हैं. लेकिन यह एक्रेम इमामोग्लू और श्री एर्दोगन के बीच की दौड़ भी हो सकती है.

एक पूर्व व्यवसायी, 52 वर्षीय श्री इमामोग्लू शहर के अल्पज्ञात मध्यमवर्गीय जिले बेयलिकडुज़ु के मेयर के रूप में प्रमुखता से उभरे और उन्हें दशकों में राष्ट्रपति एर्दोगन के सबसे बड़े चुनौती के रूप में देखा जाता है.

इस्तांबुल में एर्दोगन की पार्टी के उम्मीदवार 47 वर्षीय मूरत कुरुम पूर्व पर्यावरण और शहरीकरण मंत्री हैं. लेकिन यह एक्रेम इमामोग्लू और एर्दोगन के बीच का मुकाबला है.

एक पूर्व बिजनेसमैन, 52 साल के इमामोग्लू शहर के अल्पज्ञात मध्यमवर्गीय जिले बेयलिकडुज़ु के मेयर के रूप में प्रमुखता से उभरे और उन्हें राष्ट्रपति एर्दोगन के सबसे बड़े चुनौती के रूप में देखा जाता है.

राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि एक और जीत इमामोग्लू के राजनीतिक दबदबे को बढ़ाएगी और चार साल के समय में राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ने के लिए रास्ता बनाएगी.

अंकारा के मेयर मंसूर यावस के भी 2028 में चुनाव लड़ने की संभावना जताई गई है. रविवार को उनकी जीत की राह अधिक सुरक्षित मानी जा रही है.

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