मालदीव में बिगड़े हालात पर मोदी-ट्रंप की फोन पर बात, भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने पर भी जोर
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मालदीव में बिगड़े हालात पर मोदी-ट्रंप की फोन पर बात, भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने पर भी जोर

भारत-अमेरिका ने अफगानिस्तान में शांति बहाल करने से जुड़ी परिस्थितियों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को और ठोस करने पर भी विचार-विमर्श किया.

अफगानिस्तान और भारत-प्रशांत मुद्दे पर भी पीएम मोदी और ट्रंप की बातचीत हुई. (Reuters/9 Feb, 2018)

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान मालदीव के राजनीतिक हालात पर चिंता जतायी. व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच अफगानिस्तान की स्थिति और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. इस साल ट्रंप और मोदी के बीच फोन पर हुई पहली बातचीत के बारे में व्हाइट हाउस ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने मालदीव में राजनीतिक संकट पर चिंता जतायी और लोकतांत्रिक संस्थाओं तथा विधि के शासन का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया.’

  1. डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की फोन पर बात.
  2. मालदीव में बिगड़े राजनीतिक हालात पर हुई चर्चा.
  3. चीन ने मालदीव में संयुक्त राष्ट्र के किसी भी तरह के हस्तक्षेप का विरोध किया.

मालदीव की सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले गुरुवार (1 फरवरी) को विपक्ष के नौ हाई-प्रोफाइल राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और उनके खिलाफ चलाये गए मुकदमों को राजनीति से प्रेरित बताये जाने के बाद से ही देश में राजनीतिक संकट के बादल छा गये थे. घटना के बाद मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया, जिसके कारण पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये. राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी जिसके कुछ ही घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को गिरफ्तार कर लिया गया.

चीन ने विदेशी मुल्कों के दखल पर जताया ऐतराज
वहीं चीन ने मालदीव में संयुक्त राष्ट्र के किसी भी तरह के हस्तक्षेप का विरोध किया, लेकिन विदेशी हस्तक्षेप पर अपना सुर थोड़ा नरम करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय राजनीतिक संकट के समाधान में मालदीव के दलों के लिए ‘‘समर्थन और सुविधा’’ मुहैया करा सकता है. मालदीव की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 9 फरवरी को होने वाली बैठक से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया से कहा कि चीन संकट के हल के लिए मालदीव के प्रमुख राजनीतिक दलों की मदद करने का समर्थन करता है. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने स्थिति के हल के लिए सर्वदलीय वार्ता की व्यवस्था करने की पेशकश की थी जिसके बाद बैठक बुलायी गयी.

चीन ने मालदीव पर बदला सुर, संयुक्त राष्ट्र के दखल पर जताया ऐतराज, वार्ता पर दिया जोर

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन मालदीव में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के खिलाफ है, गेंग ने कहा, ‘‘मैंने अपना रुख साफ कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और संबंधित दलों के बीच वार्ता को लेकर मदद मुहैया कर इस संबंध में एक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए.’’

मालदीव के राष्ट्रपति ने यूरोपीय राजनयिकों से मिलने से मना किया
वहीं दूसरी ओर मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 8 फरवरी को यूरोप के वरिष्ठ राजनयिकों से मिलने से इंकार कर दिया. राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के न्यायपालिका के आदेश के मद्देनजर देश में अशांति के बाद इन राजनयिकों का दौरा हुआ है. यूरोपीय संघ, जर्मनी और ब्रिटेन के दूत राजधानी आए हैं. श्रीलंका में जर्मनी के दूत जॉर्न रोह्डे ने कहा कि तीनों ने असंतुष्टों पर यामीन की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बैठक का अनुरोध किया था. रोह्डे ने टि्वटर पर कहा, ‘दुखद है कि मालदीव सरकार ने ब्रिटेन / यूरोपीय संघ के मेरे सहयोगियों से वार्ता करने से मना कर दिया. दुर्भाग्य से हमारे आग्रह को ठुकरा दिया गया.’

(इनपुट एजेंसी से भी)

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