'मोदी ने चीनी नेताओं के साथ उठाए सभी लंबित मुद्दे'
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'मोदी ने चीनी नेताओं के साथ उठाए सभी लंबित मुद्दे'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया चीन यात्रा के दौरान सीमा मुद्दा और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भारी चीनी निवेश सहित सभी लंबित मुद्दे खुशगवार लेकिन स्पष्ट तरीके से उठाए।

'मोदी ने चीनी नेताओं के साथ उठाए सभी लंबित मुद्दे'

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया चीन यात्रा के दौरान सीमा मुद्दा और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भारी चीनी निवेश सहित सभी लंबित मुद्दे खुशगवार लेकिन स्पष्ट तरीके से उठाए।

राजनयिक सूत्रों ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मोदी ने चीनी नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत सभी पहलुओं में चीन के साथ संबंधों को विस्तार देने का इच्छुक है और दोनों देशों को इसके लिए अभिलाषी होने की आवश्यकता है।

सूत्र ने कहा, लेकिन इसके साथ ही अगर हम चाहते हैं कि संबंधों की पूरी संभावना को महसूस किया जाए तो हमें लंबित मुद्दों का हल करना होगा। अगर हम वैसा नहीं करते तो यह सीमित करने वाला कारक होगा। उनके द्वारा लंबित मुद्दे सौम्य लेकिन स्पष्ट तरीके से उठाए गये। मोदी की यात्रा के पहले दिन 14 मई को शियान में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ लंबी अनौपचारिक बातचीत हुयी थी। इसके बाद अगले दिन उनकी प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ बीजिंग में बातचीत हुयी थी, जिसमें दोनों पक्षों ने विवादास्पद मुद्दों पर विचार विमर्श किया था, जो दोनों देशों को प्रभावित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछले साल शी की भारत यात्रा के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), 3400 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा पर स्पष्टीकरण का मुद्दा पहली बार उठाया था और इस बार उन्होंने उससे आगे बढ़कर अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संदेश यह है कि विश्वास में कमी इन मुद्दों की वजह से है।

सूत्रों के अनुसार मोदी ने एलएसी पर स्पष्टीकरण की तत्काल आवश्यकता की भी चर्चा की जहां आक्रामक गश्त के कारण तनावपूर्ण गतिरोध पैदा होते हैे। सूत्रों ने कहा कि भारत 1993 से कहता रहा है कि वह सीमा पर अपनी स्थिति के पूर्वाग्रह के बिना एलएसी की अवधारणा को स्वीकार करेगा। मोदी ने यह मुद्दा उठाया हालांकि कथित तौर पर चीनी पक्ष इसको लेकर उत्सुक नहीं था।

सूत्रों ने कहा कि सीमा पार संपर्क और सीमा के प्रबंधन के लिए जमीन पर रेखा उपयोगी है। इससे अक्सर होने वाले अतिक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने चीन और पाकिस्तान के बीच करीबी संबंधों का मुद्दा नहीं उठाया जो द्विपक्षीय संबंध हैं। लेकिन उन्होंने चीन आर्थिक कोरिडोर सहित पीओके से जुड़े मुद्दे उठाए।

मोदी द्वारा 15 मई को सिंघुआ विश्वविद्यालय में छात्रों को दिए अपने संबोधन में अधिकतर मुद्दों को रेखांकित किया। उन्होंने अरूणाचल प्रदेश के लोगों के लिए चीन द्वारा नत्थी वीजा दिए जाने के मुद्दे को भी उठाया। चीन दावा करता है कि अरूणाचल प्रदेश तिब्बत का हिस्सा है। सूत्रों ने बताया कि बातचीत में चीनी मेगा रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग (एमएसआर) के मुद्दे भी उठे।

बातचीत का ब्यौरा दिए बिना उन्होंने कहा कि भारत आंख मूंदकर चीन की योजनाओं का समर्थन नहीं करता क्योंकि उसके अपने प्रस्ताव भी हैं। लेकिन साझा हितों के साथ दोनों पक्ष काम कर सकते हैं। उन्होंने भारत के एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) में शामिल होने का जिक्र किया जो दर्शाता है कि भारत साझा हितों वाली परियोजनाओं में शामिल हो सकता है।

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