नेपाल में भूकंप से मृतकों की संख्या हुई 7000, धीमे राहत कार्य को लेकर प्रदर्शन
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नेपाल में भूकंप से मृतकों की संख्या हुई 7000, धीमे राहत कार्य को लेकर प्रदर्शन

नेपाल के कई हिस्सों में आज फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए जिससे कई जगह भूस्खलन हुआ जबकि पिछले शनिवार के विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढकर 7000 के करीब पहुंच गयी एवं कई प्रभावित क्षेत्रों में राहत नहीं पहुंचने से प्रदर्शन किये गये।

नेपाल में भूकंप से मृतकों की संख्या हुई 7000, धीमे राहत कार्य को लेकर प्रदर्शन

काठमांडो : नेपाल के कई हिस्सों में आज फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए जिससे कई जगह भूस्खलन हुआ जबकि पिछले शनिवार के विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढकर 7000 के करीब पहुंच गयी एवं कई प्रभावित क्षेत्रों में राहत नहीं पहुंचने से प्रदर्शन किये गये।

आज 5.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र गोरखा जिले का बरपाक गांव था। यह गांव शनिवार के विनाशकारी भूकंप के केंद्र के समीप ही है। शनिवार को 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था और भयंकर तबाही हुई थी। आज के भूकंप से एक महिला घायल हो गयी। उस भूकंप के बाद 4.5 की तीव्रता के बाद के झटके आए। इससे लोगों में दहशत फैल गयी।

भूकंप के बाद के दूसरे झटकों से जगह जगह भूस्खलन हुआ जिससे भूकंप प्रभावित लोगों की मुश्किलें और बढ़ गयीं। कई लोग खुले में रहने को बाध्य हैं। यहां सिंधुपालचौक और कावरे जिले के बीच डोलाघाट में बड़ा भूस्खलन हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, अबतक कोई भी घायल नहीं हुआ है।

नेपाल में अस्सी साल से भी अधिक समय बाद आए सबसे भयंकर भूकंप के कारण मृतकों की संख्या बढकर 6700 से अधिक हो गई है जबकि 14,025 अन्य लोग घायल हुए हैं। सरकार इस महाविपदा से निबटने में जुटी है। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन खंड ने कहा, मृतकों की संख्या 6624 हो गयी है। यह आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि मितेरीपुल, चाकू, ज्यालेभीर, नयापुर, डाकलांग, पहारो और झिरपू समेत कई क्षेत्रों में मलबों के ढेर से अब भी शव निकाले जा रहे हैं।

नेपाली मीडिया ने खबर दी है कि अरानिको राजमार्ग पर तातोपानी खंड में 16 शव बरामद किए गए हैं। समझा जाता है कि कुछ विदेशी भी मलबे में दफन हो गए। यहां गृहमंत्रालय महसूस करता है कि 25 अप्रैल के भूकंप में (मलबे में) और लोगों के जिंदा होने की संभावना नहीं है।

नाराज लोगों ने सड़कों उतरकर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि राहत सामग्री कालाबाजार में पहुंच रही है और आवश्यक वस्तुओं की कीमत बहुत बढ़ गयी है। काठमांडो घाटी के कई क्षेत्र जरूरी खाद्य सामग्री से अब भी वंचित हैं। इससे लोग प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आए।

प्रदर्शनकारी निर्मल बिशी ने कहा, खानेपीने की जो चीज 20 रूपए की है, वह अब 50 रूपए में उपलब्ध है। खाद्य एवं राहत सामग्री के वितरण में कोई पारदर्शिता नहीं है। फुलमाया लागून ने कहा, उन्होंने हमें बस एक बोतल पानी दिया। लागून के परिवार में दस लोग हैं।

कई हिस्सों में अबतक तिरपाल नहीं पहुंचा है। भूकंप के बाद बेरोजगार हो गए दिहाड़ी मजदूर दावा शेरपा ने दावा किया, केवल प्रशावशाली लोगों को ही राहत सामग्री मिलती है, बाकी का क्या? गृहमंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी ढकाल ने कहा, यदि कोई जिंदा मिलता है तो यह चमत्कार होगा। लेकिन हमने पूरी तरह आस नहीं छोड़ी है और हम प्रयास जारी रखे हुए हैं। जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारियों के फैलने का डर अस्पतालों एवं क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्रों में हताहतों की भारी भीड़ की वजह से बढ़ गयी है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) ने आज कहा कि लोगों को इससे बचने के लिए जरूरी इंतजाम करने के लिए बस थोड़ा समय है। उसने कहा कि मानसून कुछ ही सप्ताह दूर है, ऐसे में बच्चों पर हैजा एवं अतिसार जैसी बीमारियों का जोखिम अधिक होगा तथा भूस्खलन एवं बाढ़ का भी डर है।

नेपाल में यूनीसेफ के उप प्रतिनिधि रौनक खान ने कहा, भूकंप से अकल्पनीय तबाही हुई है। अस्पतालों में बहुत भीड़ है। पानी कम है, शव अब भी मलबे के नीचे है तथा लोग खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। यह बीमारियों के फैलने की अनुकूल स्थितियां हैं।  शीर्ष भारतीय अधिकारियों ने आज भूकंप से तबाह नेपाल की स्थिति का जायजा लिया तथा उन्होंने नेपाल को राहत सहायता और तेज करने का आश्वासन दिया।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर ने प्रभावित क्षेत्रों में बचाव एवं राहत अभियानों में तेजी लाने के लिए कल प्रधानमंत्री सुशील कोईराला से मिले थे। भूकंप से नेपाल के सुदूर पर्वतीय इलाके तो करीब करीब पूरी तरह तबाह हो गए हैं। सहायता एजेंसियों ने राहत प्रयासों में बिल्कुल अधिक तेजी लाने की ताकीद की है।

 

 

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