सीआईए की गोपनीय रिपोर्ट में पाकिस्तान का डर उजागर
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सीआईए की गोपनीय रिपोर्ट में पाकिस्तान का डर उजागर

पाकिस्तान 90 के दशक के आखिर में इस डर से आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार को समर्थन देने से पीछे हट गया था कि संगठन को समर्थन देने से अमेरिका उसे ‘आतंकवाद के प्रायोजक देशों’ की सूची में डाल सकता है। पाकिस्तान ने 90 के दशक में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए इस संगठन का इस्तेमाल किया था।

सीआईए की गोपनीय रिपोर्ट में पाकिस्तान का डर उजागर

वाशिंगटन : पाकिस्तान 90 के दशक के आखिर में इस डर से आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार को समर्थन देने से पीछे हट गया था कि संगठन को समर्थन देने से अमेरिका उसे ‘आतंकवाद के प्रायोजक देशों’ की सूची में डाल सकता है। पाकिस्तान ने 90 के दशक में भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए इस संगठन का इस्तेमाल किया था।

सीआईए की हाल ही में सार्वजनिक की गई एक गोपनीय रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सीआईए ने अगस्त 1996 की अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार किया है कि हरकत-उल-अंसार ने कश्मीर और मई 1996 में लाजपत नगर बाजार में हुए बम विस्फोट समेत भारत के अन्य हिस्सों में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में भूमिका निभाई थी।

कुछ कूटनीतिक रिपोर्टों का हवाला देते हुए सीआईए ने कहा कि आईएसआई ने हरकत को प्रति माह कम से कम 30,000 डॉलर और संभवत: अधिकतम 60,000 डॉलर की मदद भी मुहैया कराई। सीआईए ने रिपोर्ट के संपादित संस्करण ‘हरकत-उल-अंसार : पश्चिमी और पाकिस्तानी हितों को बढ़ता खतरा’ को जून में सूचना की स्वतंत्रता कानून (एफओएआई) के तहत अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया। एफओएआई भारत के सूचना का अधिकार कानून के समान है।

नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से मिली खुफिया जानकारी पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि हरकत नागरिक विमानों के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई करने की योजना बना रहा था। यह दिसंबर 1999 में काठमांडो से नयी दिल्ली जा रहे इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण से तीन साल पहले की बात है। सीआईए रिपोर्ट में कहा गया था, ‘भारत में पश्चिमी देशों के पर्यटकों की संख्या को देखते हुए वहां नागरिक विमानों पर हमले से पश्चिमी देशों के नागरिक भी हताहत हो सकते हैं।’ सीआईए ने रिपोर्ट के इस हिस्से के महत्वपूर्ण वाक्यों को संपादित कर दिया है।

हालांकि सीआईए ने चेतावनी दी थी कि हरकत को मिलने वाले पाकिस्तानी समर्थन में अचानक कमी आना पाकिस्तान की स्वयं की सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है। उसने कहा, ‘हरकत को समर्थन रोकने और संगठन की गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई करने संबंधी अमेरिका और ब्रिटेन की मांग के अनुरूप काम करना इस्लामाबाद को महंगा पड़ सकता है।’

सीआईए ने चेतावनी दी, ‘पाकिस्तान इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन संगठन की गतिविधियों को रोकने के लिए की गई कोई भी कठोर कार्रवाई हरकत को जवाबी कार्रवाई करने के लिए उकसा सकती है।’ सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि हरकत के अभियान मुख्यत: भारत के खिलाफ है लेकिन संगठन के कुछ पूर्व कदम इस्लामाबाद के प्रति भी उसकी शत्रुता को दर्शाते हैं और इस्लामाबाद की ओर से मदद बंद हो जाने से इसे और बल मिल सकता है।

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