पनामा पेपर्स मामले में पहले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था, अब विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ पर हाई कोर्ट की गाज गिरी है.
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इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजनीति में आया भूचाल थमता नजर नहीं आया है. पनामा पेपर्स मामले में पहले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था, अब विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ पर हाई कोर्ट की गाज गिरी है. कोर्ट ने यूएई वर्क परमिट की जानकारी छुपाने के मामले में एक संसद सदस्य के तौर पर आसिफ को अयोग्य ठहराया है. कोर्ट के इस फैसले पर विरोधी दलों ने खुशी जाहिर की है. तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के बाहर कोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता जाहिर की.
आसिफ पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में चुनाव लड़ते वक्त संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने ‘इकामा’ (वर्क परमिट) का ब्योरा छुपाया था. हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता उस्मान डार की याचिका पर यह फैसला सुनाया. पीटीआई ने यूएई का ‘इकामा’ रखने के मामले में संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत विदेश मंत्री आसिफ को अयोग्य करार देने की मांग की थी.
साल 2013 में आसिफ के खिलाफ चुनाव हार चुके उस्मान डार ने संसद सदस्य के रूप में आसिफ (68) की योग्यता को चुनौती दी थी. आसिफ ने चुनाव लड़ते वक्त कथित तौर पर अपनी नौकरी और अपने वेतन की घोषणा नहीं की थी. पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया कि आसिफ सच्चे और ईमानदार नहीं थे.
Pakistan Tehreek-e-Insaf workers celebrate outside Islamabad High Court after it ruled that Foreign Minister Khawaja Asif stands disqualified from Parliament for holding an Iqama (work permit) of the United Arab Emirates. pic.twitter.com/59DyYUvXIG
— ANI (@ANI) 26 अप्रैल 2018
इस फैसले के बाद आसिफ किसी सार्वजनिक पद या पार्टी में किसी पद पर नहीं रह पाएंगे.
PTI ने दी थी चुनौती
पीटीआई के नेता डार ने अदालत से आसिफ को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि अपने बेटों की कंपनी में काम करने का ‘इकामा’ रखने और अपने प्राप्त किए जा रहे वेतन की घोषणा नहीं करने पर उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल ही नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दे दिया था.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इंटरनेशनल मेकेनिकल एंड एलेक्ट्रिकल कंपनी (इमेको) के साथ आसिफ का असीमित कार्यकाल के रोजगार का अनुबंध था. उन्हें जुलाई 2011 में पूर्णकालिक कर्मी के तौर पर नियुक्त किया गया था और वे विभिन्न पदों पर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि अनुबंध के तहत आसिफ को 35,000 एईडी मासिक वेतन और 15,000 एईडी मासिक भत्ते के तौर पर मिलने थे जिसकी उन्होंने घोषणा नहीं की.
सुनवाई के दौरान आसिफ ने कंपनी का एक पत्र सौंपा था कि वह पूर्णकालिक कर्मी नहीं हैं और उन्होंने महज परामर्शदाता के रूप में सेवाएं दी थी जिनकी मौजूदगी यूएई में जरूरी नहीं थी. न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मोहसीन अख्तर कल्याणी की पीठ ने 10 अप्रैल तक के लिए फैसले को सुरक्षित रखा था. आसिफ सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के शीर्ष नेताओं में से हैं और जून के बाद होने जा रहे चुनावों से पहले उन्हें अयोग्य करार दिया जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
(इनपुट भाषा)