पाकिस्तान को कर माफी योजना से कर के रूप में भारी-भरकम रकम मिली है. यह योजना पाकिस्तानी नागरिकों के विदेश में किये गये निवेश या संपत्तियों को वैध करने और रिटर्न में उनकी घोषणा के लिये शुरू की गई.
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कराची: पाकिस्तान को कर माफी योजना से कर के रूप में भारी-भरकम रकम मिली है. यह योजना पाकिस्तानी नागरिकों के विदेश में किये गये निवेश या संपत्तियों को वैध करने और रिटर्न में उनकी घोषणा के लिये शुरू की गई. पाकिस्तान में लगभग 5,000 लोगों ने अपनी विदेशी संपत्ति घोषित करते हुए रिटर्न दाखिल किया है और अब तक कर के रूप में करीब 80 अरब रुपये जमा होने की उम्मीद है. सरकार की यह योजना आज बंद हो रही है. कर के रूप में आने वाली इस रकम के अभी और बढ़ने की उम्मीद है. कराची के अरबपति कारोबारी हबीबुल्ला खान ने देश की सबसे बड़ी कर माफी योजना के तहत पाकिस्तान के बाहर 1.25 अरब डॉलर की नकद संपत्तियां घोषित की हैं.
खान मेगा समूह के संस्थापक और चेयरमैन है. कर माफी योजना 10 अप्रैल 2018 को अध्यादेश के माध्यम से घोषित की गयी. फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एफबीआर) के चेयरमैन तारिक महमूद पाशा ने कहा था कि कर माफी योजना के तहत वे कारोबारी जिनकी विदेश में संपत्तियां हैं या रीयल एस्टेट में निवेश है उनको अपनी संपत्ति को वैध बनाना चाहिए. कर माफी योजना की अंतिम तिथि 30 जून है .पाशा ने कहा कि माफी योजना के जरिए देश 4 अरब डॉलर तक जुटा सकता है.
टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए पाकिस्तान को चाहिए भारत का 'आधार'
आपको बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा था कि टैक्सपेयर बेस बढ़ाने के लिए नैशनल आइडेंटिटी डेटाबेस का इस्तेमाल करते हुए संभावित टैक्सपेयर्स की पहचान की जाएगी. एनबीटी ने एक रिपोर्ट के हवाले से लिखा था कि अब्बासी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इस प्लान के तहत टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने का विचार है.
देश की 21 करोड़ आबादी में 1 फीसदी से भी कम लोग टैक्स चुकाते हैं. लीकेज बंद करने, सही प्रॉपर्टी वैल्यूएशन को प्रोत्साहन देने और टैक्स रेट में कमी और माफी योजना पर विचार किया जा रहा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में टैक्स-जीडीपी अनुपात दुनिया में सबसे कम है और आईएमएफ सहित अन्य एजेंसियों ने कई बार इसे लेकर चिंता जाहिर की है. पाकिस्तान कई बार टैक्स बेस बढ़ाने की कोशिश कर चुका है, लेकिन विरोध की वजह से असफल रहा है.
इनपुट भाषा से भी