मृत्युदंड को दोबारा लागू करना त्रासदी का हल नहीं : एमनेस्टी
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मृत्युदंड को दोबारा लागू करना त्रासदी का हल नहीं : एमनेस्टी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा आतंकवाद से जुड़े मामलों में मृत्युदंड की बहाली का फैसला लिए जाने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार पेशावर के स्कूल की त्रासदी के कारण उपजे डर और गुस्से के आगे घुटने न टेके तथा मृत्युदंड पर पाबंदी को बरकरार रखे।

लंदन : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा आतंकवाद से जुड़े मामलों में मृत्युदंड की बहाली का फैसला लिए जाने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार पेशावर के स्कूल की त्रासदी के कारण उपजे डर और गुस्से के आगे घुटने न टेके तथा मृत्युदंड पर पाबंदी को बरकरार रखे।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के उपनिदेशक (एशिया-प्रशांत) डेविड ग्रिफिथ्स ने कहा, ‘मंगलवार को हुआ हमला पूरी तरह से निंदनीय है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाना जरूरी है। हालांकि मृत्युदंड की बहाली कोई हल नहीं है।’ शरीफ ने मृत्युदंड बहाली की यह घोषणा उस त्रासद घटना के एक दिन बाद की थी, जिसके तहत उत्तरी-पश्चिमी शहर में सेना द्वारा संचालित स्कूल पर तालिबान के आतंकियों ने हमला बोल दिया था। इस हमले में 132 बच्चों समेत कम से कम 148 लोग मारे गए थे।

ग्रिफिथ्स ने कहा, ‘इन हमलों के कारण पाकिस्तान स्वाभाविक तौर पर गुस्से और क्रोध की गिरफ्त में है। लेकिन मृत्युदंड से पाबंदी हटा देना एक तात्कालिक प्रतिक्रिया मालूम होता है, जिससे समस्या की जड़ तक नहीं पहुंच जा सकता।’ ग्रिफिथ्स ने कहा, ‘सरकार को मृत्युदंड की बहाली करके हिंसा के चक्र को बनाए रखने के बजाय नागरिकों की प्रभावी सुरक्षा पर अपनी उर्जा केंद्रित करनी चाहिए।’

एमनेस्टी इंटरनेशनल पेशावर हमले समेत अंधाधुंध हमलों और नागरिकों के खिलाफ किए गए हमलों के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच एवं अभियोजन की ऐसी कार्रवाई करने का आह्वान करता है, जो निष्पक्ष मुकदमे के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो लेकिन इसमें मृत्युदंड का सहारा न लिया जाए।

लंदन के इस मानवाधिकार संगठन ने कहा, ‘मृत्युदंड पाकिस्तान की कानून-व्यवस्था की स्थिति का हल नहीं है और यह देश में अपराध या आतंक से निपटने की दिशा में कुछ नहीं कर सकेगा।’ पाकिस्तान ने अक्तूबर 2013 में मृत्युदंड पर एक बार फिर पाबंदी लगा दी थी। नवंबर 2012 में एक सैनिक को फांसी पर लटकाए जाने के बाद से अब तक पाकिस्तान में मृत्युदंड नहीं दिया गया था। हालांकि अंतिम बार किसी नागरिक को वर्ष 2008 के अंत में फांसी दी गई थी। इस समय देश में दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों में मृत्युदंड का फैसला सुनाया गया है।

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