Satellite ERS-2: तीस साल अंतरिक्ष में किया काम, उम्र हो गई थी पूरी; धरती के दायरे में आते ही बिखर गया
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Satellite ERS-2: तीस साल अंतरिक्ष में किया काम, उम्र हो गई थी पूरी; धरती के दायरे में आते ही बिखर गया

ERS-2 satellite news: यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के मुताबिक इस सेटेलाइट ने बुधवार को हमारी धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया. जिसके बाद माना गया कि ये कई टुकड़ों में टूट कर बिखर गया.

European Space Agency satellite ERS-2

ERS-2 Satellite burns up over Pacific Ocean: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) का एक डेड सैटेलाइट का अंत हो गया. इस सैटेलाइट का नाम ईआरएस-2 (ERS-2) था. जो बुधवार रात को अलास्का और हवाई के बीच कहीं धरती पर वापस लौटा. वायुमंडल के दायरे में आते ही इसके टुकड़े-टुकड़े हो गए. जिससे स्पेस में इसके करीब 30 साल के जीवन का अंत हो गया. ESA के मुताबिक, 'यह टुकड़ों में टूट गया, जिनका अधिकांश जल गया, जबकि बचा मलबा नीचे समंदर के गर्भ में समा गया. फिलहाल इससे किसी तरह की संपत्ति के नुकसान या जनहानि का पता नहीं चला है. 

Google मैप ने बताया सैटेलाइट पृथ्वी पर कहां गिरा?

ईएसए ऑपरेशंस ने एक्स पर पोस्ट किया, 'हमारे अनियंत्रित सैटेलाइट ESR-2 ने अलास्का और हवाई के बीच उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर के वायुमंडलीय में पुनः प्रवेश किया. धरती के संपर्प में आते ही इसकी जीवन लीला खत्म होने की प्रकिया शुरू हुई और चंद पलों में सारा खेल हो गया.

2011 से रिटायर करने की थी तैयारी

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने ये भी बताया कि ESR-2 को इच्छामृत्यु देने की तैयारी यानी रिटायर करने की तैयारी करीब 13 साल पहले यानी 2011 की गर्मियों में ही शुरू हो गई थी जब ESA द्वारा इसे अपने नियंत्रण के जरिए मूव के लिए 66 प्रयास किए थे. उस प्रॉसेस का मकसद सैटेलाइट के बचे हुए ईंधन का उपयोग करना और इसकी औसत ऊंचाई 785 किमी से घटाकर लगभग 573 किमी करना था. दरअसल ऐसा करने से सैटेलाइट के अंतरिक्ष में बिखरने यानी अन्य सैटेलाइटों से टकराने के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है. ESA ने साफ किया है कि गिरते सैटेलाइट से पृथ्वी पर किसी को कोई खतरा या नुकसान नहीं हुआ.

एजेंसी ने अपनी पोस्ट में बताया कि हमने अपने सैटेलाइट इस तरह डिजाइन किए हैं ताकि उनके जीवन के आखिरी चरण में हम उन्हें नियंत्रित तरीके से धरती में पुन: प्रवेश कराएं ताकि उनके डिस्पोज होने की प्रकिया पूरी तरह हमारे नियंत्रण में रहे. और जान-माल का नुकसान न पहुंचे.       

एजेंसी ने ये भी बताया कि धरती पर बिजली गिरने से होने वाली मौतों का खतरा, अंतरिक्ष का मलबा धरती पर गिरने की तुलना में करीब 65000 गुना ज्यादा है. यानी मलबा गिरने की दर और उससे मानव जीवन को होने वाले नुकसान की आंशका न के बराबर है.

(एजेंसियों से इनपुट के साथ)

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