1990 के दशक में जब सोवियत संघ बिखराव की कगार पर था तब वहां की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी केजीबी सबसे मुश्किल और अस्थिर हालत में थी.
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मार्च के महीने में ब्रिटेन के सेलिसबरी शहर के माल्टिंग्स शॉपिंग सेंटर में एक बेंच पर रूस के एक पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल (66) अपनी बेटी यूलिया के साथ गंभीर हालत में बेसुध अवस्था में मिले. तफ्शीश में पता चला कि किसी नर्व एजेंट गैस के संपर्क में आने के कारण उनकी यह हालत हुई. वे बच गए और अब अंडरग्राउंड हो गए हैं.
फ्लैशबैक
1990 के दशक में जब सोवियत संघ बिखराव की कगार पर था तब वहां की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी केजीबी सबसे मुश्किल और अस्थिर हालत में थी. उस दौर में उसके कई जासूस जो दुनिया के अन्य मुल्कों में अंडरकवर एजेंट के तौर पर तैनात थे, उन्होंने संबंधित देशों के खुफिया विभागों को सीक्रेट्स बेचकर पैसे बनाए और कई तो वहीं बस गए. उसी दौर के केजीबी के दो खुफिया अधिकारी व्लादिमीर पुतिन और सर्गेई स्क्रिपल थे. दोनों ही उम्र, पद और ट्रेनिंग के लिहाज से कमोबेश समकक्ष थे. दोनों ने ही सोवियत संघ बनाम पश्चिम के शीत युद्ध के दौर में खुद को खपाया था.
सोवियत संघ के पतन के बाद इन दोनों ने ही खुद को नई व्यवस्था के रूप में ढालने का प्रयास किया. व्लादिमीर पुतिन राजनीति सत्ता में आ गए और सर्गेई स्क्रिपल खो गए.
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2006 के बाद
2006 में अचानक रूस के न्यूज चैनलों पर स्क्रिपल की तस्वीरें उभरने लगीं. उनके बारे में कहा जाने लगा कि जब 1990 के दशक में जब वह मैड्रिड (स्पेन) में तैनात थे तो एक स्पेनिश एजेंट के साथ उन्होंने सौदा किया. उसने 1996 में ब्रिटेन के एजेंट के साथ उनकी मुलाकात कराई. उन पर आरोप लगाए गए कि एक लाख डॉलर में उन्होंने अपने सीक्रेट्स बेचे. स्क्रिपल को 13 साल की सजा सुनाई गई. 2010 में अमेरिका और रूस के बीच जासूसों की अदला-बदली हुई. उसमें ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के आग्रह पर स्क्रिपल का नाम भी शामिल हुआ. इस तरह स्क्रिपल पहले अमेरिका और उसके बाद ब्रिटेन में बस गए.
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इस पूरे घटनाक्रम के बाद रूस से लेकर ब्रिटेन, अमेरिका तक ने उनको बहुत महत्वपूर्ण नहीं माना लेकिन रूस के एक शख्स की नजर में वह बेहद अहम बने रहे. यानी पूर्व खुफिया अधिकारी और मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कभी उनको माफ नहीं किया. नतीजतन स्क्रिपल पर जो हमला हुआ, उसको इससे जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण पश्चिमी मीडिया या जांच एजेंसियों को नहीं मिले हैं लेकिन इस मामले में एक नई प्रगति ये हुई है कि ब्रिटिश अधिकारियों ने जांच में यह पता लगाया है कि रूस की खुफिया एजेंसी ने अपने दो हिट मैन इस काम के लिए भेजे थे. उन दोनों ने ही स्क्रिपल के दरवाजे के फ्रंट डोर हैंडल पर नर्व एजेंट का छिड़काव किया था. बाप-बेटी इसी की चपेट में आकर शिकार बने.
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एक और मौत
ब्रिटेन इस मामले की गहनता से जांच कर ही रहा था कि इस घटना के कुछ दिनों बाद एक अन्य दंपति इस गैस की चपेट में आ गए. पुलिसिया जांच में पता चला कि चार्ली रोली (45) नाम के एक शख्स को सैलिसबरी के निकट अमेसबेरी के एक बियाबान पार्क में एक बोतल मिली. उन्होंने उसको परफ्यूम की बोतल समझा और अपनी पार्टनर डॉन स्ट्रगेस (44) को गिफ्ट में दे दिया. नतीजतन जब डॉन ने इसका इस्तेमाल किया तो चपेट में आने से उनकी मौत हो गई और चार्ली को मरणासन्ना अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
शक की सुई
ब्रिटिश पुलिस का मानना है कि दरअसल इन दोनों घटनाओं के तार आपस में जुड़े हुए हैं क्योंकि एक ही गैस की चपेट में आने के कारण ये हादसे हुए. ब्रिटेन ने इस गैस के बारे में बताते हुए कहा कि ये लोग वास्तव में घातक नोविचोक (Novichok) गैस का शिकार हुए थे. इस नर्व एजेंट रासायनिक गैस का निर्माण सोवियत संघ (रूस के पूर्ववर्ती) के जमाने में किया गया था. लिहाजा शक की सुई जब रूस पर घूमी तो उसने स्क्रिपल पर हमले से साफ इनकार कर दिया और सुबूत मांगे. इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए हैं और यहां तक कि कई राजनयिक भी दोनों देशों ने निकाल दिए हैं.
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नोविचोक (Novichok) नर्व एजेंट गैस
रूसी भाषा में नोविचोक का अर्थ न्यूकमर होता है. इस रासायनिक नर्व एजेंट गैस को सोवियत संघ ने 1970 और 1980 के दशक में विकसित किया था. इसको सोवियत संघ का चौथी पीढ़ी का रासायनिक हथियार कहा जाता है और इसको फोलियंट (Foliant) कोडनेम से विकसित किया गया था. 1990 के दशक में रूसी कैमिस्ट डॉ वील मिर्जायानोव ने रूसी मीडिया के माध्यम से पहली बार इस गैस के बारे में बाहरी दुनिया को बताया. बाद में वह अमेरिका भाग गए और अपनी किताब स्टेट सीक्रेट्स में उन्होंने इसके केमिकल फॉर्मूले के बारे में बताया. इसके बारे में कहा जाता है कि ये सेरीन या VX जैसी अन्य घातक नर्व एजेंट गैसों से भी ज्यादा घातक है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि दुश्मन पर हमला होने के बावजूद इसकी पहचान के बारे में पता लगाना लगभग असंभव जैसा काम है.
सर्गेई स्क्रिपल
पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल(66) उन चार रूसी लोगों में से एक हैं जिसे 2010 में मॉस्को ने अमेरिका में 10 डीप कवर 'स्लीपर' एजेंट के बदले में छोड़ा था. 2006 में सर्गेई को उस वक्त पकड़ा गया, जब वह सेना से रिटायर हो चुके थे. वह रूसी सेना की मिलिट्री इंटेलिजेंस में कर्नल थे. उन पर आरोप था कि उन्होंने 1990 के दशक में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी को यूरोप में मौजूद रूसी खुफिया एजेंट्स की जानकारी उपलब्ध कराई थी. 2006 में मामला उजागर होने के बाद उनको पकड़कर जेल में डाल दिया गया. उनको 13 साल की सजा हुई.
उसके बाद जब रूस और अमेरिका ने जासूसों की अदला-बदली की तो 10 रूसी जासूसों के बदले में उनको भी छोड़ दिया गया. कहा जाता है कि उनको छुड़ाने में ब्रिटेन का हाथ रहा. उसके बाद वह ब्रिटेन चले गए, जहां उनको शरणार्थी का दर्जा दिया गया.