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कोलंबो : श्रीलंका की प्रमुख मुस्लिम पार्टी ने आज सरकार का साथ छोड़ते हुए आगामी आठ जनवरी को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष का साथ देने का फैसला किया है। इसे राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल को हासिल करने के प्रयास के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस (एसएलएमसी) के नेता रउफ हकीम ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2010 के एक कानून पर मतभेद के चलते सरकार छोड़ी है। इस कानून ने राष्ट्रपति पद पर दो कार्यकाल की सीमा को हटा दिया गया था और 68 वर्षीय राजपक्षे को पुलिस, न्यायपालिका और लोक सेवा पर व्यापक अधिकार दे दिए।
हकीम ने संवाददाताओं को बताया, ‘हमने आम उम्मीदवार एम. सिरीसेना को समर्थन देने का फैसला किया है। अब हमें उस संशोधन का समर्थन करने की गलती का अहसास हुआ है, जिसने 17वें संशोधन को निरस्त कर दिया।’ हकीम ने कहा कि उन्होंने राजपक्षे सरकार के न्यायमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस तरह से वह राजपक्षे सरकार को छोड़ने वाले दूसरे मुस्लिम नेता बन गए हैं। इससे पहले उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रिशाद बाथीउद्दीन ने इस्तीफा दिया था।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अब मुख्य विपक्षी दल यूनाइटेड नेशनल पार्टी के साथ बातचीत करेगी। एसएलएमसी अब उन दलों के साथ मिल गई है, जो राजपक्षे के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिरीसेना का समर्थन कर रहे हैं। सिरीसेना पिछले माह सत्ताधारी यूपीएफए गठबंधन के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विपक्षी खेमे में चले गए थे।